दीवार – कंचन श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मुझे पता है बिन दीवारों के घर नही होता पर ये जब ………… कहती सकती मृदुला कि आंखें भर आईं। बात उन दिनों की है  जब वो नईं नईं ब्याह कर आई थी।कार से उतरते ही ” अभी तो किसी का चेहरा भी नही देखा था ” लम्बे घूंघट में परछन कर धीरे से ज़मीन … Read more

एन आर आई – एमपी सिंह : Moral Stories in Hindi

अवतार सिंह और करतार सिंह पंजाब के लुधियाना शहर के पास एक गांव में रहते थे। अवतार का बेटा अर्जुन और करतार की बेटी कुन्ती बचपन से कॉलेज तक साथ साथ पढ़ते थे। दोनों परिवार खेती करते थे, जमीन तो ज्यादा नहीं थी, पर गुजारा हो जाता था। दोनों परिवारों में अच्छा रिश्ता था। अर्जुन … Read more

अपना ही सिक्का खोटा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

सुमित्रा जी को सभी रिश्तेदारों ने समझाया था,कि पहले बेटी के हांथ पीले कर दें।बेटे की शादी हो ही जाएगी। सुमित्रा जी को यह मंजूर नहीं था।बड़ी बेटी के लिए अच्छा वर मिलते ही सात  साल पहले शादी कर चुकी थीं वे।अब इकलौते बेटे की बहू आने पर ही छोटी बेटी ब्याहेंगी,ऐसी  उनकी जिद थी। … Read more

आग(स्वतंत्र) – परमा दत्त झा : Moral Stories in Hindi

बाबूजी आप देखकर नहीं चल सकते क्या?-बहू घर में आते ही चिल्लाते हुए बोली। क्यों क्या हुआ?-वे सहज भाव से पूछे। अभी पोंछा लगाया था,अभी सारा काम फिर से करना होगा। -अच्छा,वे बात को विराम देते हुए बोले। अचानक हुए हमले से वे चौंक गये ।अब मैं परिचय दे दूं। श्वसुर हैं डाक्टर योगेश जो … Read more

उल्टा दांव – परमा दत्त झा : Moral Stories in Hindi

आज संजना सिर पटक रही थी कारण श्वसुर जी को उसने छोड़ दिया था परिणाम आज पूरे एक करोड़ रूपए की पुरस्कार राशि से हाथ धोना पड़ा। अरे कुछ करो,सारे पैसे वह डाइन मधु डकार लेगी।-संजना अपने पति राकेश को चिल्लाते बोली। मैं क्या करूं,तुमने झगड़ा किया, तुम अलग हुई ,जब दीदी के पति मरे … Read more

काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती – खुशी : Moral Stories in Hindi

रमा ब्याह कर एक भरे पूरे घर में आई जहां सास ससुर, ताऊ और ताई सास गायत्री देवी ननद देवर सब मिले। ताई को बहुत घमंड था कि उनके परिवार में सिर्फ लड़के है।उनके 3 लड़के और सासूजी के 2 पर सासू मां को एक बेटी गीता होने पर ताने सुनाती तूने खानदान की परंपरा … Read more

अंधेरे में खिली मुस्कान – ज्योति आहूजा: Moral Stories in Hindi

धनिया रोज़ की तरह काम पर जाने से  पहले बेटी से कहते हुए, “नूरी चिटकनी लगा ले  बेटा।इतने में बेटी हाथ में एक फूल देते हुए कहती है।”मां! आज तू आराम कर।आज तेरा जन्मदिन है ना।आज बर्तन मैं मांज कर आयूंगी तेरे घरो के। अरे!” आज मेरा जन्मदिन है।हैरान होती धनिया ने कहा। हां मां।आधार … Read more

जब तुम मां बनोगी तब पता चलेगा – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

जब तुम मां बनोगी तब पता चलेगा, घर में तो सबसे ऐसा सुनने की आदत ही डाली हुई थी निधि ने लेकिन अब तो दफ्तर में भी यही हो रहा था। निधि ने अपने सारा काम निपटाने के लिए लंच भी नहीं करा था और जब समय पर वह घर जाने के लिए उठी तभी … Read more

काला तवा – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     सुनो जी,आज अपने गांव में गाड़िया लुहार आये हैं, उधर से निकलो तो एक तवा उनसे खरीद लाना।    क्यो भागवान, पहले तवे का क्या हुआ,जो नया मंगा रही हो?       असल मे वह छोटा पड़ता है जी।आप चाहते हैं पानी के हाथ की बड़ी करारी रोटी,वही आपका लाडला भी चाहता है।आज आया हुआ है तो कहेगा … Read more

अर्थी वाली दुल्हन – संजय मृदुल :  Moral Stories in Hindi

माँ! तुम्हीं ने तो कहा था कि लड़की की दो बार बिदाई होती है वो मायके से डोली से उतरती है ससुराल में फ़िर वहाँ से अर्थी में विदा होती है। लो देखो मैं कितनी जल्दी ससुराल से विदा हो रही हूँ। अर्थी अच्छे से सजाई है न इन लोगों ने? पापाजी को कहना देख … Read more

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