अन्नपूर्णा  – पूजा मनोज अग्रवाल

जून जुलाई की झुलसाती दोपहर मे चलती लू के गर्म थपेडों के बीच, कमजोर सी देह वाले एक वयोवृद्ध व्यक्ति पसीने मे लथ-पथ,,, घर के बाहर खड़े थे । उनकी उम्र कुछ साठ – पैंसठ वर्ष के आस पास रही होगी ,,,,वे बड़ी उम्मीद भरी निगाहों से हमारे घर की ओर देख रहे थे ।   … Read more

तेरा मेरा साथ रहे – अनुपमा

पुनीत के ऐसे व्यवहार से बेला चकित थी, आखिर ऐसा क्या हो गया है लगता है कुछ परेशान है जब से घर से होकर आए है ना ठीक से बात कर रहे है ना ही किसी भी बात का सीधा जवाब दे रहे है , पहले तो कभी ऐसे नही करते थे जरूर कोई बात … Read more

वो मरकर भी आया – प्रीती सक्सेना

  करीब 38 साल पहले की बात है,,,, मेरे पिता,,, मुरैना जिले की तहसील जौरा में एसडीएम के पद पर तैनात थे,,, मेरी सगाई हो चुकी थी ,,,,, कुछ माह बाद शादी थी। सगाई और शादी के बीच सात माह का अन्तर था,,, इसलिए मैं फ्री थी उन दिनों।        मेरी सबसे छोटी बहन,,, पांचवीं कक्षा की … Read more

रंग रूप – प्रीती सक्सेना

   रीना जैसे ही ऑफिस से बाहर आई,, देखा सूरज अपनी बाइक,,, निकाल रहा था,,, तुरंत भागी और, सूरज से बोली,, क्या मुझे लिफ्ट दोगे,, बस आगे वाले चौराहे से थोडा ही आगे है मेरा घर,,, सूरज ने नम्रता से इंकार करते हुऐ कहा,,, माफ करना,, मुझे आज कुछ जल्दी है,,, मैं उस तरफ़ नहीं जा … Read more

झींक झींक – पुष्पा कुमारी “पुष्प”

निर्मल जी के घर में उनकी बेटी के विवाह की तैयारियां चल रही थी। आज पति-पत्नी दोनों कुछ जरूरी सामान की मार्केटिंग कर बाजार से अभी-अभी घर लौटे थे। निर्मल जी अभी बरामदे में लगे सोफे पर बैठे ही थे कि सामान भीतर रखने गए निर्मल जी की पत्नी शोभा घबराई हुई सी कमरे से … Read more

जड़ों से जुड़ाव – प्रीती सक्सेना

     मेरे दादाजी,, रिटायरमेंट के बाद,,, हमारे साथ ही रहे,,, बहुत अनुशासित,, गंभीर,, कम बोलने वाले,, अत्यधिक प्रभावशाली व्यक्तिव के धनी थे,,,,6 फुटा कद,, सोने की रिम वाला चश्मा,, उनकी,, शान को और बढ़ाता था,,, दादाजी,,, का पहनावा भी उनकी तरह खास था,, कभी खास तरीके से पहना हुआ,,, धोती कुर्ता और पटका,,, कभी पायजामा कुर्ता,,, … Read more

दान का इंतिहान – अर्चना नाकरा

दादाजी की शुद्धि विधिवत संपन्न हो गई थी दादी तटस्थ भाव से बहुत देर तक बैठी रही फिर धीरे से उठ कर उन्होंने दादा जी की अलमारी में से उनके रखे सामान को एक-एक करके निकालना शुरू किया ‘कपड़े जूते.. उनकी छड़ी”! जिसमें “दादाजी की जान बसती थी” और न जाने कितनी चीज विशेषता ‘भीतरी … Read more

*जहाँ चाह, वहाँ राह* – सरला मेहता

” माँ ! तुम क्यों चली गई, हम सबको छोड़कर। दादी भी थक जाती है, दादू की सेवा टहल करते। पापा हम सबके ख़ातिर नई  बिंदु माँ ले आए हैं। पर उन्हें अपनी बेटी कुहू से ही फ़ुर्सत नहीं। तुम्हीं बताओं मैं क्या करूँ ? ” यूँ ही माँ से अपना दुखड़ा सुनाते कुणाल सो … Read more

पराया धन – बालेश्वर गुप्ता

बाय बाय – माइ सन- अपने ही घर के दरवाजे से अपने अपंग बेटे को अपनी पीठ पर लादे राजेश हाथ हिलाकर अपने दूसरे बेटे से सदा के लिए विदा ले रहा था. पर सामने तो कोई था ही नही, बेटा तो अपनी पत्नि और बच्चो के साथ घर के अंदर था, उसे  अपने 76 … Read more

जन्म-कुंडली  – सीमा वर्मा

हर माँ का यह सपना होता है कि वह अपनी नाजों से पाली बेटी का सोलह श्रृंगार करके उसे अपने जीवनसाथी के साथ विदा करे। लिहाजा मैं भी इसकी अपवाद नहीं हूँ। ‘अनुराधा’ हमारी अर्थात मेरे और ‘अनुज वर्मा ‘ की इकलौती बिटिया है। वह दिखने में जितनी खुशनुमा है। बुद्धि कौशल में उससे भी … Read more

error: Content is protected !!