रिश्ते जो झगड़े में भी हारते नहीं – ज्योति आहूजा

नील और परिधि ।इनकी शादी को 5 वर्ष बीत चुके हैं। आम परिवारों की तरह यह भी आपस में कभी तो प्रेम का भाव दिखाते हैं तो कभी बच्चों की तरह लड़ते नजर आते हैं। अब कुछ समय पहले की ही बात है। नील परिधि से कहता है “मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही … Read more

तमाचा – परमा दत्त झा :  Moral Stories in Hindi

अरे न्यू मार्केट चलेगा -राधा ने टैम्पो वाले से पूछा। जी चलिए -वह विनम्रता से बोला। पर मैं डेढ़ सौ रूपए दूंगी।-वह बोली। इसपर उसने हां में सिर हिलाया। वह बैठी तो आराम से अपना बैग टैम्पू में रख दिया।इतना ही नहीं न्यू मार्केट तक वह एक शब्द नहीं बोला। बस वह न्यू मार्केट आकर … Read more

 संयोग – परमा दत्त झा :  Moral Stories in Hindi

आज रानी परेशान थी कारण वह आटो वाला उसे देखता था तो पूरी आवभगत के साथ सम्मान के साथ बिठाता था। परंतु न जाने क्या था कि उसे बुरा लगता था। इस आटो बाले का नाम बबलू है।बस सवारी ढोना,काम से मतलब रखना,फिर इसे देखने का कारण — वह परेशान हो गयी तो पति से … Read more

आत्म सम्मान – बीना शर्मा :  Moral Stories in Hindi 

“मोनिका जल्दी से खाना बना दो बहुत तेज भूख लग रही है” माधव ने जब अपनी पत्नी मोनिका से कहा तो उसकी पत्नी मोनिका बोली “आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है और वैसे भी मैं खाना अच्छा नहीं बनाती इसलिए आज तुम मम्मी जी, रश्मि या फिर काजल से अपने लिए खाना बनवा लो जिनके … Read more

क्या रिर्टायरमेंट सिर्फ ऑफिस जाने वाली महिलाओं के लिए होता हैं – स्वाती जैन :  Moral Stories in Hindi

धनलक्ष्मी जी ने जब अपनी बहन और उसकी बहू को एक साथ गप्पे लड़ाते देखा तो अपनी होने वाली बहु आकांक्षा के लिए उनका प्यार ओर उमड़ पड़ा और वे मन ही मन सोचने लगी बस जल्दी बेटे ललित की शादी हो जाए तो मैं भी इसी तरह रसोई में काम करते हुए आकांक्षा से … Read more

ममता – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ :  Moral Stories in Hindi

“अम्मा,  मैंने आपके पास जो रुपये जमा किये हैं उनमें से आज मुझे 100 रुपये दे देना।” कहकर बिंदिया फिर से अपने काम में लग गयी।     “ठीक है, जाते समय ले जाना…वैसे आज क्या बात है आज तो तू बड़ी खुश है?”      “हाँ अम्मा, आज मेरी बेटी आशा का जन्मदिन जो है आज वह पूरे … Read more

मैं कठपुतली नहीं हूँ – संगीता त्रिपाठी :  Moral Stories in Hindi

” प्रतियोगिता का परिणाम निकल आया, शुभम का क्या रिजल्ट आया “       “अरे कब निकला भाभी “पड़ोसन की बात सुन शोभा बेटे के कमरे की तरफ गई,   कमरा खाली था, बाथरूम में देखा वहाँ भी शुभम नहीं दिखा, अब तो शोभा का माथा ठनका, आज सुबह से ही शुभम अनमना था, शोभा ने ध्यान नहीं … Read more

ससुराल वाले बड़ी बहू को इंसान नहीं समझते क्या – मधु वशिष्ठ :  Moral Stories in Hindi

ससुराल वाले बड़ी बहू को इंसान नहीं समझते क्या? सब सारी उम्मीदें मुझसे ही लगाएंगे।  उनके आने पर अम्मा भी उन पर ऐसी बलिहारी जाएगी कि पूछो ही मत। हम तो हर समय साथ रहते हैं ,हमारी कोई कीमत ही नहीं है। अगर इतना ही प्यार जताना है तो क्यों नहीं उनके साथ ही चली … Read more

सच्चे रिश्तों का मूल्य – माधवी मूंदरा :  Moral Stories in Hindi

पन्नालाल जी एक परंपरागत व्यक्ति थे। वे अपने परिवार के साथ रहते थे—पत्नी, दो बेटे और उनकी बहुएँ। उनका बड़ा बेटा पढ़ाई-लिखाई में तेज़ था, ईमानदार और सादगी पसंद भी। पर जब उसकी शादी की बारी आई तो पन्नालाल जी के मन में समाज में ऊँचा दिखने और दहेज के लालच ने जगह बना ली। … Read more

बड़ी बहू को ससुराल वाले इंसान क्यों नहीं समझते -क़े कामेश्वरी :  Moral Stories in Hindi

ट्रिन ट्रिन फोन की घंटी बजी प्रतीक ने आवाज दी प्रमिला देखो मेरा फोन बज रहा है। प्रमिला शायद घर पर नहीं थी वह दूध लेने के लिए गई हुई थी। जब प्रमिला का कोई जवाब नहीं आया और नानस्टाप घंटी बज रही थी तो खुद उसे उठाने गया नाम देखा प्रभात उसके छोटे भाई … Read more

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