“तिरस्कृत कब तक” – कुमुद मोहन

सुरेशबाबू घर में घुसे तो बहुत खुश थे” बहुत खुश नज़र आ रहे हो क्या कोई लॉटरी निकल आई है” कहकर किचन से हाथ पोंछते हुए मीता बाहर निकली!

“अरे भाई लॉटरी ही समझो वो पूना से मन्नो जीज्जी का फोन आया उनके जेठ का लड़का अमेरिका में बड़ी कंपनी में काम करता है उसकी पोस्टिंग इंडिया में हो गई!  जीज्जी ने अपनी मोना की बात चलाई है! जिज्जी ने उस लड़के के मां-बाप के देहांत के बाद उसे मां बनकर पाला है ,वह कभी भी जिज्जी के खिलाफ नहीं जाऐगा!तुम तो जानती हो मन्नो जीज्जी की ससुराल में कोई भी उनकी बात नहीं टालता!जबरदस्त एक्साइटमेंट के साथ सुरेश बाबू बोले, मैने जीज्जी को मोना के सांवले रंग के बारे में भी कहा पर वे कहती हैं वे सब संभाल लेंगी!जीज्जी की बातों से लगा कि इस बार तो हमारी मोना का रिश्ता तय करा कर ही मानेंगी”सुरेश बाबू ने आश्वासन दिया!

मीता—आप जानते हैं लड़के वालों की तरफ से कई बार रिजेक्ट होने पर उसका दिल टूट गया है!इसीलिए मोना अब डॉक्टर बनना चाहती है उसका मेडिकल का इम्तिहान है “

सुरेश बाबू बोले “तुम जानती हो मोना के सांवले रंग की वजह से कितने रिश्ते आए और हमारा तिरस्कार कर चले गए !भगवान ने चाहा तो सब ठीक ही होगा!

और तुम भी ना बिना सोचे समझे फैसला सुना दिया करती हो! जरा सोचो! ऐसे रिश्ते बार बार नहीं आते भगवान ने घर बैठे हमारे ऊपर कृपा की है वर्ना लोग तो कहते हैं लड़की के पिता के तो जूते घिस जाते हैं लड़की के लिए घर-वर ढूंढने में?”

बस मैंने उन्हें अगले इतवार को खाने पर बुला लिया है कोई नौटंकी मत करना कहे देता हूं उधर मन्नो जिज्जी बहुत बुरा मानेंगी सो अलग!



मीता ने मन में सोचा मन्नो जिज्जी की कही बात तो इनके लिए पत्थर की लकीर होती है!उससे अपनी बेटी का बार-बार तिरस्कार होना नहीं देखा जाता था!वह भी मोना की तरह अपने मन को समझा चुकी थी कि बार-बार नुमाईश लगने और रिजेक्ट होने से बेहतर है मोना डॉक्टर बन कर अपना कैरियर बना ले और अपने पैरों पर खड़ी हो जाए!

खैर इतवार को विनय और जिज्जी आऐ।विनय सचमुच में सुन्दर,स्मार्ट था अमेरिका रिटर्न की ठसक उसके व्यक्तित्व में चार चांद लगा रही थी!

मोना ने उसे देखा तो देखती रह गई! मेडिकल के भूत ने पिछली सीट ले ली!ऐसा जीवन साथी तो कभी मोना ने सपने में भी नहीं सोचा था!पर मन ही मन डर रही थी कहाँ विनय जैसा बांका लड़का और कहां वह!कहीं इसने भी मना कर दिया तोऽऽ मोना का दिल आशंकित हो गया!

खाने के बाद सबने मोना और विनय को बातें करने अकेला छोड़ दिया!

विनय ने बातों का सिलसिला शुरू किया विनय इंग्लिश में पूछ रहा था और मोना क्यूँकि हिंदी मीडियम से पढ़ रही थी बहुत फर्राटेदार  इंग्लिश नहीं बोल पाती थी वह हिंदी में जवाब दे रही थी!

बाहर आकर विनय ने मन्नो जीज्जी को बता दिया कि उसे अफसोस है वह उनकी बात नहीं रख रहा !ये उसकी जिन्दगी का सवाल है!”लड़की एक तो सांवली ऊपर से इंग्लिश भी नहीं बोल पाती मुझे विदेशों में सेमिनार में जाना होता है,फाॅरेन डेलिगेट्स भी आते हैं हमारी सोसाइटी में मोना का इंग्लिश ना बोल पाना मेरे लिए शर्मिन्दगी का बायस होगा! मुझे ऐसी लड़की चाहिए जो फर्राटेदार इंग्लिश बोलती हो जिसकी वजह से मुझे अपने सर्कल में शर्मिन्दा ना होना पड़े!”चाची! आए एम साॅरी “उसने मन्नो जिज्जी से साफ साफ कह दिया!

