अपमान का बदला – चन्द्रकान्ता वर्मा

श्यामू नाम का एक बड़ा प्यारा बच्चा था। उसके मां-बाप बचपन में ही एक दुर्घटना में मर गए थे। श्यामू के मामा उसे अपने पास ले आए थे। मामी को वह रत्ती भर ना  सुहाता। वह बच्चे से कभी मीठे बोल ना बोली। घर के सारे काम वह उससे से कराती।

हमेशा उसका अपमान करतीं ।उसको बचा हुआ बासी खानां दे देंतीं।मामी की एक बेटी नेहा थी

। बुखार में गलत दवा के कारण उसके आंखों की रोशनी चली गई थी। वह श्यामू को बहुत चाहती थी। श्यामू भी नेहा से बहुत प्यार करता था उसका खूब ध्यान रखता था। हर राखी पर वह नेहा के बर्थडे पर मामी कहती कैसा है तेरा भाई आज तक कभी तुझे कोई उपहार नहीं दिया। बहुत बेईज्जत करतीं मामा मामी को डांटते क्या बात करती हो वह बच्चा है कहां से देगा। श्यामू कहता नेहा जब मैं कमा लूंगा तुझे ढेर सारा उपहार दूंगा। एक दिन मामी बाजार गई थी। श्यामू कपड़े धो रहा था। नेहा उठकर छत पर चली गई। वहां मुंडेर नहीं थी।  कपड़े फैलाने गया देखा नेहा एकदम किनारे पहुंच गई हैं वह दौड़ कर उसे पीछे से पकड़ कर किनारे किया पर खुद ना  सँभल पाने के कारण छत से नीचे गिर गया। नयन के सिर में बहुत चोट आई उसके मामा खूब रो रहे थे अस्पताल में 2 दिन बाद श्यामू को होश आया मामा हां बेटा मैं तेरे पास हूं घबराओ मत ठीक हो जाओगे मामा डॉक्टर साहब को बुला दीजिए। क्या बात है दर्द ज्यादा हो रहा है नहीं डॉक्टर साहब आए  मेरे मरने के बाद मेरी आंखें मेरी प्यारी बहन नेहा को लगा दीजिएगा। तब तक मामी भी आ गई थी वह भी रो रही थी।बोली तुमनें मेरे अपमान का बदला इस तरह दिया।मामी मैंने नेहा को कभी कुछ नही दिया ये मेरा उपहार है। कहते कहते नयन की सांसें उखड़ गई। नेहा को श्यामू की आंखे लगा दी गई।

#अपमान

चन्द्रकान्ता वर्मा

लखनऊ

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