अपनों की पहचान – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

प्लेटफ़ॉर्म नंबर 2 पर बारिश की ठंडी बूंदें लगातार गिर रही थीं। बूढ़ी महिला ट्रेन के एसी कम्पार्टमेंट से उतर, इधर-उधर घबराई सी अपने बेटे का इंतजार कर रही थी। उन्हें देख कर ही पता चल रहा था कि वे किसी सम्पन्न परिवार से संबंधित हैं। “माँ जी, आपका सामान उठा दूँ?” नंदू कुली ने … Read more

माँ बिना पीहर नहीं, सासू बिना ससुराल नहीं

घर के आँगन में रौनक थी। आज सुषमा की ननद, किरण अपने मायके आई थी। पूरे दो साल बाद उसकी यह मायके यात्रा हुई थी। जैसे ही वह घर में दाखिल हुई, सुषमा दौड़कर उससे लिपट गई। “आइए दीदी, बहुत दिनों से आप नहीं आईं। हम सब आपको बहुत याद कर रहे थे। शायद पूरे … Read more

झूंठा दिखावा – सुनीता माथुर : Moral Stories in Hindi

मीनल जब भी अपनी सहेली राखी के घर जाती राखी मीनल को नया- नया सामान बड़े चाव से दिखती देखा आज—– मैंने नया बेड खरीदा, पुराना टीवी वेंच दिया, नया टीवी बड़ा वाला खरीद लिया! कई बार तो राखी मीनल से कहती है—-अरे तुम्हारे पास तो साड़ी भी नहीं है—- देखो मैं 5000 की 10,000 … Read more

माँ का कर्ज

“बेटा, क्या तूने सचमुच घर जमाई बनने की ठान ली है?” “हाँ माँ, इसके अलावा कोई चारा नहीं है। अब कंपनी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है, इसलिए कंपनी बंद कर दी गई है और कंपनी में काम करने वाले हम सब बेरोज़गार हो गए हैं। भला हो कि पारुल के मायके वालों ने अपनी … Read more

झूठे दिखावे से ज़िंदगी नहीं चलती – रश्मि सिंहल : Moral Stories in Hindi

अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर मोनिका ने फोन उठाया। देखा कि नई ड्रेस और पर्स वाली उसकी पोस्ट पर ढेरों लाइक्स और प्रशंसा के कमेंट्स थे। उसका मन खुशी और गर्व से भर गया। सोशल मीडिया के दौर में जिसे देखो वही झूठी शान बघारने में लगा हुआ है। कोई दिखावे का एक छोटा … Read more

दीवार – कंचन श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मुझे पता है बिन दीवारों के घर नही होता पर ये जब ………… कहती सकती मृदुला कि आंखें भर आईं। बात उन दिनों की है  जब वो नईं नईं ब्याह कर आई थी।कार से उतरते ही ” अभी तो किसी का चेहरा भी नही देखा था ” लम्बे घूंघट में परछन कर धीरे से ज़मीन … Read more

एन आर आई – एमपी सिंह : Moral Stories in Hindi

अवतार सिंह और करतार सिंह पंजाब के लुधियाना शहर के पास एक गांव में रहते थे। अवतार का बेटा अर्जुन और करतार की बेटी कुन्ती बचपन से कॉलेज तक साथ साथ पढ़ते थे। दोनों परिवार खेती करते थे, जमीन तो ज्यादा नहीं थी, पर गुजारा हो जाता था। दोनों परिवारों में अच्छा रिश्ता था। अर्जुन … Read more

अपना ही सिक्का खोटा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

सुमित्रा जी को सभी रिश्तेदारों ने समझाया था,कि पहले बेटी के हांथ पीले कर दें।बेटे की शादी हो ही जाएगी। सुमित्रा जी को यह मंजूर नहीं था।बड़ी बेटी के लिए अच्छा वर मिलते ही सात  साल पहले शादी कर चुकी थीं वे।अब इकलौते बेटे की बहू आने पर ही छोटी बेटी ब्याहेंगी,ऐसी  उनकी जिद थी। … Read more

आग(स्वतंत्र) – परमा दत्त झा : Moral Stories in Hindi

बाबूजी आप देखकर नहीं चल सकते क्या?-बहू घर में आते ही चिल्लाते हुए बोली। क्यों क्या हुआ?-वे सहज भाव से पूछे। अभी पोंछा लगाया था,अभी सारा काम फिर से करना होगा। -अच्छा,वे बात को विराम देते हुए बोले। अचानक हुए हमले से वे चौंक गये ।अब मैं परिचय दे दूं। श्वसुर हैं डाक्टर योगेश जो … Read more

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