जंग – संगीता त्रिपाठी 

 “नेहा ,तुम मुझे नही पहचान रही …मैं तुम्हारा पति विनय..”विनय  अधिकार से नेहा का रास्ता रोक कर बोला ।    “मेरा रास्ता छोड़ दें ..”     “कैसे छोड़ दें ,मत भूलो नेहा कानूनन तुम अभी भी मेरी पत्नी हो “दुष्टता से विनय बोला    “हां मां ,आप अपने पति और बेटे  को भूल गई ..”    बेटे की बात … Read more

दिल ढूंडता है – रवीन्द्र कान्त त्यागी

“नाश्ता तैयार हो गया क्या नीतू? जरा जल्दी निकलना है।” बाथरूम से नहाकर निकलते हुए बेताब से मधुर ने कहा। “अरे गीता, नाश्ता तैयार हो गया क्या। साहब को जल्दी निकलना है।” नीतू ने आवाज लगाई। “बस मेमसाब, आलू उबलने ही वाले हैं।” “ओ माय गौड़। अभी देर लगेगी। मुझे निकलना पड़ेगा नीतू। बिल्डिंग में … Read more

सपने सुहाने – गरिमा चौधरी

सुबह का समय था। रसोई से ज़ोर–ज़ोर से बर्तनों की खनखनाहट आ रही थी, मानो बर्तन नहीं, किसी के मन की कड़वाहट टकरा–टकरा कर आवाज़ कर रही हो। नेहा ने गैस पर चाय चढ़ाते हुए फिर एक नज़र दीवार पर घड़ी की तरफ़ डाली। “आठ बजने वाले हैं और ये लड़की अभी तक बिस्तर से … Read more

क्या? मम्मी जी आपके यहां करवा चौथ नहीं मनाते। – ज्योति आहूजा

हर लड़की की तरह सारिका के मन में भी शादी को लेकर तरह- तरह की उमंगे थी। शादी के बाद उसका ससुराल कैसा होगा? ससुराल में हर तरह के फंक्शन, त्यौहार खूबधूमधाम से मनाए जाते हो। सजने सवरने की शौकीन सारिका इसी उमंगों के साथ अपना रिश्ता होने के बाद शादी के दिन का इंतजार … Read more

रिश्ते महंगे तोहफो के मोहताज नहीं होते ! – स्वाती जैंन

अरे दीदी ,  जेठानी जी का गिफ्ट क्या देखना , उनके भाई ने तो सिर्फ एक पाँच सौ रुपए की हल्की साड़ी और मिठाई का डिब्बा पकड़ा दिया हैं , रानी हंसते हुए अपनी ननद आकांक्षा से बोली !! देवरानी के लिए जेठानी के मायके से आया हुआ गिफ्ट उपहास का विषय बन चुका था … Read more

   बाबा तेरे आंगन की….

चलिए कन्यादान की रस्म होने वाली है पंडितजी बुला रहे हैं मेघा ने आकर कहा तो रामेश्वर जी के दिल में एक हलचल सी मच गई मानो प्राचीन रस्म रिवाज वर्जनाओं की बेड़ियां तोड़ने को बेताब हो गए हों। जब से निम्मी की शादी तय हुई अजीब सी आकुलता उनके मन को बेचैन करती रहती … Read more

किस्मत अपना रास्ता खुद चुनती है – गरिमा चौधरी

रीमा ने गेट से अंदर दाख़िल होते ही नाक पर रुमाल रख लिया। “हे भगवान, ये कैसी जगह है?” उसने धीरे से माँ के कान में फुसफुसाया, “चारों तरफ़ धूल, खुले नाले, गाय-बैल… और आप कह रही थीं कि यहाँ ‘बहुत बड़ा कारोबार’ है!” माँ ने आँखें तरेरीं—“धीरे बोल, लोग सुन लेंगे। ये तेरे मामा … Read more

घूँघट

शादी के बाद पहली बार नैना अपने पति के साथ मायके आ रही थी  नैना की भाभी( मधु)—सुबह से ही बिना रुके दौड़-भाग में लगी थी। चूल्हे पर खीर उबल रही थी, गैस पर कढ़ी चढ़ी थी और बीच-बीच में वह सजावट भी ठीक करती जा रही थी। उधर, मधु की देवरानी निधि, जो नई-नई … Read more

ससुराल के नियम

सुबह के सात भी नहीं बजे थे कि शर्मा हाउस की घंटी ज़ोर से बजी।अंदर रसोईघर में सब्ज़ी काटती अवनि ने चौंककर घड़ी देखी—“अरे, आज तो सीमा इतनी जल्दी आ गई?” सीमा घर की कामवाली थी, जो आम तौर पर साढ़े सात–आठ के बीच आती थी।दरवाज़ा खोलते ही अवनि ने देखा—सीमा सिर पर पुराना सा … Read more

अधिकार कैसा? – रेखा जैन

“अंकिता तुम्हारा भी अधिकार है। तुम भी अपनी इच्छा बोल सकती हो कि तुमको किसके साथ रहना है? ये तुम्हारा हक है!” “ये कैसा अधिकार जो ये चयन करने में काम आए की मुझे मम्मी के साथ रहना या पापा के? मुझे तो दोनों के साथ रहना है। और अगर उन दोनों को मेरी परवाह … Read more

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