कहीं ये वो तो नहीं पार्ट – 2 :लतिका श्रीवास्तव 

अहा यही तो है मेरा पर्स मेरा लकी पर्स खुशी से चीख पड़ी रचना।झपट कर पर्स को दोनों हाथों में उठा गले से लगा लिया। पर्स पर ही पूरा प्यार लुटा दीजिएगा या पर्स आपको देने वाले के लिए भी कुछ बचाएगा तल्लीनता से आनंदित होती रचना को देख वह युवक मुखर हो उठा। खुशी … Read more

परिचय की जरूरत -लतिका श्रीवास्तव :

हेलो जी क्या आप समर्थ जी केघर से बोल रहे हैं मैं राकेश उनका पुराना परिचित बोल रहा हूं ।मुझे उनसे मिलना है क्या वे घर पर है आवाज सुनते ही समर्थ ने तुरंत कहा नहीं मैं उनका भाई बोल रहा हूं भैया तो ऑफिस निकल गए हैं आप फिर कभी आइए और उधर से … Read more

पता नहीं क्यों ससुराल वाले बड़ी बहू को इंसान नहीं समझते” – रितिका सोनाली :  Moral Stories in Hindi

प्यार वाला पति मिला या पैसे वाला इस बात की कशम कश में जिंदगी बीती  जा रही है. आशा के पति का मिज़ाज़ अजीब ही है. सारी दुनिया की खुशियां खरीदने को तैयार लेकिन अपने घर में अपने भाई- बहन और माँ-बाप के आगे बिलकुल अदना सा किरदार बना कर रखने वाला व्यक्ति. अपनी आँखों … Read more

शांति – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ :

 Moral Stories in Hindi “तुम्हें नींद आती भी है या नहीं सुबह से ही खटर-पटर शुरू कर देती हो…कम से कम अपना नहीं तो बाकी घरवालों का तो ध्यान रखा करो…” विजय अपनी पत्नी तारा को गुस्से में सुनाता जा रहा था। “सभी का ध्यान रखती हूं इसीलिए इतना सुबह जल्दी उठती हूं और सबके … Read more

काली रात – उमा वर्मा :

Moral Stories in Hindi मेरे जीवन की वह रात  “काली रात “बन गई थी मेरे लिए ।स्मृति के पन्ने बिखरने लगे थे।क्या क्या याद करूँ? उसदिन रात से ही विनय की तबियत बहुत खराब हो गई थी ।रात भर सो नहीं पा रहे थे ।बेचैनी और उल्टियाँ हो रही थी ।मैंने दिलासा दिया “अस्पताल चलते … Read more

चूड़ियों की खनक – गीतू महाजन :  Moral Stories in Hindi

उसके जाते ही सब कुछ खामोश हो गया था.. पूरे घर- परिवार के साथ साथ ऐसे लग रहा था जैसे पूरा कस्बा ही चुप्पी साध गया हो।घर की दीवारें भी मूक हो चुकी थी।हवा भी बहुत धीमी गति से चल रही थी जैसे उसकी आवाज़ से कहीं शोर उत्पन्न ना हो जाए।आज मालिनी को गए … Read more

जीने की राह – अर्चना सिंह :  Moral Stories in Hindi

चार दिन से रूबी काम पर नहीं आयी थी । गमले में पानी डालकर शिप्रा ऑफिस के लिए ही निकलने वाली थी कि दरवाजे पर घण्टी बजी । खोलकर देखा तो रूबी ही थी, हरदम खिलखिलाने वाला चेहरा, बकबक मशीन आज जैसे थकी सी लग रही थी । “अंदर आ जा ! बोलते हुए शिप्रा … Read more

आदर्श सास-बहु – एम पी सिंह  :  Moral Stories in Hindi

अलका की पढ़ाई पूरी होते ही उसकी शादी हो गई और वो दिल्ली से कानपुर चली गई। परिवार छोटा था, बस पति और सासूमां। पति का काफी बड़ा बिज़नेस था ओर काफी व्यस्त रहते थे। अलका दिन भर खाली बैठी बोर होती रहती या टी वी देखती रहती। उसकी सासू मां बहुत तेज थी, हर … Read more

पछतावा – अभिलाषा श्रीवास्तव :  Moral Stories in Hindi

“मेरी मम्मी मेरे साथ रहेगी “ उदय ने कहते हुए माँ की पैकिंग करने लगा राघव जी गुस्से भरी हुई नज़र से पत्नी को देख रहे थे और अनू पत्नी- माँ के बीच में फंसी मृगतृष्णा सी बैचैन थीं बेटे के साथ जाकर पति को दूखी नहीं करना चाह रही थी वही उदय जिसने दिन … Read more

एक सालगिरह ऐसी भी – ज्योति आहूजा :

 Moral Stories in Hindi पंकज और संध्या पुणे की एक सुंदर सोसायटी में रहते थे। पंकज की नौकरी काफी अच्छी थी, पैकेज भी शानदार था, और घर में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं थी। बच्चे—बड़ी बेटी सृष्टि (24 वर्ष) और बेटा आदित्य (22 वर्ष)—भी अच्छे कॉलेजों में पढ़ चुके थे। सब कुछ व्यवस्थित और … Read more

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