जीवनदान – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

अरे करमजले! तू क्या कहीं का राजा- महाराजा है ? जो तेरी अय्याशी के बावजूद कोई अपनी लड़की देगा …. तेरा बेटा हीरो है हीरो … मैं उस उल्टे तवे से शादी हरगिज़ नहीं करूँगा….. लड़कियों की….. नहीं-नहीं हीरोइनों की लाइन लगा दूँगा…… चुप रह बेशर्म!  किसी ओर के सामने दिखा ये सब्ज़बाग़…..  नंदा जी … Read more

निर्णय – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

इस लँगड़े की वजह से घर टूटता जा रहा है….. घर चाचाजी की वजह से नहीं…… तुम्हारे स्वभाव के कारण टूटेगा…शायद तुम भूल रहे हो कि घर मेरे चाचा जी का है । पता नहीं अपाहिज कब तक हमारे सिर पर बैठा रहेगा …. बिना मतलब की ज़िम्मेदारी पल्ले पड़ गई । ख़बरदार माधव , … Read more

एक बेटे का क्या देखा ? – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

अम्मा, आज तो सुबह से ही बहू का जी ठीक नहीं….. क्या पता , रात को ही अस्पताल ना जाना पड़ जाए …. आप क्या कह रही थी कि अस्पताल जाने से पहले क्या करना है? मैं कह रही थी कि एक साड़ी और कुछ रुपये गरिमा के हाथ से कुलदेवी का नाम लेकर मंदिर … Read more

समझदारी का उम्र से नाता नहीं – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

अरे अभी तो एन० डी० ए० में सिलेक्शन हुआ ही है और शादी! पार्वती! इस लड़के का दिमाग़ तो ठीक है….. पता भी है शादी का मतलब इसको ? बारहवीं पास लड़की है … पापा … मुझे पता है पर मजबूरी है । मैं बस अपने रिज़ल्ट का इंतज़ार कर रहा था….. प्लीज़ समझिए…. कोमल … Read more

श्राप – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

कान्हा ! आज तो ऑफिस जाना ही पड़ेगा, अब तो छुट्टी नहीं मिलेगी….. तुम्हारी तो कक्षाएँ नहीं लग रही तो बेटा ,दादी  और पापा का ध्यान रखना….. तुम्हारा खाना टेबल पर रखा है… छोटे कैसरोल में सब्ज़ी और बड़े में रोटी …. दादी  और पापा की खिचड़ी कुकर में इंडेक्शन पर बनी रखी है….. बस … Read more

घर-वापसी – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

देखते-देखते केशव जी के रिटायरमेंट का दिन आ पहुँचा । आज सुबह तीन बजे ही उनकी आँख खुल गई थी । हर रोज़ चार बजे उठते थे । पहले तो दस मिनट लेटे रहे फिर उठकर पानी पिया , सोने की कोशिश की फिर अजीब सी बेचैनी महसूस हुई तो खड़े होकर कमरे की बत्ती … Read more

ख़ानदान की इज़्ज़त – करुणा मलिक    : Moral Stories in Hindi

बहनजी…… ये तुम्हारी जेठानी कहाँ गई , पिछले चार दिन से दूध ना ले रही…कभी किसी को…. कभी किसी को, दूध देना पड़ रहा है । क़रीब अठारह-बीस साल से दूध दे रहा हूँ पर पहली बार ऐसा हुआ कि दरवाज़े पर ताला लटका है ….. तुम्हें भी ना पता क्या , कहाँ गई ? … Read more

निष्कलंका – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

भाभी, साक्षी के बिना घर में मन ही नहीं लगता । पूरे मोहल्ले की रौनक़ थी । इस बार तो आ गई पर आगे से मुझे भी तब बुलाना जब साक्षी को बुलाओ । ये तो कोई बात नहीं दीदी…… तुम दोनों बुआ-भतीजी साथ आओगी और पूरे घर में सन्नाटा करके इकट्ठी चली जाओगी , … Read more

मतों का भेद स्वाभाविक है – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

नितिन, प्लीज़ तुम ख़ुद ही आगरा चले जाओ , दो-चार दिन या एक आध हफ़्ता, मैं यहाँ मैनेज कर लूँगी । तुम्हारी मॉम के आते ही हैडेक हो जाती है…. शानू ….यार मैं भी समझता हूँ मॉम की रोक-टोक पर …. लगातार एक महीने से वो कह रही है कि घर में मन नहीं लग … Read more

आह ख़ाली नहीं जाती – करुणा मलिक   : Moral Stories in Hindi

देखो माँ जी , कहे देती हूँ कि अगर इसने मेरा कमरबंद नहीं दिया तो मैं अपने मायके वालों को बुलाऊँगी, फिर मत कहना कि उन्हें बीच में लाने की क्या ज़रूरत थी?  अब तू ही बता बहू , मैंने तेरे सामने ही कितनी बार कहा है सुशीला से कि सोने का कमरबंद सरला का … Read more

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