एक थी सरु – बरखा शुक्ला

ये कहानी है मेरी मनोरमा मतलब मनो और मेरी सखी सरला याने सरु की । सच कहूँ तो ये सरु की कहानी है ,बस कह मैं रही हूँ ।हम दोनो बचपन की सहेलियाँ और पड़ोसी भी । साथ साथ पढ़ते अब बी .ए . कर रहे थे । ज़ाहिर है साथ ही कॉलेज जाते ,बी.ए … Read more

गुलमोहर ख़ुश है –  बरखा शुक्ला

ससुराल से आयी दीदी की बातों का सिलसिला सुबह से ही चल रहा था ,माँ अपनी दो महीने पहले विदा हुई बेटी से ससुराल की सारी बातें उत्सुकता से सुन रही थी ।चाय पीते जूही के कान भी वही लगे हुए थे ,क्योंकि वो तो कुछ ओर ही सुनने को उत्सुक थी । तभी दीदी … Read more

“देवी का असली रूप” – पूनम वर्मा

आज नवरात्रि की पहली पूजा थी । मिसेज शर्मा सुबह से ही पूजा की तैयारी में लगी हुई थीं । बहू-बेटियाँ भी उनका सहयोग कर रही थीं । शर्माजी के  पूजा पर बैठने से पहले सारी तैयारी हो जानी चाहिए थी । शर्माजी वैसे तो बहुत पुजेरी नहीं थे, पर नवरात्रि की पूजा बड़े धूमधाम … Read more

 इक दूजे की रजामंदी – मुकुन्द लाल

  ” हे ईश्वर यह क्या हो गया?… अब मेरी बेटी चित्रा का क्या होगा?” घर में प्रवेश करते ही सुनील ने कहा। “  ” इतना घबराये हुए क्यों हैं? … क्या हो गया?… “  ” किस्मत फूट गई… “  ” कुछ साफ-साफ बोलिए… “  ” होने वाले दामाद का बांया हाथ कट गया। “   दो … Read more

अहिल्याबाई – सरला मेहता

अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के छौंड़ी ग्राम में हुआ था। पिता मन्कोजी राव शिंदे गाँव के पाटिल थे और माता                               । उस ज़माने में बालिका अहिल्या स्कूल जाती थी। उनका विवाह इंदौर के संस्थापक सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव से हुआ था। उनकी विद्वता देखकर मल्हारराव जी ने … Read more

सोच – कमलेश राणा

मुग्धा जी बैंक में ऑफिसर हैं,,उनके पति भी अच्छी पोस्ट पर कार्यरत थे,,बड़ा ही प्यारा परिवार था,,दो बच्चे,,एक बेटा और एक बेटी ,, बहुत प्यार था दोनों के बीच,,सुबह ,,,शाम ,,जब भी देखो ,,साथ घूमते या चाय पीते,,कभी बाहर बैठकर गप्पें लगाते नज़र आ ही जाते,, कॉलोनी में सबसे बड़ा अच्छा व्यव्हार था उनका,,,हर समय … Read more

आखिर क्यों  – गोमती सिंह

——रूचि और शानू, दोनों भाई बहनों में सिर्फ दो वर्ष का अंतर था । दोनों एक ही परिवेश में पले बढ़े लेकिन जैसे जैसे उम्र बढ़ने लगा स्वभाव में जमीन-आसमान का फर्क दिखाने लगा ।    ये हमारे भारतवर्ष का प्राकृतिक नियम है कि लड़कियां जैसे जैसे बड़ी होती जाती हैं उनका घर से बाहर … Read more

बिटिया, शर्म या गर्व – नीलिमा सिंघल 

अंकिता का आज सुबह से फिर चीखना चिल्लाना शुरू हो गया था ,,रोज रोज के नाटक से नंदा परेशान रहने लगी थी बचपन से देखती आ रही थी, आज उसने ठान लिया था कि बात करके रहेगी,,घर काटने को दौड़ता था सब के मुहँ फूले रहते कोई किसी से ढंग से बात नहीं करता था,, … Read more

“फ्लाइट ऑफिसर”  – गीता वाधवानी 

सुचिता अपनी एयर होस्टेस बेटी केतकी के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने का समाचार सुनकर अचेत हो गई थी। उसके पति सौरभ ने तुरंत डॉक्टर को बुलवाया। डॉक्टर के द्वारा इंजेक्शन लगाने के लगभग आधे घंटे बाद सुचिता को होश आया था और वह रोने लगी थी।  रोते-रोते सौरभ से कहने लगी-“आप केतकी को फोन लगाइए … Read more

सेवा का मेवा – उषा गुप्ता

“अरे ,कोई तो सुन लो ,बड़की …मझली …छोटी ,कोई तो आ जाओ।सारे कपड़े गीले हो गए हैं।बदल दो रे।” बिस्तर पर लेटे हुए सासु माँ का बोलना बराबर चालू था। जब कोई नहीं आया तो व्हीलचेयर को घसीटते हुए राजेश बाबू अंदर आए और बोले, “रमा बेटा “ ” पापा ,बच्चों का स्कूल का समय … Read more

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