सबक सिखा कर रहूंगी – ऋचा उनियाल

“रमा तू आज फिर लेट हो गई? तेरा ये अब रोज़ का नाटक हो गया है, पहले तो ऐसा नहीं करती थी!! ऊपर से तेरी आए दिन की छुट्टी से मैं तंग आ गई हूं। देख साफ साफ कह रही हूं रमा, अगर ऐसा ही चलता रहा ,तो मुझे नहीं करवाना तुझसे कोई काम वाम … Read more

तृप्ति – ऋचा उनियाल

माथे का पसीना अपने दुपट्टे से पोंछती हुई ,नियति किचन से निकल कर आई और लिविंग रूम में रखे सोफे पर, धम्म से बैठ गई।थकान से पूरा शरीर दर्द कर रहा था उसका। सितंबर का महीना था और पितृपक्ष चल रहे थे। आज उसके ससुर जी का श्राद्ध था। बस थोड़ी देर पहले ही पण्डित … Read more

मां के आंसुओं का हिसाब – निमिषा गोस्वामी

शादी के दस बाद हिना को बेटा हुआ । दुनिया भर के ताने सुनने के बाद आज उसे इतनी खुशी मिली कि वह सारी बातें भूल गई बस अपलक अपने बेटे को निहारती रही ।देखा मैंने कहा था न कि एक दिन हमारे आंगन में भी खुशियों के फूल खिलेंगे हिना अपने पति हेमंत का … Read more

मेरा घोंसला मत उजाड़ो…… – सिन्नी पाण्डेय :  Moral Stories in Hindi

महेन्द्र बाबू गांव के जाने माने जमींदार थे। हज़ारों स्क्वायर फ़ीट में फैली ज़मीन के बीचों बीच उनकी आलीशान कोठी बनी थी और बाहर क्यारी के पास की ज़मीन पर एक बड़ा सा आम का पेड़ लगा था जो बहुत सारी गौरैया,तिलोरी और फ़ाख्ता चिड़ियों का घर था। दिन भर चिड़ियों की चहचहाट से वातावरण … Read more

पिया जी मैं तो आपको छोड़कर न जाती…… – सिन्नी पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

मंजरी का विवाह एक सम्पन्न परिवार में हुआ था,वह बहुत खुश थी। चूंकि वो एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से थी,तो उसके लिए यह शादी किसी सपने के पूरी होने जैसे थी। वह सुबह जल्दी उठने से लेकर घर के सारे कार्यों की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले चुकी थी। सास ससुर संतुष्ट थे उससे, और हों … Read more

फ़ैसला – डॉ पुष्पा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

पिछले दो दिनों से अपना कमरा बंद किए पड़ी नीलांजना,  अचानक दरवाजा खोल, बाहर आ खड़ी हुई थी- ”बाबूजी, मैंने फ़ैसला कर लिया है, मैं काजल भाभी का साथ दूंगी। अदालत में उनके पक्ष में गवाही दूंगी।“ नीलांजना की घोषणा से पूरे घर में सन्नाटा खिंच गया । बड़े भइया की मृत्यु पर मातमपुर्सी करने … Read more

एक शिक्षिका ऐसी भी….. – अमिता कुचया : Moral Stories in Hindi

शीतल शहर से गांव के स्कूल के लिए बस से आती और गांव के मेन रोड से अंदर सरकारी शाला में ढाई किलो मीटर तक चलकर पहुंचती, जैसे ही स्कूल लगता तो तब बच्चे उसे कक्षा में आते देख कहते देखो – देखो शीतल मेडम आ रही है, सब बस्ता खोलकर बैठ जाते। इतना उत्साह … Read more

अब से मैं ही आपका बेटा हूँ मां…… – सिन्नी पाण्डेय :  Moral Stories in Hindi

वंदनाजी अपने 9 साल के पोते को स्कूल वैन में बैठाकर अंदर आईं और अपने कमरे में निढाल होकर बैठ गईं। बहू नीलू आज दो महीने की छुट्टी के बाद स्कूल गई थी,वो एक प्राइवेट स्कूल में अध्यापिका थी। नीलू के जाने से वंदना जी का दिल घबरा रहा था,उनको अपना ही घर काटने को … Read more

मानवता – निमिषा गोस्वामी : Moral Stories in Hindi

आज कई वर्षों के बाद शोभित अपने गांव वापस आया। बी-टेक करने के बाद बैंगलोर में एक कंपनी में जॉब लग जाने के बाद से ही वह बैंगलोर में ही था।बस से उतरकर वह गांव  जाने के लिए टैक्सी का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद टैक्सी उसके पास आकर खड़ी हो गई।अरे शोभित भइया … Read more

तीन दिनों बाद – परमा दत्त झा : Moral Stories in Hindi

भोपाल के एक बड़े और समृद्ध मुहल्ले में उस दिन अफरा-तफरी मच गई।एक आलीशान कोठी के भीतर से तेज़ बदबू आ रही थी।लोगों ने पहले सोचा कि शायद कोई जानवर मर गया होगा, लेकिन जब बदबू असहनीय होने लगी तो सबको अंदेशा हुआ कि मामला कुछ और है। मुहल्ले वालों ने मिलकर पुलिस को बुलाया। … Read more

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