“दीपशिखा – एक बेटी का उजास” – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

अध्याय 1: जन्म एक दीप का सहादरा गांव की वह सुबह कुछ अलग थी। हल्की गुलाबी धूप खेतों पर पड़ी थी और बासमती की फसलें बयार में झूम रही थीं। उसी सुबह रघुनाथ बाबू के घर बेटी ने जन्म लिया। उसकी माँ सरला देवी ने जैसे ही नवजात को देखा, उसका नाम “शिखा” रखने की … Read more

“जो खुद को नहीं छोड़ सकी” – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

रागिनी जब पैदा हुई थी, उसकी माँ उसे छाती से लगाकर केवल तीन महीने ही जी पाई थी। माँ की मौत के बाद उसके पापा ने उसे जैसे-तैसे बड़ा किया। बचपन कड़की में बीता, लेकिन रागिनी की आँखों में कभी ना हौसले की, ना उम्मीद की कमी हुई।  वो पढ़ना चाहती थी। दिन में सिलाई-कढ़ाई … Read more

सबको खुश रखा जा सकता है क्या? – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

काजल! हमारा खाना हो गया है, तुम खाना खाकर कल के लिए चने भिगो देना, याद है न क छोले भटूरे बनाने हैं, रसोई में आकर लक्ष्मी जी ने अपने बर्तनों को सिंक में रखते हुए अपनी बहू काजल से कहा, तभी उनकी नज़र काजल की थाली में जाती है तो वह हैरान होकर कहती … Read more

“विवाह बिना दहेज” – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

साल १९९६ की बात है। बिहार के पटना शहर से कुछ ही दूरी पर बसे एक साधारण गाँव में रीना सुमन अपने पिता के छोटा-सा घर में बैठी, किसी अनजाने भय से जूझ रही थी। उसका विवाह तय हो चुका था – एक ऐसे युवक से, जो दिखने में अच्छा था, लेकिन बेरोजगार था,फिर भी … Read more

कब तक सहूं – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

 आज अचानक रात में अपनी तीनों बेटियों और दामादों को देखकर उमा देवी की आंखों में आंसू भर आए, और कमजोर आवाज में बोली-” आप लोग अचानक रात में कैसे आ गए, चलो अच्छा ही हुआ आप सब एक साथ आ गए, मुझे अब शमशान घाट छोड़कर ही वापस जाना। ”       उन सब लोगों ने … Read more

अपशगुनी – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi

बस करो!!! शुभ्रा ज़ोर से चीखी और उसकी चीख के साथ ही हवेली के आंगन का शोर एकदम थम सा गया। महिलाओं का जो जमघट वहां लगा था उसमें शांति छा गई।यह सारी महिलाएं गांव के ज़मींदार चौधरी  रतन सिंह की हवेली में आज उनकी बेटी शुभ्रा के विवाह के लिए इकट्ठा हुई थी।आज मेहंदी … Read more

मेरी तो किस्मत ही फूट गई जो ऐसी बहु मिली। – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

संध्या की सर्दी धूप की बची-खुची तपिश को निगल चुकी थी। रिया का छोटा सा कमरा अब घर का दिल बन चुका था। उसी कमरे में कोने में बैठी बुआजी पुरानी साड़ी को सीधा करके रिया से पूछ रही थीं — “बिटिया, इसमें बॉर्डर बहुत सुंदर है… इससे कुछ और बन सकता है क्या?” रिया … Read more

तुम कभी बडी भाभी जैसी खुबसुरत नहीं दिख सकती !! – स्वाती जैंन : Moral Stories in Hindi

वाणी सुबह सोकर उठी तो देखा उसके बगल में से आकाश उठकर जा चुका था !! वाणी उठकर नहा धोकर तैयार हुई और फिर रसोई में पहुंची तो उसकी जेठानी चेतना आश्चर्यचकित होकर बोली – वाणी , कल शादी की पहली रात थी तुम्हारी , इतना जल्दी क्यों उठ गई ?? वैसे भी शादी की … Read more

मेरी तो किस्मत ही फूटी है – डॉ ऋतु अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

    “नीतिका! तुम हर वक्त यह क्यों चाहती हो कि सब तुम्हारी ही बात माने। यह याद रखो कि घर की मालकिन और बड़ी मैं हूँ न कि तुम।” मंगला अपनी छोटी बहू नीतिका को जोर-जोर से डाँटे जा रही थी।          ” माँ! यह भी कोई कहने की बात है? आप ही इस घर की बड़ी … Read more

दीवार पर टंगी पिता की तस्वीर – मनु वाशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

आज पिताजी को गुजरे पूरा एक महीना हो चुका है। चलो सब कार्य अच्छी तरह से निपट गया। अब मैं भी, पत्नी को साथ लेकर, कहीं तीर्थाटन के लिए जाने की सोच रहा हूं। यह दायित्व भी पूर्ण हुआ, दायित्व ही तो है। मैं मन ही मन अपनी काबिलियत पर खुश हूं, एक जिम्मेदारी को … Read more

error: Content is protected !!