तमाचा – परमा दत्त झा :  Moral Stories in Hindi

अरे न्यू मार्केट चलेगा -राधा ने टैम्पो वाले से पूछा। जी चलिए -वह विनम्रता से बोला। पर मैं डेढ़ सौ रूपए दूंगी।-वह बोली। इसपर उसने हां में सिर हिलाया। वह बैठी तो आराम से अपना बैग टैम्पू में रख दिया।इतना ही नहीं न्यू मार्केट तक वह एक शब्द नहीं बोला। बस वह न्यू मार्केट आकर … Read more

 संयोग – परमा दत्त झा :  Moral Stories in Hindi

आज रानी परेशान थी कारण वह आटो वाला उसे देखता था तो पूरी आवभगत के साथ सम्मान के साथ बिठाता था। परंतु न जाने क्या था कि उसे बुरा लगता था। इस आटो बाले का नाम बबलू है।बस सवारी ढोना,काम से मतलब रखना,फिर इसे देखने का कारण — वह परेशान हो गयी तो पति से … Read more

क्या रिर्टायरमेंट सिर्फ ऑफिस जाने वाली महिलाओं के लिए होता हैं – स्वाती जैन :  Moral Stories in Hindi

धनलक्ष्मी जी ने जब अपनी बहन और उसकी बहू को एक साथ गप्पे लड़ाते देखा तो अपनी होने वाली बहु आकांक्षा के लिए उनका प्यार ओर उमड़ पड़ा और वे मन ही मन सोचने लगी बस जल्दी बेटे ललित की शादी हो जाए तो मैं भी इसी तरह रसोई में काम करते हुए आकांक्षा से … Read more

ममता – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ :  Moral Stories in Hindi

“अम्मा,  मैंने आपके पास जो रुपये जमा किये हैं उनमें से आज मुझे 100 रुपये दे देना।” कहकर बिंदिया फिर से अपने काम में लग गयी।     “ठीक है, जाते समय ले जाना…वैसे आज क्या बात है आज तो तू बड़ी खुश है?”      “हाँ अम्मा, आज मेरी बेटी आशा का जन्मदिन जो है आज वह पूरे … Read more

सच्चे रिश्तों का मूल्य – माधवी मूंदरा :  Moral Stories in Hindi

पन्नालाल जी एक परंपरागत व्यक्ति थे। वे अपने परिवार के साथ रहते थे—पत्नी, दो बेटे और उनकी बहुएँ। उनका बड़ा बेटा पढ़ाई-लिखाई में तेज़ था, ईमानदार और सादगी पसंद भी। पर जब उसकी शादी की बारी आई तो पन्नालाल जी के मन में समाज में ऊँचा दिखने और दहेज के लालच ने जगह बना ली। … Read more

बड़ी बहू – डाॅ उर्मिला सिन्हा :  Moral Stories in Hindi

सूरज की ऊंचाइयों में तृप्ति का आनंद है तो नियति के गहन टेढ़ी-मेढ़ी कंदराओं में भटकते भी देर नहीं लगती।समय बड़ा बलवान… परिस्थितियां एक सी नहीं रहती।    माही इस घर की बड़ी बहू बनकर आई थी। भरा-पूरा संयुक्त परिवार था। दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ फुफा उनके बाल-बच्चे और खुद के दो छोटी ननदें और एक देवर। … Read more

प्यार और तुमसे – अर्चना सिंह :  Moral Stories in Hindi

धनाभाव में पली – बढ़ी हुई थी मैं , लेकिन ईश्वर ने रूप देने में भी कटौती कर दी थी । एक तो रंग साँवला, हाइट कम और नाक भी चपटी । पर पढ़ने में अच्छी थी शायद इस वजह से भी लोग मुझसे दोस्ती करते थे । जिस दिन ग्रेजुएशन का आखिरी पेपर था … Read more

“हाय रे दैया ये क्या हुआ” – ज्योति आहूजा

आगरा शहर में एक भरी-पूरी फैमिली रहती थी—सास, ससुर, दो बेटे, दो बहुएँ और एक ननद। घर में इन दिनों एक खास रौनक थी, क्योंकि एक समीप के रिश्तेदार की शादी का न्योता आ चुका था। अलमारियों  एवं ट्रंक के ताले खुल गए थे, मैचिंग ज्वेलरी और सूट-साड़ियों का सिलेक्शन हो रहा था, मिठाइयाँ आ … Read more

रक्षाबंधन का वचन -शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

भागवंती और भगवान दास एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे।बड़ा भाई,भगवान दास अपनी बहन भागो को कंधे पर बिठाए घुमाए फिरता था पूरा गली-मोहल्ला।घर से किसी भी काम के लिए निकले,बहन भागो पहले से तैयार रहती। मां जानकी जी तंग आकर कहतीं कभी-कभी “क्यों रे,तू तो बड़ा है।ऊंट की तरह हो गया है,समझ अभी … Read more

कुरियर – करुणा मालिक  : Moral Stories in Hindi

आज फिर से शालिनी ने बहू के मायके से आया सूट नौकरानी मीना को देते हुए कहा— ले , दीवाली के नाम का सूट दे रही हूँ ….. कहाँ सँभालती फिरूँगी ?  वाह आँटी जी, सूट तो बहुत ही बढ़िया है….पर अभी तो दीवाली में तीन महीने पड़े हैं….. इतनी जल्दी क्यों दे रही हो … Read more

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