पुनर्मिलन का चाँद…  – विनोद सिन्हा “सुदामा”

वंशिका ऑफिस से अभी घर आई ही थी कि उसकी माँ का फोन आ गया… थोड़े अनमने ढंग से उसने माँ का फोन उठाया.. हाँ माँ बोलो…. अरे कहाँ थी बेटा…? कबसे फोन ट्राई कर रही लगातार बंद बता रहा..सब ठीक तो है.. हाँ माँ वो मोबाईल की वैटरी डिस्चार्ज हो गई थी.. वर्क लोड … Read more

” मेरी प्रेरणा ” – गोमती सिंह

घर में डाक पोस्ट से ये सूचना मिली थी कि मुझे छत्तीसगढ़  साहित्य साधना संस्था में कहानी प्रतियोगिता में बिलासपुर जिला से प्रथम पुरस्कार ग्रहण करने के लिए बिलासपुर में आमंत्रित किया गया है।  सूचना पढ कर मैं फूला नहीं समा रही थी , मेरे पांव जमीं पर नहीं पड़ रहे थे । दौड़ते हुए … Read more

एक ख्वाब टूटे तो क्या दूसरा ख्वाब तुम सजाओ  – संगीता अग्रवाल

#ख़्वाब  ख्वाब सोती आंखों से देखे हुए कुछ सपने जिनका कई बार हकीकत से कोई सरोकार नही होता। लेकिन जब यही सपने जागती आंखों से देखे जाएं तो जिंदगी का वो अटूट हिस्सा बन जाते हैं जिन्हें पूरा कर पाने या ना कर पाने दोनो सूरतों में इंसान की जिंदगी बदल जाती है क्योंकि पूरा … Read more

घरेलू सपने – अनुपमा

रचना उठो चाय पी लो आकाश ने रचना को आवाज दी तो रचना ने आंख खोल के देखा सामने आकाश हाथ मैं चाय और बिस्कुट की ट्रे लेकर खड़ा था ,रचना बड़े आश्चर्य से आकाश की तरफ देखा तो आकाश मुस्कराने लगा और उसके गाल पर प्यार से चपत लगा दी और कहा जल्दी से … Read more

सपनों की कीमत – संजय मृदुल

काठ के पुतले की तरह बैठे नरेंद्र पंडित जी के निर्देश का पालन किये जा रहे थे। मानो  बस कान ही हों वहां, बाकी शरीर और आत्मा बेटी को अनन्त आकाश में ढूंढने गयी हो जैसे। दशगात्र है आज रुचि का। मंडला में नर्मदा के संगम में क्रियाकर्म सम्पन्न करते नरेंद्र का मन हुआ कि … Read more

विदाई का टीका – नीरजा कृष्णा

इस वर्ष  माँबाबूजी के जाने के बाद राखी दीदी और जीजाजी पहली बार उनके पास एक सप्ताह के लिए आ रहे थे। राजेश और रागिनी बहुत खुशी से सब व्यवस्थाएँ देख रहे थे। राशन के सामानों की लिस्ट बन रही थी, तभी राजेश बोल पड़ा, “देखो रागिनी! बहुत दिनों पर दीदी जीजाजी के साथ आ … Read more

सपनों से समझौता ** – डॉ उर्मिला शर्मा

  #ख़्वाब एक छोटे से शहर के निकटवर्ती गॉव की नम्रता स्नातक की छात्रा थी। जो रोजाना सायकिल से शहर के कॉलेज में पढ़ने जाया करती थी। औसत दर्जे की पढाई में नम्रता बहुत ही महत्वाकांक्षी लड़की थी। घर में तीन भाई- बहनों में नम्रता सबसे छोटी सबकी चहेती थी। उसका निम्न मध्यमवर्गीय परिवार बुनियादी जरूरतों … Read more

सुखद परिवर्तन – नीरजा नामदेव

●◆●●●◆●●   वीरा एक साधारण घर की लड़की थी लेकिन बहुत ही सुंदर थी । इसलिए एक बहुत ही बड़े घर से उसके लिए रिश्ता आया।जब उसकी शादी हुई और उसने अपने ससुराल पहुंच कर देखा कि वह तो एक बहुत बड़ी और पुरानी हवेली है। उनका घर तो साधारण दो कमरों का  था ।वह इतनी … Read more

कांच में हीरे का एहसास – गोमती सिंह

—- सुबह सुबह गेट का ताला खोल कर मैं वहीं भोर का मनमोहक नजारा देखने में खोई हुई थी,  तभी देखती हूँ कि छोटे छोटे बच्चे नादान,मासूम लगभग 5-7वर्ष की उम्र के दौडते हुए तेजी से आए और सड़क के किनारे पर बने कूड़ेदान में सब के सब घुस गये ।    सभी बच्चे मैले कुचैले … Read more

किन्नर – भगवती सक्सेना गौड़

पति पत्नी में छोटे मोटे झगड़े होते ही रहते हैं, उसमे नीता और शेखर एक दिन कुछ ज्यादा ही बहस करने लगे। शेखर जोर से बोले, “इस उम्र में भी तुम्हारा हैं मटक्का चालू रहता है। जरा शर्म करो।” “हां, तुम तो दूध के धुले हो, याद करो, शादी के 10 वर्षों तक अपनी लैला … Read more

error: Content is protected !!