तिरस्कार कब तक – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

मुँह में एक कौर रखते ही सूरज ने कहा…. बापरे आज सब्जी में इतनी मिर्ची डाल दी है….. सपना बहू दीपिका को सपोर्ट करते हुए कहती है , कभी-कभी गलती हो जाती है ……  सूरज जी , जान बूझकर … कोई गलती कर सकता है क्या ? सूरज ने कहा— “ कोई बात नहीं है … Read more

तिरस्कार कब तक? – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

“जब तक जिंदा रहेगी,तब तक बुढ़ियाॅं छाती पर मूॅंग दलती रहेगी!” बहू सोमा की कर्कश आवाजें सास दयावती के कमरे की सूनेपन में प्रतिध्वनित हो रहीं थीं। तिरस्कार की चादर में लिपटी दयावती ग़लती का कारण खुद को मान रही थी।अस्सी वर्षीया अशक्त और कमजोर दयावती आत्मग्लानि महसूस कर रही थी। कमजोर शरीर को लाठी … Read more

बस, अब बहुत हुआ – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

    “ओफ्फ हो, ये महुआ को भी आज ही बीमार होना था”    खनक आटा गूथंते गूथंते बुदबुदाई।      आटे की और ध्यान दिया तो दूध उफनते उफनते बचा और उसे तो याद भी नहीं कि कूकर कब से गैस पर चढ़ा रखा है। लगता है आलूओं का तो पानी के अंदर ही भुर्ता बन गया होगा। अब … Read more

*बदलाव* – ममता चित्रांशी : Moral Stories in Hindi

      सासूमां आज सुबह से बड़बड़ा रही है …. जैसे ही बेटा उठकर बाहर आया, मांजी और जोर से बोलने लगी,…मना किया था मैंने,……मत कर शादी इससे …पर हमारे नवाब को तो प्यार का भूत चढ़ा था … अब देखो.!! इसे न ढंग की सब्जी बनानी आये न रोटी … !! बाकी पकवान तो छोड़ ही … Read more

आज रिश्तों से ज्यादा पैसों की अहमियत है गई है – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

पापा आप जल्दी स्वस्थ हो जाइये और अपना ध्यान रखिये,ये मैसेज और एक लाख रूपए का चेक देखकर सत्यप्रकाश जी के गालों पर आंसू की बूंदें लुढ़क गई। उठने बैठने में भी असमर्थ हो चुके सत्यप्रकाश जी सोचने लगें ये कैसी बेबसी है ये क्या जिंदगी है। सत्यप्रकाश जी पिछले आठ महीने से ब्लड कैंसर … Read more

अंतिम विदाई – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आज कैलाश जी  पत्नी सुनंदा पर बहुत बरसे थे। वजह क्या थी सुनंदा भी समझ नहीं पाई थी। पतियों का क्या दुनिया की भड़ास उस पर ही तो निकाली जाती है जो चुपचाप सुन ले और खासकर उन पत्नियों पर जो कुछ ज्यादा ही सहन करतीं हैं। सुनंदा उदास तो हुई पर सोचने लगी जरूर … Read more

“ऐसी बहू क्यों आई!”- सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

“हाय राम! मेरी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहू आई!” – सरला देवी ने चौखट पर बैठते हुए चूल्हे के पास आँचल से माथा पोंछा। गुड्डी भागकर आई, “क्या हुआ अम्मा? कविता बहू ने फिर कुछ कह दिया?” सरला ने व्यथित स्वर में कहा, “कह दिया? अब पूछ! दाल में हींग कम थी … Read more

हाय राम, मेरी तो तक़दीर ही फूट गई जो ऐसी बहू आई! – रजनी कपूर : Moral Stories in Hindi

गाँव की गलियों में आज फिर काकी की आवाज़ गूंज रही थी “हाय राम, मेरी तो तक़दीर ही फूट गई जो ऐसी बहू आई!” काकी यानी कमला देवी, पक्की देसी, झक्क सफ़ेद धोती और मिर्ची जैसी ज़ुबान वाली। बेटा है राजू, शहर से पढ़-लिखकर लौटा और अपने मन से बहू ले आया सुषमा! पर दिक्कत … Read more

अब तो पड़ जाएगी ना तुम्हारे कलेजे में ठंडक – प्रीती श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

,”अब तो पड़ जाएगी ना तुम्हारी कलेजे में ठंडक” रमा, सूरज की पत्नी, एक सीधी-सादी, घरेलू और पारंपरिक स्त्री थी। उसे रसोई, पूजा-पाठ, और घर की जिम्मेदारियों में ही सुकून मिलता था। वो सबका ख्याल रखती थी, पर बहुत चुपचाप और बिना दिखावे के। सीमा, चंदन की पत्नी, शहर से पढ़ी-लिखी, तेज़-तर्रार और आत्मविश्वासी लड़की … Read more

 तिरस्कार कब तक – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

मैं मधु छोटे से मध्यम वर्गीय परिवार की बहु पत्नी और मां हूं… वर्तमान में यही मेरी पहचान है… कभी साल दो साल पर दो दिन के लिए मायके जाती हूं तो लगता है मैं भी किसी की बेटी हूं बहन हूं… ब्याह कर ससुराल की दहलीज पार की उसी पल से मान स्वाभिमान इच्छा … Read more

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