“तू अपनी है? कह कर माँ ने जोर से आरती को झटका, अपने मायके के बसे बसाये घर को उजाड़ना चाहती है और अपनेआप को अपना कहती है? छी: शर्म आती है तुझे अपना कहते हुए,
तूने ऐसी नमक मिर्च लगाकर कहानी बनायीं की अब तो मुझे शक है की तू मेरी बेटी है. “तू अभी निकल जा मेरे घर से और तभी आना जब इस घर को तोड़ने की साजिश मन से निकाल लेना.” वो कुछ कहती इससे पहले ही पापा ने उसे कमरे से निकलने का इशारा किया. माँ बाप से प्रोत्साहन के बजाय मिली निराशा लेकर वो निकल गयी.
सासु माँ ने बड़ी बहु शिखा के कमरे में जाकर उसे समझाया की कंगन उनसे ही टूट गया था पर उनकी बेटी आरती ने छोटी बहु निशा का नाम आगे कर दिया। ये सोचकर की “कही तुम मुझपे गुस्सा न कर दो पर आरती ये नहीं जानती की हम तीनो सास-बहुओं में जितनी जगह प्रेम के लिए है, उतनी ही जगह गुस्से के लिए भी है,
क्या हो गया अगर मेरी बेटी स्वरुप बहु मुझपे गुस्सा ही कर दे, हम खुद में ही निपट लेंगे।” सासु माँ की बातें सुनकर शिखा का मन ग्लानि से भर गया , तभी निशा कमरे में दाखिल हुयी,” ये लो भाभी, रूह अफ़्ज़ा का गिलास भी मुझपे ही डाल दो, हमारी होली यही हो जाएगी, सुनकर शिखा हंस पड़ी,”आजा तुझे बताती हूँ, कह नहीं सकती थी, की मुझसे नहीं हुआ।”
निशा ने कहा “छोड़ो भाभी, क्या कहना इसमें, गुस्सा जायज़ है आपका, मुझसे टूटता या मम्मी जी से एक ही बात है ना.” अब आप चलिए सुनार के पास, मैंने बात की है, आसानी से जुड़ जायेगा, वरना दो चार बातें और सुना लेना मुझे और क्या.., शिखा ने हलकी सी चपत लगा दी निशा को तो माहौल हसी मजाक में बदल गया.
रितिका सोनाली