ये मेरी जिम्मेदारी है – मंजू ओमर 

ये लो सोनल तुम्हारा टिकट और जाने की तैयारी करो बस।कल मैं आ जाऊंगा तुमको स्टेशन छोड़ने।और हां सोनल मैं आज तुमसे एक बात कहना चाहता हूं तुम्हें जाने से पहले ,जो बहुत दिनों से मेरे मन में थी। बहुत दबाकर रखा था मन में मैंने कि पता नहीं तुम्हें अच्छा लगेगा या नहीं। क्या … Read more

बहू जिम्मेदारियाँ और अधिकार दोनों साथ-साथ चले तो ही अच्छा है – अर्चना खंडेलवाल  

 “अरे वाह, आज तो गली में बड़ी शांति है… न तो बरामदे से कोई ऊँची आवाज़, न बर्तन बजने की खटर-पटर!”लता मासी ने मोहल्ले की परिचित टोन में आवाज़ लगाते हुए चौखट पर पायल खनकाई। अंदर से किचन में रखे बर्तनों की हल्की खनक और गैस पर सीटी बजाती कुकर की आवाज़ आ रही थी।कैलाश … Read more

लीडर लेडी – संध्या त्रिपाठी

रजनी हमेशा अपनी कॉलोनी में सबसे सक्रिय महिलाओं में गिनी जाती थी। किसी भी कार्यक्रम, किसी भी आयोजन, किसी भी सामाजिक काम—सबसे पहले उसका नाम आता। उसकी तेज़ आवाज़, उसका चटक-दमक वाला अंदाज और दूसरों से एक कदम आगे रहने की आदत ने उसे मोहल्ले की “लीडर लेडी” बना रखा था। उसी मोहल्ले के पीछे … Read more

आपकी दोनों बहुएँ एकदम लक्ष्मी हैं – पुष्पा जोशी 

 मोहनलाल जी का पुराना सा मकान शहर के बीचों-बीच था, पर उसमें जितना प्यार था, उतनी ही रौनक भी। नीचे की मंज़िल पर वो अपनी पत्नी शारदा के साथ रहते थे, और ऊपर की मंज़िल दो हिस्सों में बँटी थी – एक तरफ़ बड़े बेटे प्रदीप का कमरा, दूसरी तरफ़ छोटे बेटे सागर का। प्रदीप … Read more

घर बंटने से पहले दिल बंटता है – रश्मि प्रकाश 

  सरोजा देवी का छोटा बेटा विवेक, जो दो महीने पहले ही शादी करके आया था, आज सुबह से नज़रें चुराता घूम रहा था। सरोजा देवी मंदिर की घंटी बजाकर बाहर आईं तो देखा कि विवेक बैठक में खड़ा कुछ सोच रहा है।उनके पूछने से पहले ही विवेक ने गहरी सांस ली—“माँ, मुझे आपसे कुछ कहना … Read more

शक से सिर्फ रिश्ते टूटते हैं – हेमलता गुप्ता 

अनन्या को पिछले कुछ दिनों से एक अजीब-सी बेचैनी महसूस हो रही थी।अर्जुन—उसका पति—आम दिनों में शांत, गंभीर और थोड़ा रिज़र्व स्वभाव का इंसान था।लेकिन पिछले पंद्रह-बीस दिनों से वह किसी अनदेखी खुशी से भरा हुआ घूम रहा था। ऑफिस जाने से पहले गुनगुनाना,देर रात तक मोबाइल पर मुस्कुराते रहना,और अक्सर अचानक कहीं बाहर निकल … Read more

फैसला – एम पी सिंह

अशोक अपने बेटे और माँ के साथ दिल्ली मैं रहता था और प्राइवेट बैंक मैं क्लर्क था. अशोक कि शादी 6 साल पहले कमला से हुई थी, शुरू के 2 साल तक सब कुछ ठीक था. फिर कमला के पॉव भारी हुए और घर मैं खुशियों का माहौल बन गया. धीरे धीरे समय बीतता गया … Read more

भाग्य – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू

किराये के मकान और विषम यानि (आर्थिक) परिस्थितियों से जूझते जूझते रेखा की बेटियां कब जवान हो गईं उसे पता न चला, एक रोज रीना की मम्मी (पड़ोस वाली भाभी) ने ऐसे ही बातों बातों में पूछ ली अरे भाई शहनाई कब बज रही  आपके घर ईश्वर की कृपया से बच्चियों की पढ़ाई भी  पूरी  … Read more

घाव हरा करना – लक्ष्मी त्यागी

शहर के कोने में बने एक पुराने से घर के बरामदे में, एक बूढ़ा व्यक्ति लकड़ी की पुराने डिजाइन की कुर्सी पर बैठा हुआ था। उसके चेहरे की झुर्रियों की गहराई में बीते हुए सालों का दर्द साफ झलक रहा था।उस व्यक्ति का नाम — ‘रामनारायण मिश्रा’था। ये घर कभी हंसी-खुशी से गूंजता था, मगर … Read more

अंतहीन यात्रा – संजय मृदुल

मालगाड़ी आवाज़ करती हुई रुकी। सुबह का धुंधलका छंटने लगा है, पूरब से हल्की लालिमा बिखर रही है। खुशनुमा दिन की शुरुआत हो रही है और राहुल का मन खाली है। धीरे से उसने बाहर झांक कर देखा। चारों ओर खेत और उनमें लगे पेड़ दिखाई दे रहे हैं। खेतों से पीछे दूर चिमनियों से … Read more

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