पहला पहला प्यार है – वीणा सिंह
आज नील और मैं एक-दूसरे से ऐसे बात कर रहे थे जैसे सालों पुराने अजनबी हों।सूखे से, औपचारिक, जैसे बस ज़रूरत भर की बात करनी हो। मैंने बालकनी के शीशे में अपना चेहरा देखा तो मन ही कसक उठा—कहाँ गया वो नील जो मेरी हँसी सुनते ही खुद हँसने लगता था?कहाँ गई वो आर्या जो … Read more