छत वाला प्यार – रीटा मक्कड़

आज भी वो दिन आंखों के सामने एक चलचित्र की भांति घूमते रहते हैं।जब लोगों का प्यार छत्तों पर परवान चढ़ा करता था। तब आज की तरह एक दूसरे से बात करने को फोन तो होते नही थे। कि जो अच्छा लगे जल्दी से उसको संदेश भेज दो या फिर फोन करके अपने दिल की … Read more

ख्वाब – वंदना चौहान

बारात में जा रहा है, ज्यादा उछल-कूद मत करना और हाँ नशा करके डांस करने वालों से दूर ही रहना, अपने मामा के आसपास ही रहना । अगर कोई गड़बड़ की तो टाँग तोड़ दूँगी तेरी ।   माँ की कड़कड़ाती आवाज सुनकर पिंकू थोड़ा सहम गया फिर उसने धीरे से कहा-  हमेशा डाँटती रहती हो … Read more

माल्यार्पण – गोमती सिंह

************* आज उसका मन ब्याकुल होनें लगा अकुलाने लगा ।उसके मन में ये बात आ रही थी कि क्यों न कोई गोली खा लूँ,  जिससे कहानी फटाफट लिखी जा सके ।लेकिन कहानी लिखने की कोई गोली नहीं खाई जाती है, ये तो अनुभव की मोती होती है, जिसे शब्दों की लङियों में पिरोकर वास्तविकता की … Read more

अपना घर – भगवती सक्सेना गौड़

रवीना के रिटायरमेंट का दिन था, फेयरवेल के लिए आफिस आयी थी। माधवी ने आकर गले मे फूलों का हार डाला, और तालियों की गूंज उंसकी आंखों में धुंधलापन ले आयी थी। आफिस के हर कलीग ने उंसकी तारीफ में दो शब्द कहे। फिर सबसे बिदा लेकर वो अपनी कार में घर जाने को बैठ … Read more

ख्वाब बनकर रह गया : माताजी का घर – गुरविंदर टूटेजा

अप्रकाशित     छोटा सा गाँव वहाँ माताजी का भरा-पूरा परिवार…लोग कहते थे स्वर्ग देखना है तो माताजी के घर चलें जाओ…सच स्वर्ग ही तो था जो इतनी आसानी से लुप्त हो गया…!!   पिताजी-माताजी के तीन बेेटे व एक बेटी सबके अपने परिवार बड़े बेटा-बहू के चार बच्चे…दो बेटे व दो बेटियाँ ….मँझले बेटा-बहू के दो बच्चे…एक … Read more

उम्र सिर्फ़ नंबर है – के कामेश्वरी

जी सही सुना आपने उम्र तो सिर्फ़ एक नंबर है ।उम्र कुछ भी हो परंतु हम उम्र पछाड़ कर बहुत कुछ सीख सकते हैं । सरला जी एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी थी । जहाँ लड़कियों की शिक्षा को महत्व नहीं दिया जाता था । अपने भाइयों से भी ज़्यादा वे पढ़ाई में होशियार … Read more

पंख – कंचन श्रीवास्तव

गरिमा उठो न कितनी देर तक सोती हो देखो तुम्हारे यूनिवर्सिटी जाने का टाइम हो गया। जी मां उठ गई हूं बस बेबी को रेडी कर रही , सोचा इसे भी ड्राप करती जाऊं वरना हरीश को परेशानी  होगी । इधर कई दिनों से हर रोज आफिस  लेट  जा रहे।  ठीक है ,अच्छा सुनो टिफीन … Read more

अतीत का साया – अनुपमा 

भैरवी के पति का ट्रांसफर हुआ तो वो अपने पति के साथ कानपुर आ गई , बहुत अनमने मन से उसने सारी पैकिंग की थी ,बिलकुल मन नहीं था उसका यहां आने का , अच्छी खासी कॉलोनी मैं सेटल हो गई थी वो आगरा मैं , टीचर की जॉब भी थी उसको ,अपनी बनी बनाई … Read more

मैं भी परी थी पापा की* – अर्चना नाकरा

राशि को  घर आने में थोड़ी देर हो गई थी सुबह का सारा काम समेट कर गई थी खाना पीना बच्चों का नाश्ता सब व्यवस्थित करके गई थी रह गई थी तो गरमा गरम उतरती रोटी !! सासू मां के दांतो की परेशानी के चलते उन्हें उतरा उतरा फुल्का ही पसंद था इसी बात पर … Read more

उम्मीद –  डॉ अंजना गर्ग

तनु को इस शहर में नौकरी ज्वाइन किए 2 साल होने को थे। मां बाबा के साथ वह तब से ही फ्रेंड्स कॉलोनी के फ्लैट में रह रही थी उसकी दुनिया दफ्तर और स्मार्टफोन तक सिमटी हुई थी। कई बार तनु की मां जय श्री उसे कहती कि आसपास वाले लोगों को कभी कभी मिला … Read more

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