एक मंदिर में एक पुजारी पुजा करता था और बगल मे ही अपने परिवार के साथ ही रहता था। वह बहुत ही ईमानदार और भगवान की भक्ति मे लगा रहता था। वह रोजाना आस पास के भिखारियो को खाना खिलाता था। मंदिर मे जो भी चढ़ावा चढ़ता था सब बाँट देता था।
भगवान से रोज यही प्रार्थना करता था की भगवान रोज इतना मंदिर मे चढ़ावा चढ़ जाए की कोई भी भिखारी भूखा न रहे। कितनी बार उस शहर के अमीर लोग पुजारी को धन देना चाहा की इस पैसे से आस पास भंडारा करवा देना। पुजारी यह कह कर उनका दान लेने से इंकार कर देता था की मंदिर मे चढ़े प्रसाद से ही सबका पेट भर जाता है।
एक दिन पुजारी नदी मे नहा कर आ रहा था तो उसके पैर मे ठोकर लगा। देखा तो वह पर एक पत्थर है। पुजारी ने सोचा इस पत्थर को हटा देता हूँ नहीं तो किसी और को भी ठोकर लग जाएगा। वह जैसे ही पत्थर को हटाया देखा की उसके नीचे बहुत सारा सोने का सिक्का है।
पहले तो सोचा लेकर घर चले जाऊ फिर उसके दिमाग में आया कि यह पता नहीं किसका है? मैं क्यों लूँ?
अगर ये सिक्के मेरे लिए हैं। तो भगवान मेरे घर खुद पहुचा देगा। इसके बाद वह घर आकर यह बात अपने पत्नी को बताई। पुजारी की पत्नी उससे भी भोली थी; उसने यह बात अपने पड़ोसी को बता दी।
जबसे पुजारी की पत्नी ने यह बात पड़ोसी को बताई वह सोच रहा था कब रात हो और वह जाकर सोने के सिक्के निकाल कर लाये। वह अभी से सपने देखने लगा की वह इस शहर का सबसे अमीर आदमी बन गया है। चारो तरफ उसके नौकर चाकर लगे हैं। उसने एक बहुत बड़ा मंदिर बनवाया है और पुजारी को तंख्वाह पर उसी मंदिर मे पौजा करने के लिए रखा है । रात को जब सभी लोग खा-पीकर सो गए तो पड़ोसी ने अपने पत्नी को जगाया और कहा, ”चलो, हमलोग सिक्का निकाल लाते हैं।” दोनों चुपके कुदाल आदि लेकर नदी के पास पहुँच गए।
उन्होंने बताई हुई जगह पर पत्थर को हटाने लगे। लेकिन खोदने पर वहाँ जो दिखा उसको देख कर दोनों पति-पत्नी डर गए क्योकि वहाँ पर बड़े-बड़े पहाड़ी बिच्छू थे। पड़ोसी ने कहा कि पुजारी ने हमलोगों को मारने की अच्छी योजना बनाई थी। हमें इसका जबाब देना ही होगा।
उसने अपने पत्नी से कहा कि एक मटके मे सारे बिच्छू को उठाकर ले चलो और पुजारी का छप्पर फाड़कर इन बिच्छुओं को उसके घर में गिरा दो ताकि इन बिच्छुओं के काटने से पुजारी और पुजारी की पत्नी हमेशा के लिए स्वर्ग सिधार जाए। दोनों ने वैसा ही किया और पुजारी के छप्पर को फाड़कर बिच्छुओं को उसके घर में गिराने लगे। लेकिन धन्य है ऊपरवाला और उसकी लीला। जब ये बिच्छू घर में आते थे तो सोने के सिक्के बन जाते थे।
सुबह-सुबह जब पुजारी उठा तो उसने सोने के सिक्को को देखा। उसने भगवान को धन्यवाद दिया और अपनी पत्नी से कहा, ”देखी! देनेवाला जब भी अपने आप ही पहुचा दिया”