अपहरण का बदला – रवीन्द्र कान्त त्यागी

रात के दो बज रहे हैं। आंखों में नींद का नामोनिशान नहीं है। मेरी पत्नी अनुष्का अपने तीन साल के वैवाहिक जीवन को ठोकर मार कर चली गई है। बरसों से मेरे हृदय में उसके लिए बसे अगाध प्रेम, समर्पण और विश्वास को एक तीन पंक्ति के कागज के पुर्जे से तार तार करके, मेरी … Read more

( ना ) जायज़ रिश्ते – रवीद्र कान्त त्यागी

गुड़गांव की आई.टी. सेक्टर की बड़ी कंपनी में शालीन और शैलजा काम करते थे. दिल्ली और एनसीआर में ही नहीं, सभी बड़े शहरों में और अब तो कस्बों और गांवों में भी अनेक प्रेम कहानियां रोज ही बनती और बिगड़ती रहती हैं. मैट्रो ट्रेन में, कैंटीन में, बस स्टॉप पर और ऑफिस में रोज ऐसी … Read more

कर्ज की बेदी – डॉ बीना कुण्डलिया

राधे मोहन जी परेशान से घर में चहलकदमी कर रहे। हफ्ते भर से उनका यही हाल आँखों से नींद गायब एक माह बाद बेटी की शादी तय हुई कपड़े गहने लतते पंडाल होटल सभी मिलाकर काफी खर्चा होने वाला कैसे होगा सब ? पैसा तो कम पड़ जायेगा । कर्ज तो लेना ही पड़ेगा । … Read more

कडवी जुबान – परमा दत्त झा

आज बृजेश मिश्र को श्रेष्ठ कलाकार के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सम्मान समारोह में उन्हें पांच लाख नकद राशि, एक स्वर्ण पदक सहित समान से सम्मानित किया गया है।उसके बाद खुशी से चहकता फोटो था। अब काटो तो खून नहीं -बिटटी सारा कुछ हड़पकर रानी बनी बैठी है और हम उनकी औलाद ठोकर … Read more

भाभी की बेटी तो फ्री की नौकरानी हैं !! – स्वाती जैंन

इस अनाथ को तू यहां अपने घर क्यों ले आई हैं , मेरे घर को अनाथाश्रम समझ के रखा हैं क्या ?? तेरे भाई की बेटी की इस घर में कोई जगह नहीं समझी , तेरे गरीब मायके वाले तुझे ही मुबारक , मैं कह देती हुं कि इसे जहां से लाई हैं , वहीं … Read more

जीवनसाथी – सविता गोयल

आज फिर मनोहर जी पार्क का चक्कर लगाकर वापस आ गए, लेकिन सुधाकर आज भी घूमने नहीं आया था। मन में बहुत से विचार उठने लगे, “पता नहीं तबीयत ठीक है या नहीं??” घर आकर भी उन्हें बेचैनी हो रही थी। उनकी पत्नी सरोज जी चाय लेकर आई तो उन्हें चिंता में देखकर पूछ बैठी … Read more

“मैं सिर्फ आपकी पत्नी नहीं, किसी की बेटी भी हूँ – अर्चना खण्डेलवाल 

“मैं सिर्फ आपकी पत्नी नहीं, किसी की बेटी भी हूँ। मेरा फ़र्ज़ सिर्फ आपके परिवार वालों की तरफ ही नहीं है। मेरा भी परिवार है, जहाँ मैंने अपने जीवन के 25 साल गुज़ारे हैं। आज मेरे मम्मी-पापा को मेरी ज़रूरत है और आप कह रहे हो कि मायके मत जाओ। साल भर में कुछ दिन … Read more

खुद से चीटिंग – रीतू गुप्ता

रूही रात के 2 बज गए है, तुम अभी तक जग रहीं हो।  हां, मम्मा वो पढ़ाई कर रहीं थी, कल असाइनमेंट देनी है ना। बेटा मोबाईल हाथ में  लेकर कैसे पढ़ाई हो रही है।  मम्मा, सारे नोटिस फोन में ही है।  बेटा पक्का ना।  हां मम्मा।  कुछ चाहिए…बेटा…टी कॉफी।  नहीं मम्मा । ओके बेटा, … Read more

सेवा को मेवा – विमला गुगलानी

   विनायक और राजवंत दो भाई और एक बहन दंमयंती।शहर के पास बसा एक  गांव जो कि अब बड़े कस्बे में परिवर्तित हो चुका था जहां पर इस परिवार का बसेरा था। हरिप्रसाद जी की यहां पर बहुत पुरानी बर्तनों की दुकान जहां पर किसी जमानें में पीतल, कांसे, लोहे , भरत के बर्तन मिलते थे, … Read more

आपके हाथ का बना खाना डस्टबिन के लायक हैं !! – स्वाती जैंन

पुरा मुड़ खराब हो गया सुबह सुबह , मम्मी यह कैसा आलू पराठा बनाया हैं तुमने ?? ना नमक का स्वाद ना मसालों का स्वाद , इससे अच्छा होता कि मैं आलू पराठा बाहर ही खा लेता , मैंने कल शाम को कितना प्यार से तुमसे कहा था कि कल नाश्ते में करारेदार आलू पराठा … Read more

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