दायाँ हाथ – अनुज सारस्वत

मन_के_भाव (फादर्स डे के उपलक्ष्य में) “ऐसा है मम्मी मैं घर छोड़कर चला जाऊंगा या कुछ खा पीके मर जाऊंगा अगर मुझे बाईक नही दिलायी पापा ने तो ,सुगंधा की शादी के लिए तो पैसे जाने कहाँ से आगये और अपने  लड़के के लिए फटेहाली का रोना ,मैं सब समझता हूँ आज पापा से बात … Read more

चीख – गरिमा जैन

चित्रकथा स्कूल के स्टाफ रूम में बात करती शिक्षिकाएं) विमला : बेटा नहीं बेटे के नाम पर कलंक है। मां को मार डाला !वह भी छह गोली एक साथ और तो और लाश भी छुपा दी! छी छी ऐसे बच्चे से तो बच्चा ना होना अच्छा। कमला : अरे अखबार में तो आया था कि … Read more

दोस्ती – सुनीता मिश्रा

हम तीन, यानी मैं, प्रमिल और सुमित। कहते है तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा। पर यहाँ उल्टा था हम तीन तिगाड़ा काम सुधारा थे। प्रमिल सबसे होशियार, पढाई में अव्वल, अच्छा एथलीट, अच्छा वक्ता , गायक, बोले तो परफेक्ट परसन। सुमित एवरेज, और मैं सबमें फिसड्डी। पर दोस्ती में कोई अंतर नहीं। 5th क्लास से एक … Read more

पेंटिंग – शालिनी दीक्षित

“हाय माम्………” “अरे बेटा……..तुम जल्दी आ गईं?” तरु की आवाज सुनकर प्रिया चौंकते हुए बोली। “आज तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी इसलिए हाफ डे लेकर आ गई; लेकिन आप धूप में पुरानी फोटोज के साथ क्या कर रही है?” प्रिया के पास बैठते हुए तरु ने पूछा। “तबीयत ठीक नहीं क्या हुआ…….पहले यह … Read more

अधूरा स्वप्न  -किरन केशरे

‘एक प्याली चाय’ मन को  कितनी संतुष्टि प्रदान करती है ! जब हम थककर चूर हो ,सर्दियों भरे दिन हो ,बारिश का हरियाली मौसम हो और साथ मे कोई मनपसंद स्नैक्स । “बस ऐसा लगता है  ,जैसे इससे बड़ा सुख कोई नही” । लेकिन मानू को ये सब कहाँ नसीब ,सुबह से शाम कब हो … Read more

सिर्फ़ माँ हूँ – विभा गुप्ता

    ” वकील साहब, आप कल 11 बजे आकर सभी कागज़ात पर मुझसे दस्तख़त करवा लीजिए, इस काम में मैं और देर करना नहीं चाहती।” अपनी बात पूरी करके मानसी फ़ोन रख ही रही थी दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई,  ” लेकिन मैडम, इसमें आपने अपने बड़े बेटे को तो कुछ भी नहीं दिया है।” “ये … Read more

कसक – कमलेश राणा

पिछ्ले वर्ष जनवरी में मेरे छोटे बेटे की सगाई हुई।सभी लोग बहुत खुश थे।खासतौर से बड़ा बेटा बहुत उत्साहित था। बोला,” पापा, इस बार सारा इन्तज़ाम मैं करूंगा।” अब booking का सिलसिला शुरू हुआ।शहर का सबसे अच्छा resort बुक किया गया,बैंड फोटोग्राफर,हलवाई सब अच्छे से अच्छे,,,,, जोरदार शॉपिंग हुई।बड़ी बहू और बेटी ने सुन्दर सुन्दर … Read more

निशीगंधा – अनु मित्तल “इंदु”

बात उन दिनों की है जब मैं M.A.Eng करने के लिये अमृतसर आई थी । उन दिनों मैं बेरी गेट में D.A.V.college of Education के होस्टल में रहती थी M.A.का मेरा सेकेंड year था । मैं अपने रूम में एक रात अपने exam की तैयारी कर रही थी । रात के 12बजे का टाईम था … Read more

“अस्मिता की ऊंची दीवार” – सुधा जैन

संजना अपने मन में सपनों का संसार सजाएं ससुराल आई। ससुराल भरा पूरा चार भाई, दो बहनें, घर में खेती-बाड़ी सब कुछ था ।संजना खूब पढ़ी-लिखी तो नहीं, लेकिन  समझदार ,सुशील और सुंदर है। चार भाइयों में उसके पति संजय तीसरे नंबर के हैं। वह भी खूब पढ़े-लिखे नहीं है, पर बहुत मेहनती  है, और … Read more

एक सुबह – सुनीता मिश्रा

सुबह के छह बज रहे होँगे,दिसम्बर का महीना,रजाई से निकलने के लिये हिम्मत बटोरनी पड़ती है।।जाग तो हम दोनों ही गये थे।पर उठे कौन।जो पहिले उठेगा वही चाय बनाएगा। पति पत्नी भले ही पूरी जिन्दगी लड़ते झगड़ते बिता दे पर बुढ़ापा सच्चे दोस्त की मानिन्द होता है।चलो आज बुढऊ को चाय बनाकर हम ही पिलाए।रजाई … Read more

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