क्या करे पूर्वी ? – विमला गुगलनी

रोहित अभी थोड़ी देर पहले ही घर आया था। फ़्रेश होकर दो कप चाय बनाई और ट्रे में कुछ बिस्कुट और नमकीन रख कर पत्नी रोमा के पास आकर मेज़ पर चाय रखी। तकिये का सहारा देकर पहले रोमा को अच्छे से बिठाया और फिर चाय का कप उसके हाथ में पकड़ाया। रोमा ने चुपचाप … Read more

जस्सी और प्रीति – विमला गुगलनी

ट्रिगं- ट्रिगं की तीन बार आवाज़ सुनकर भी जब जस्सी बाहर नहीं आई तो प्रीती का मन हुआ कि वो आज अकेली ही स्कूल के लिए चल दे। जस्सी के कारण रोज ही देर हो जाती है, और फिर साईकल कितनी तेज़ चलानी पड़ती है। कल तो खेतों की मुँडेर पर साईकल चलाते समय दोनों … Read more

मन का रिश्ता – करुणा मलिक 

केतकी ! ऊपर वाले स्टोर की सफ़ाई करवा देना  किसी को कहकर कल । कल…. मैं आज  खुद ही सफ़ाई कर दूँगी । कल  सुबह तो अरुण आएगा  भाभी ।  अच्छा….. हाँ…. दिमाग़ से ही निकल गया था ।  सचमुच  बहुत मुश्किल रास्ता तय किया है तूने ।  हाँ भाभी, रास्ता तो कठिन था पर … Read more

माता पिता भगवान का दूसरा रूप होते हैं – बीना शर्मा

उम्र 65 घुटनों में दर्द कहां तक वह भागदौड़ कर सकती थी अपने और अपने पति के लिए खाना बनाते बनाते सरला देवी मन ही मन यही सोच रही थी जिस उम्र में औरतें आराम से बैठकर खाना खाती हैं उस उम्र में वह अभी घर का सारा काम करती थी।        कितने चाव से उसने … Read more

रौशन घर, अंधियारा मन – सविता गोयल

अरे वाह, बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है क्या बना रही हो श्रीमती जी?? घर में घुसते हीं रसोई से आती देसी घी की खुशबू सूंघते हुए मनोहर जी बोले। अजी देसी घी के लड्डू बना रही हूँ। राज को तो बहुत पसंद हैं मेरे हाथ के लड्डू। इस बार दिवाली पर जब राज बहू … Read more

मैं मां हूं ना – बीना शर्मा

कभी-कभी प्यार भरा मन भी रिक्त हो जाता है कमला देवी ने कितने प्यार से अपने बेटे रवि के जन्मदिन की तैयारी की थी । आज रवि का जन्मदिन था। इसलिए उसने सोचा आज रवि की पसंद का चॉकलेट वाला केक, मटर पनीर की सब्जी, गाजर का हलवा, बूंदी का रायता और खसता कचोरी बनाकर … Read more

आँखों देखा कहर – रवीन्द्र कान्त त्यागी

सोने की तैयारी में खाट पर लेटे लेटे मिट्टी के तेल की रोशनी में मेरा ध्यान अचानक खूंटी पर लटके बाबा जी के कुर्ते की जेब पर गया। एक बोतल का ढक्कन सा बाहर झाँक रहा था। बिस्तर छोड़कर उत्सुकता व आश्चर्य से मैंने उनकी जेब को टटोला तो वहां शराब का एक भरा हुआ … Read more

उधार का अमीर

दोस्तो, यह कहानी नहीं, एक सच्ची घटना है, जो पिछले एक वर्ष से भारत के हर शहर में नित नए रुप में किरदारों के नाम बदल कर घट रहीं है …. (यह  कहानी प्रधान मंत्री जी के आवहान पर इस ग्रुप के सदस्यों को समर्पित…) 100 नम्बर की एक गाड़ी मेन रोड पर एक दो … Read more

मन मार कर जीना भी कोई जीना होता है । – बीना शर्मा

रघुनाथ जी कई दिनों से देख रहे थे उनके बेटे रजत की पत्नी माधुरी पिछले कई दिनों से बेहद उदास रहती थी हर पल कुछ ना कुछ गुनगुनाने वाली बात बात पर खिल खिलाने वाली माधुरी आजकल बेहद खामोश रहती थी। माधुरी का उदास चेहरा देखकर रघुनाथ जी बेहद दुखी थे। महीने भर पहले ही … Read more

विषवृक्ष – रवीन्द्र कान्त त्यागी

छोटे से कस्बे में मेरा आई.आई.टी में उच्च श्रेणी प्राप्त करना कई दिन चर्चा का विषय रहा था. पहले महीने ही एक अंत्तराष्ट्रीय कंपनी में अच्छे पॅकेज की नौकरी लग जाने के बाद पिताजी ने वधु तलाश कार्यक्रम शुरू कर दिया था और ये स्वाभाविक भी था. महानगर की एक पौष कॉलोनी में प्रशासनिक अधिकारी … Read more

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