आत्मसम्मान की जीत – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi
मीरा की उंगलियाँ चाय के खाली कप को घूमा रही थीं, जैसे उसका जीवन बार-बार उसी खालीपन के चक्कर में घूम रहा हो। सास का कर्कश स्वर अभी भी कानों में गूंज रहा था, “अरे, तू चुपचाप सहन क्यों नहीं कर लेती? घर की शांति के लिए थोड़ा समझौता तो हर औरत को करना पड़ता … Read more