रिश्तों की नई समझ – ‎उमा कुमारी : Moral Stories in Hindi

‎सुरंजिता बहुत ही खूबसूरत लड़की अपने माता पिता की इकलौती संतान। पढ़ने में अव्वल ,हर प्रतियोगिता में वह भाग लेती। नृत्य करती तो लगता अप्सरा ही उतर आई गाने में सरस्वती सी । वादविवाद प्रतियोगिता में जब तर्क रखती तो निरुत्तर कर जाती। मेडिकल कॉलेज की छात्रा थी मगर कला में भी पारंगत थी। ‎अनुज … Read more

हक की परिभाषा – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

माही ने नजर उठा कर घड़ी की और देखा तो उसे कुछ घबराहट सी हो आई। सिरफ एक घंटा ही बचा है, मेहमानों के आने में, और अभी कितने काम पड़े है। मेड भी बेचारी कितनी तेज़ी से हाथ चला रही है। चाय भी पड़ी पड़ी ठंडी हो गई तो वो उठा कर एक घूँट … Read more

तंग करने का तोसे नाता है – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

स्कूल की घंटी बजते ही अंशु अपने क्लासरूम से बाहर निकला। उसके चेहरे पर थकान थी, पर आँखों में वह चमक थी जो बच्चों को कॉग्निटिव डेवलपमेंट पर पियाजे के सिद्धांत समझाते समय आती थी। बैग में किताबों का बोझ था – वाइगोत्स्की, ब्रूनर, और उसका पसंदीदा पियाजे का संग्रह। वह सीधे घर पहुँचा और … Read more

दूरदृष्टा पिता – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi 

“सुनो नीरा,अपने लाड़ले से कह देना।अब घर खर्च थोड़ा बढ़ा दे,पत्नी आ गई है घर में।मुझसे उम्मीद ना रखे कि मैं उसका भी खर्च उठाऊंगा।और हां,बिजली का बिल,गैस सिलेंडर,और साप्ताहिक बाजार की जो जिम्मेदारी सौंपी है मैंने उसे,वो वैसी ही रहेंगी।” निरंजन जी की कर्कश आवाज सुनकर नीरा को बहुत बुरा लगा आज।अभी -अभी तो … Read more

पहला स्कूल – एम. पी. सिंह : Moral Stories in Hindi

पिता जी की तेरवी के बाद, सुमित ने अपनी मॉ कमल देवी से कहा, मॉ, अब आप भी हमारे साथ शहर चलो, यहाँ गावँ में अकेली रहेगी तो पिताजी की याद आएगी ओर आप परेशान होती रहेंगी। बेटे का दिल रखने के लिए मॉ ने कहा, अभी थोड़े दिन यहीं रहने दे, अगली बार जब … Read more

रसोई किसकी– बहू या सासूमाँ की – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 सीजन के पहले दिन कटहल की सब्जी बड़े उत्साह और मेहनत से सौम्या ने बनाया था….। वाह क्या सब्जी बनी है कटहल की… सच में बहुत स्वादिष्ट लग रही है डाइनिंग टेबल पर बैठकर सभी कटहल की सब्जी की तारीफ कर – कर के चटकारे ले-ले कर खाये जा रहे थे….। रसोई से सौम्या ये … Read more

पड़ गई कलेजे में ठंडक – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

डाक्टर सुमोना ने लेबर रूम से बाहर आकर बोली सात्विक जी हम आपके बच्चे को नहीं बचा पाए ।पेट के बल गिरने से बच्चे के सिर में चोट लग गई थी और बच्चा पेट में ही मर गया था। इतना सुनते ही सात्विक की मम्मी शालिनी जी बिफर पड़ी बेटे पर ।पड़ गई तुम दोनों … Read more

चाय पानी हो गई – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

———————– फोन की घंटी बजाते ही सिंक में बर्तन धो रही शोभा ने झट आंचल में हाथ पोछ उसकी तरफ लपकती और फूर्ती से उंगलायां चलाते हुए रिसीब करते हुए बोली – हेलो बेटा जय श्री राधे कैसी हो ।उधर से आवाज आई ठीक हूँ मां और तुम  कैसी हो। अच्छी आदत हो गई है … Read more

पश्चाताप की अग्नि – आरती झा आद्या  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : बाल सुधार गृह में बेटे दिव्यांश से मिलने गई मालिनी बेटे को देख विचलित हो गई थी। गौरवर्ण दिव्यांश एकदम कोयले की तरह काला हो गया था और दुबला पतला ऐसा हो गया था कि पहचान में नहीं आ रहा था। मिलने का समय खत्म होते ही और दिव्यांश के … Read more

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