मन्नो जिज्जी ने कहा भी कि इसमें कौन बड़ी बात है इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स करा देगें पर इसके लिए मोना तैयार नहीं हुई!



मोना का दिल तो टूटा पर उसने ठान लिया कि अब वह शादी-ब्याह के चक्कर में नहीं पड़ेगी,अपने मां-बाप का बार-बार लड़के वालों की खातिर करना और अपनी सांवली रंगत पर कटाक्ष सुनकर तिरस्कृत होना उसे अंदर ही अंदर तोड़ गया! अब वह डॉक्टर बन कर ही रहेगी! वह जी जान से जुट गई,उसकी मेहनत रंग लाई उसका देश के सबसे अच्छे मेडिकल कॉलेज में ऐडमिशन हो गया!

मोना एम बी बी एस के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन कर मुम्बई के बड़े हस्पताल में गायनोकोलोजिस्ट के पद पर पहुँच गई शहर के नामी-गिरामी डॉक्टरों में उसकी गिनती होने लगी।

उसकी क्लीनिक पर मरीजों की लंबी कतार देखकर ही पता चलता था कि वह कितनी मशहूर थी!

एक दिन एक संभ्रांत व्यक्ति दर्द से तड़पती अपनी पत्नी को लेकर आये”प्लीज डॉक्टर सेव माय वाइफ ?

मोना ने आँखे ऊपर उठाई वह पहचान गई वह और कोई नहीं विनय था! मास्क की वजह से विनय ने मोना को नहीं पहचाना!

ऑपरेशन बहुत कठिन था मां या बच्चा एक ही बचाया जा सकता था!



मोना के लिए यह परीक्षा की घड़ी थी विनय की पहली मुलाकात चल चित्र की तरह रह रहकर उसे विचलित कर रही थी! फिर भी अपने पर काबू रखकर उसने मां-बच्चा दोनों को बचा लिया!

मास्क उतार कर वह ऑपरेशन थियेटर से बाहर आई और विनय से बोली”काॅग्रेच्यूलेशन्स! यू आर अ फादर ऑफ ऐ बेबी गर्ल! बोथ मदर डाॅटर वैल।

विनय एकटक मोना को देखता रह गया!  ये मोना है मेडिकल प्रोफेशन ने उसके व्यक्तित्व को निखार दिया था उसका चेहरा विश्वास से दमक रहा था!कहां वो सांवली सी सीधी सादी मोना और कहां यह स्मार्ट और फर्राटेदार इंग्लिश बोलती डॉक्टर मोना!

“आय एम सौरी फॉर व्हाट आय हैव डन विद यू”! झेंपते हुए विनय ने कहा!

मोना से हंस कर कहा अगर आप मुझे मेरे इंग्लिश ना बोल सकने पर रिजेक्ट ना करते तो आज मैं यहाँ ना होती! थैंक यू सो मच! मेरे हिन्दी मीडियम ने मुझे इन ऊंचाईयों तक पहुँचा दिया। इसपर मुझे शर्मिंदगी नहीं वरन गर्व है! बस मुझे अफसोस है कि आप मेरे दिल की भाषा नहीं समझ पाए!

आज मैं बहुत खुश हूं मेरे पास पैसा ,स्टेटस,बहुत चाहने वाला पति और दो प्यारे बच्चे हैं!आपकी बजह से मुझे मानव जाति की सेवा का मौका मिला!

दोस्तों,



हिंदी मीडियम से पढ़ना कोई हेय बात नहीं है फिर भी कुछ लोगों की सोच होती है कि हिंदी मीडियम से पढ़ कर व्यक्ति ऊंचे नहीं उठ सकता या वो गंवार रह जाता है उतना स्मार्ट नहीं दिखता कि ऊंची सोसाइटी में उठ-बैठ सके!विनय की भी सोच कुछ ऐसी ही थी!

व्यक्ति को अपनी जड़ों से जुड़ाव अपनी भाषा,अपने संस्कार को कभी अलग नहीं होने देना चाहिए! दूसरे देशों की भाषा वहाँ का रहन-सहन अपनाकर अपने आप को खोकर आप कहीं के नहीं रहते एक त्रिशंकु के समान हो जाते हैं।

आपको अच्छा लगे तो प्लीज लाइक-कमेंट अवश्य दें! मुझे फौलो भी करें। धन्यवाद

आपकी कुमुद मोहन

#तिरस्कार

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