विश्वास को खोते देर नहीं लगती – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

प्रीति बहुत गहरी सोच में डूबी हुई थी। उसके सामने एक ऐसी सच्चाई खड़ी थी, जो उसके घर का सुख-चैन छीन सकती थी। एक तरफ़ परिवार का रिश्ता था और दूसरी तरफ सच्चाई का बोझ। अगर वह मुंह खोलती तो उसका ही घर बिखर सकता था। लेकिन अगर चुप रहती, तो एक बेगुनाह कामवाली पर … Read more

बंद दरवाजों के पीछे का थप्पड़ ‘-मीनाक्षी गुप्ता :Moral Stories in Hindi

सोनम की दुनिया एक बंद कमरे की घुटन से शुरू होकर उसी कमरे की ख़ामोशी में ख़त्म हो जाती थी। बाहर की दुनिया में उसका पति, मोहित, एक आदर्श, हँसमुख और प्यार करने वाला इंसान था। उसकी हँसी और बातों में सोनल के लिए फ़िक्र झलकती थी। पर यह सब एक ढोंग था, एक ऐसा … Read more

माँ – संगीता अस्थाना : Moral Stories in Hindi

“क्या माँ -जब सोमा ने मना किया है किचेन में जाने से तो क्यों जाती हो जो चाहिये वो माँग लो पर नहीं तुम्हें तो अपने मन की ही करनी है मैं तो तंग आ गया हूँ ।” “ वो बेटा भूख लगी थी इसी लिए आई थी किचेन में ।” “खाना नही खाया था … Read more

कल कल बहती पाताल गंगा – Moral Stories in Hindi

सुमन तेरा चेहरा बता रहा है आज फिर तुम परेशान हो ,फिर से बेटे बहू में झगड़ा हुआ है क्या! सुमन ने एक लंबी सांस लेकर कहा -अब तो यह रोज की कहानी हो गई है, समझ में नहीं आता- दोनों इतने बड़े इंजीनियर हैं !बड़ी कंपनी में काम करते हैं! बढ़िया कमाते हैं! फिर … Read more

वसीयत – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

वृंदा को नए शहर के इस मुहल्ले में आए दो महीने होने को आए, पंरतु अभी तक किसी से भी उसकी ठीक से जान पहचान नहीं हुई थी। कुछ समय तो वो भी व्यस्त रही, बच्चों की स्कूल कालिज की एडमिशन और घर सैट करने में। पति की बैंक की नौकरी के कारण हर तीन … Read more

मैं तुम्हारा बाप हूँ – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

 “ बेटा नवीन, अगर हैं तो पाचं सौ रूपए देता जा, तेरी मां की शूगर की दवाई खत्म हो गई है,दवाई खाए बगैर वो खाना नहीं खा सकती”।      अभी पिछले हफ्ते ही तो दिए थे एक हजार रूपए, अब कहां से लाऊं इतने पैसे, दुकान तो घाटे में जा रही है, यह कह कर नवीन … Read more

सावन के झूलें – सरिता कुमार : Moral Stories in Hindi

सिद्धार्थ जब भी घर आते तो मेघा अजीब सी परेशान हो जाती । कुछ अस्त व्यस्त सी बड़ी अनमनी सी । पानी का गिलास सिद्धार्थ के बजाए पापा को पकड़ाने चली जाती और किताब काॅपी किचन में रख देती और  जाकर कोने में खड़ी हो जाती । फिर उसके पापा आवाज़ लगाते तब आकर बैठती … Read more

“नया सवेरा” – डॉ  विद्यावती पाराशर : Moral Stories in Hindi

सुबह के दस बजे थे। रमा अपने छोटे से घर में किचन में काम कर रही थी। किचन से हल्की हल्की खुशबू आ रही थी, पर उसके चेहरे पर वही पुराने दिन का थकान और भावनाओं का बोझ साफ़ झलक रहा था। इतने वर्षों में रमा ने जाने कितनी मुश्किलें देखी थीं। पंद्रह साल पहले … Read more

बेटी, बहन, बुआ – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

डोली आ गई, माँ जल्दी करो, भाभी भैया कार से उतर चुके है, अभी तक आरती की थाल तैयार नहीं हुई, चलो हटो, तुमसे न होगा पूनम लगातार बोले जा रही थी। उसने फटाफट माचिस से दिए को जगाया। माँ को माचिस ही नहीं मिल रही थी, बारात में जाते समय मेड संतोष को बोल … Read more

तुम सा नहीं देखा – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

मुंबई सपनों का शहर…शायद ही कोई होगा जिसे मुंबई आने का  मन ना हो….ये शहर खींचता है अपनी तरफ…..जगमगाती सड़कें, समंदर, गगन को चूमती हुयी इमारतें, .फैशन भी तो यहीं से शुरू होत है…… कहते है जो एक बार यहाँ आ जाए फिर उसका मन यहीं लग जाता है…. शाम के पाँच बजे मुंबई का … Read more

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