समधन जी – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

समधन जी !”आपकी बिटिया को कुछ सिखाया नहीं है क्या? सिर्फ पढ़ाई लिखाई और नौकरी ही कराया है आपने?” कमला जी ने फाल्गुन की मम्मी को सुनाना शुरू कर दी। अभी अंदर आए कुछ ही समय हुआ था रमा जी को,ना ढंग से चाय – पानी पूछा और ना ही हाल खबर। ऐसा लग रहा … Read more

ऐसे कारज कीजिए – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

किसी ने सच ही कहा है कि हर इन्सान को अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है और यह भी सच है कि इसी धरती पर भुगतना पड़ता है। अगला जन्म, दूसरा जहान, नर्क – स्वर्ग किसने देखा है। जब कोई व्यक्ति अपनी अच्छी उम्र , अच्छा जीवन भोग कर जाए तो सब यही कहते … Read more

सिसकती सांसें – सरिता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

बहुत दिनों के बाद मायके आ पाई। मां पापा के साथ भाई बहन -सभी फोन कर करके मनुहार करते रहे–दीदी तू तो हमें भूल ही गई, शायद रास्ता ही भूल गई हो ,हम आ जायें लेने ! मुझे हंसी भी आती और अपने ऊपर गुस्सा भी,पर क्या करें!जब तक बच्चों के पेपर नहीं हो जाते,ट्यूशन … Read more

बस एक प्रेम – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

कई बार फोन करने के बाद भी जब नही उठा तो आंखों में आंसू लिये सोचने लगी वर्षों पहले जिसे जिंदगी से बेदखल कर दिया था  आज  उसी के पीछे मन भाग रहा  अचानक से माल में हुई मुलाकात ने उन दोनों को करीब ला दिया सबकी अपनी अपनी दुनिया होते हुए कभी कार बातें … Read more

आँसू पीकर रह जाना – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

गाँव के आखिरी छोर पर बने  एक छोटे से घर में, रहता था आकाश. घर में बूढ़े माँ-बाप थे, दो बहनें – बड़ी, रमा तो अपने ससुराल जा चुकी थी, पर छोटी, पूजा की शादी की चिंता में सब परेशान रहते थे . और थे दो भाई – बड़ा, सुरेश, जो गाँव की छोटी-मोटी दुकान … Read more

अस्तित्व – डा० विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi

कभी-कभी जीवन की सबसे बड़ी आज़ादी, किसी पुराने घर के आंगन में मुस्कराती मिलती है, जहां दरारों में भी अपनापन होता है और खामोश दीवारों से भी संवाद होता है। ये कहानी है सावित्री देवी की — एक ऐसी मां की जो अपने बच्चों के सुख में भी खुद को भूल नहीं सकी, और खुद … Read more

*अहम * – मिन्नी मिश्रा : Moral Stories in Hindi

आकाश को घर से निकले पाँच दिन हो गये । एक-दो दिन मुझे अकेलेपन का जरा भी अहसास नहीं हुआ, सब कुछ अपनी मनमर्जी से किया । परंतु , आज सवेरे से ही मन बेचैन था.. . कभी टीवी खोलती, कभी खिड़की के पास खड़ी होती, तो कभी वार्डरॉब में उनके कपड़ों को निहारती । … Read more

क्या यही प्यार है – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

देखो जी , मैं कैसी लग रही हूँ? मोहिनी ने नई साड़ी पहनकर इठलाते हुए पूछा। सुदंर मोहन ने बगैर मोहिनी की और देखे ही कहा। हमेशा की तरह मोहिनी चिढ़ सी गई। वो भी कैसी बेवक़ूफ़ है, आज तीस साल हो गए शादी को, फिर भी मोहन को समझ नहीं पाई। अजीब ही बंदा … Read more

हैप्पी! वैलेंटाइन डे – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

पाखी कई दिनों से बाजार जाने की सोच रही थी लेकिन कभी कोई काम आ गया तो कभी कोई मेहमान आ गया। कभी ख़ुद की तबियत ठीक नहीं तो कभी पतिदेव को साथ जाने की फ़ुरसत नहीं। आख़िर एक दिन वो अकेली ही निकल पड़ी गाड़ी उठाकर मार्किट की तरफ। इंतजार करने की भी हद … Read more

“अनकही पीड़ा” – मीरा सजवान ‘मानवी’ : Moral Stories in Hindi

छोटे शहर की पुरानी हवेली में रहने वाली कुसुम देवी को मोहल्ले में एक अनुशासित, संस्कारी और सख्त सास के रूप में जाना जाता था। उनके बेटे रोहित की शादी एक साल पहले स्नेहा से हुई थी। स्नेहा पढ़ी-लिखी, सुशील, और स्वभाव से बेहद शांत लड़की थी। उसने शादी के बाद घर को अपना मानकर … Read more

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