“हेप्पी बर्थडे टू यू…..और कितना जिएगा यार तू….हेप्पी बर्थडे टू यू….हा…हा….हा….हा…”सभी बुज़ुर्ग तालियां बजाते हुए माथुर साब का जन्मदिन मना रहे थे।
ये सुबह की सैर पर बना बुज़ुर्गों का एक मित्र समूह था…जहाँ ये लोग रोज़ मिलते… सैर के साथ हँसी ठहाके लगाते….त्यौहार और एक दूसरे के जन्मदिन मनाते और जी भर कर एक दूसरे पर खुशियां लुटाते थे….जहाँ वे एक दूसरे के सुख दुख बांटते और रोका टोकी और उपेक्षित ज़िंदगी कुछ पलों के लिए बिल्कुल भूल जाते थे।आज माथुर साब का जन्मदिन था….उसी के उपलक्ष्य में केक काटा गया और छोटे छोटे उपहार देकर धमाल मचा रहे थे ये नटखट बुज़ुर्ग।
“क्यों रे….मिश्रा नही आया आज”…अचानक माथुर साहब ने पूछा।
“अरे…. कहीं ऊपर का टिकट तो नही कट गया उसका… ह..हा.हा. “सुराना जी ने चुटकी ली।
“कंजूस कहीं का….गिफ्ट न देना पड़े…. इसी डर से नहीं आया….हा…हा…हा” माथुर साब ने हँसते हुए कहा।
“चलो कोई बात नहीं…. उसके हिस्से का केक मैं खा लेता हूँ…” सिन्हा साब ने केक का टुकड़ा उठाते हुए कहा।
“खा ले…..शुगर की एक गोली ज़्यादा खा लेना… हा….हा…हा..” गुप्ता जी हँसते हुए बोले।
“चलो भाई….अब घर चलें…. ज़्यादा समय हो गया तो फिर घर पर चाय नहीं मिलेगी… हा…हा….हा….” कपूर साब ने कहा।
“हाँ भाई….अब चला जाऐ…. कल फिर मिलते हैं…. बाय…बाय…” माथुर साब ने हाथ हिलाकर कहा…. और अपने गिफ्ट्स समेटने मे लग गए।
“बाय….बाय….सी यू टुमॉरो… हेव ए गुड डे….”सब एक दूसरे कहकर अपने अपने घरों को चल पड़े।
“आज देर तो हो गई है …बर्थडे सेलिब्रेशन के चक्कर में…. अब शायद ही चाय मिले….” माथुर साब मन ही मन सोच रहे थे।
घर मे देखा बहू का पारा चढ़ा हुआ है…।
“दूसरा कोई काम नही है क्या… जो दिनभर चाय ही बनाती रहूं…”बहू ने ऊंची आवाज़ में कहा।
माथुर साब वक्त की नज़ाकत भाँपते हुए चुपचाप अपने कमरे मे चले गए….”अब छोड़ो चाय वाय” मन ही मन बुदबुदाऐ। हालांकि चाय की तलब तो लग रही थी।
कुछ ही देर में डोर बेल बजी।बेटे राजीव ने दरवाज़ा खोला… सामने माथुर साब के मित्र मिश्रा जी खड़े थे….।
“आईऐ अंकल….नमस्कार…”कहते हुए राजीव ने मिश्रा जी के पैर छुए और उन्हें अंदर बैठक मे लाकर बिठाया।
“पापा….मिश्रा अंकल आऐं हैं….”राजीव ने माथुर साब को सूचना दी।
“आओ मिश्रा…. सुबह कहाँ नदारत थे….?”माथुर साब ने गर्मजोशी से कहा।
“मैने सोचा तुझे घर जाकर ही बर्थडे विश करुं और बर्थडे गिफ्ट दूँ….”मिश्रा जी बोले।
“ला….क्या लाया है…?माथुर साब ने हाथ बढाया।
“अरे बेटा राजीव…. बहू से दो कप बढ़िया चाय तो बनवाना….” कहकर मिश्रा जी आँख मारी।
दोनों चाय की चुस्कियां ले रहे थे… मिश्रा जी ने माथुर साब को वाकई लाजवाब तोहफ़ा दिया था…. गर्मागर्म चाय का प्याला…..।
*नम्रता सरन “सोना”*
भोपाल मध्यप्रदेश