जिंदगी इम्तिहान लेती है…. – सुधा जैन

 रक्षाबंधन पर्व पर बेटा शुभम और बिटिया सृष्टि आए हुए है.. हम सब बैठकर बातें कर रहे थे शुभम कहने लगा “आप अच्छा लिखते हो,  और इसलिए सब कुछ अच्छा लिख पाते हो क्योंकि आपका बचपन भी भरा पूरा रहा और प्रभु कृपा से शादी के बाद भी सब कुछ अच्छा है” लेकिन सभी के … Read more

नशा और फरिश्ता – अनामिका मिश्रा 

नरेश पढ़ा लिखा अच्छा इंसान था। पर गलत संगति में पड़कर नशा का आदि हो गया था। अपनी योग्यता का उसे जरा भी ध्यान नहीं रहा।  दो बेटे थे। पर कुछ काम धंधा नहीं करता था। जो कर रहा था उसने वह भी छोड़ दिया। भैया भाभी ने भी पल्ला झाड़ लिया। कब तक पैसे … Read more

दुविधा – रीटा मक्कड़

आज बहुत सोच में पड़ी थी मीता और अजीब सी कशमकश ओर दुविधा में भी फ़स गयी थी अभी चार दिन पहले की बात थी उसकी दोनो बड़ी वाली ननदें आयी हुई थी। सब लोग आराम से अंदर बैठ कर बातें कर रहे थे। मीता रसोई घर मे उनके लिए चाय नाश्ते की तैयारी में … Read more

ना बेटा बुरा ना बेटी – संगीता अग्रवाल

“पापा आप अकसर अखबार पढ़ते मे मुस्कुरा कर मुझे प्यार क्यों करने लगते हैं.” आठ साल की बुलबुल ने अपने पापा रवि से पूछा. ” कुछ नही लाडो बस ऐसे ही जा तू स्कूल जा, अच्छे से पढ़ना.” रवि ने बेटी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा. ” बेटी को ना सही हमे तो … Read more

“सासु वही जो बहू मनभाए” – सीमा वर्मा

“अम्मा ममतामयी तो हैं ना? उन्हें गुस्सा तो नहीं आता ?” ” तुम गलत सोच रही हो ,वह जितनी ममतामयी हैं, उतनी ही कड़क भी “। छह साल की उम्र में ही माँ को खो चुकी शगुन की सारी आशाएं तुषार की अम्मा पर ही टिकी हैं। मां की प्यारी सी तस्वीर तुषार ने डाइनिंग … Read more

*चाचाजी और मारिए मुझे* – ओम

#मन_के_भाव   मैं चौथी क्लास में था ,तभी मेरे पिताजी का स्वर्गवास हो गया और हमसब,मैं ,बड़े भैया और मां अपने चाचाजी के घर रहने लगे।चाचाजी का परिवार काफी छोटा था।परिवार में चाचाजी,चाचीजी और उनका एक साल का बेटा।चाचाजी बहुत बड़े बिजनेस मैन थे,और बहुत दबंग स्वभाव के थे।काफी मेहनती, सामाजिक और कड़क स्वभाव वाला … Read more

नया पन्ना  – डा. मधु आंधीवाल

#ख़्वाब मां आज मेरा फाइनल इन्टरव्यू है आज तो कुछ बोलो मां केवल तुम्हारे बोल सुनने को मैं तरस गयी । मां पापा और सब परिवार वालों की सजा मुझे क्यों दी मां ? ये एक विनती उस यौवना की थी जिसका नाम युविका था । वह मौन साधिका अपूर्व सुन्दरी कभी यौवनावस्था में चांद … Read more

बरगद की छांव में – संजय मृदुल

गांव के बाहर तालाब के किनारे एक विशाल बरगद का वृक्ष था, कोई नहीं जानता था कितना पुराना है वह। जितनी मुँह उतनी बातें। बुजुर्ग बताते की दो सौ साल से भी पुराना है। सुबह के समय तो वहां काफ़ी चहल पहल होती, गांव के लोग निस्तारी के लिए तालाब का उपयोग करते। एक घाट … Read more

भाभी – गरिमा जैन

एक दिन जब मैं एक दुकान पर कुछ सामान खरीदने गई तो अचानक भाभी का संबोधन सुनकर मैं चौक पर दुकान वाले को देखने लगी। वह मुझसे कह रहा था “अरे भाभी जी पसंद न आए तो वापस ले जाइएगा “ मैं जैसे बहुत ही असहज हो गई ।भाभी, यह शब्द जो मुझे सुनने में … Read more

 जिम्मेदारी – मनीषा भरतीया

#ख्बाब जिन्दगी में ख्बाब हर कोई देखता है… लेकिन सब के ख्बाब पूरे नही होते… और कभी ख्बाब पूरे तो होते है… लेकिन उस रास्ते पर चलकर जिसपर इंसान मजबूरी वश जिम्मेदारियों को ढोने के लिए चलता हैं… हमारी आज की कहानी इसी पर आधारित है…  चंचल 14 साल की  शालीन और समझदार लड़की…. दीनानाथ … Read more

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