“आठवां फेरा” – संगीता अग्रवाल

” भाई साहब हमे तो आपकी बेटी बहुत पसंद आई। जैसी बहू की हमने कल्पना की थी बिल्कुल वैसी है आपकी काशवी!” अपने बेटे के लिए लड़की देखने आई मधु जी लड़की यानी की काशवी से मिलकर बोली। ” जी बहनजी ये तो बहुत अच्छी बात है अब काशवी की मां तो है नही सास … Read more

चितकबरी….. सीमा बत्रा

मंजूला अपनी माँ बाप की नौ संतानो में से 7वें नंबर पर थी। 6बहने 3 भाई, दादा और दादी से भरा पूरा घर था। मारवाड़ी परिवार में किसी भी चीज की कमी नही थी। पिता घन्श्याम अग्रवाल 1950-60 में भी कीफी प्रोगेसिव विचारों के थे। उन्होंने अपने बच्चों में कोई भेदभाव नही किया। तब लड़कियों … Read more

बेटा – गरिमा  जैन 

मां यह एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर कानो को ही नहीं आत्मा को भी सुकून मिलता है पर आरती के लिए यह शब्द दिल को सुकून देने वाला कभी रहा ही नहीं ।आज सुबह जब पापा का फोन आया तब उन्होंने रोती हुई भराई आवाज में कहा “आरती तेरी मां बहुत बीमार है, डॉक्टर … Read more

मम्मी मिल गई – सुधा जैन

अनाया बहुत ही प्यारी सी लड़की है ।अपना एजुकेशन कंप्लीट करके बैंक में काम करने लगी है। अपने पापा और मम्मी दोनों की लाडली थी। अनाया के पापा ने लव मैरिज की थी, इस बात को ना तो अनाया के  पापा के परिवार वाले स्वीकार कर पाए और ना मम्मी के, इसलिए उसे ना तो … Read more

खाली कोना-रीटा मक्कड़

आज  नीरजा की आंखों से नींद कोसों दूर भाग गई थी।दिमाग को विचारों की उथल पुथल ने घेर रखा था। उसको खुद को ही समझ नही आ  रहा था कि वो अंदर से खुश है या उदास है । एक बार कहीं पढ़ा था कि ज़िन्दगी एक किताब है जिसमे हर दिन हम नए पन्ने … Read more

गलत को गलत कहने की हिम्मत -लतिका श्रीवास्तव

आज फिर  पड़ोस से जोर जोर से किसी बच्चे और उसकी मां के रोने की आवाजे सुनाई दे रही थीं, शुभ्रा को ऐसा रविवार नही चाहिए था…आवाजे जब करुण रूदन सी चुभने लगी तब उसकी सहन शक्ति जवाब दे गई पतिदेव के टोकने पर भी कि रुको उनके घर का मामला है उसका पति आज … Read more

न्याय-रीटा मक्कड़

‘बहु…रागिनी बहु जरा इधर तो आना” ‘जी मम्मी जी” ‘वो कल अंजली बिटिया और दामाद जी आ रहे हैं। खाने में कुछ अच्छा सा बना लेना।तेरे पापा जी बाजार जा रहे हैं।जो चाहिए अभी से मंगा लेना उनसे” “जी मम्मी जी मैं अभी लिस्ट बना कर लाती हूँ।’ रागिनी जल्दी से ससुर जी को लिस्ट … Read more

जीत या हार – कमलेश राणा

राणा कीरत सिंह एक छोटी सी रियासत के राजा थे,,वह बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के  इन्सान थे,, उनके राज्य में यज्ञ,पूजा,हवन होते ही रहते,,उन्होंने ब ड़े-बड़े मंदिर बनवाये,उन मंदिरों के पुजारियों की गुजर बसर के लिये उन्हें कृषि योग्य भूमि भी दी गई,, वह प्रजावत्सल और न्यायप्रिय राजा थे,, उस समय देश में बहुत सारे छोटे-बड़े … Read more

सौगात – अनिता गुप्ता

“ये कोई उम्र है शादी करने की , समाज क्या कहेगा ?” मालती जी ने सुरेशजी से कहा। ” समाज तो कुछ ना कुछ कहता ही रहता है। अभी भी तो कह रहा है। इसलिए ही तो शादी करने की बात कह रहा हूं। शादी के बाद कुछ दिन बोलेंगे, फिर चुप हो जायेगें। ” … Read more

सहारा – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

प्रतिदिन की एक जैसी दिनचर्या थी सोनाली की ।सुबह-सुबह उठना,जितना जल्दी हो सके घर के सभी कामों को निपटाना, अपने और अपने पति के लिए नाश्ता पैक करना ,सात साल की तान्या को स्कूल के लिए तैयार करना और उसे लेकर ओटो स्टैंड की ओर भागना। पति उसे वहीं ड्रॉप कर अपने ऑफिस के लिए … Read more

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