पूजाघर मे कैसा भेदभाव – संगीता अग्रवाल 

“रसोईघर मेरे लिए पूजाघर के समान है बहू इसलिए ध्यान रखना कभी यहां बिना नहाए मत घुसना क्योंकि यहां खाना नहीं प्रसाद बनता है !” दिव्या की शादी के बाद की पहली रसोई पर ही उसकी सास सीता देवी ने उससे कहा। ” जी मांजी मैं ध्यान रखूंगी इस बात का और आपको शिकायत का … Read more

अपनत्व की छाँव – ज्योति आहूजा

सुजाता आज फिर रसोई में देर तक खड़ी रही। गैस की आँच धीमी थी, पराठे सिक रहे थे, दाल पर तड़का लग रहा था, और बच्चों के डिब्बे सज रहे थे। हर दिन की तरह सबकी जरूरतें पहले, अपनी आख़िरी। कमरे में हँसी की आवाज़ें थीं, हलचल थी, पर उसके भीतर एक गहरा सन्नाटा था। … Read more

चाकलेट  की हिस्सेदारी – उपमा सक्सेना

“नीरू! नीरू चल मामा जी को सारी बोल दे!”मेघा अपनी तीन साल की बेटी को थोड़ा धमकाकर बोल रही थी। मेघा अजीब सी स्थिति मे अपने-आप को फंसा पा रही थी। रक्षाबंधन पर भाई के घर बहुत ही चाव से आई थी।पति नैतिक को भी बहुत मनुहार करके लेकर आई थी। पिता जी दस महिने … Read more

सोने के कंगना – लतिका श्रीवास्तव 

मां मेरा चयन हो गया है  शालिनी चहकती हुई आई और मां सुमित्रा से लिपट गई।अब अपने भी सुख चैन के दिन आ गए मां।बस ये प्रशिक्षण फिर जॉब …सुनते ही  सुमित्रा को लगा मानो सारा आसमान आज धरती पर सिमट आया है।लेकिन मां प्रशिक्षण और आवास के लिए जो फीस भरनी है वो बहुत … Read more

बेटी और बहु – एम पी सिंह

आशा की शादी अनिल के साथ हुई जो दिल्ली मे ही रहता था और वहीं जॉब करता था. अनिल काफ़ी समझदार और सुलझा हुआ इंसान था. अनिल की बड़ी बहन रीमा की शादी भी सरोजनी नगर, दिल्ली में रहने वाले कारोबारी रमेश से हुई थी. रीमा जरा जिद्दी और कामचोर किस्म की लड़की थी. रमेश … Read more

माफी – खुशी

लवली एक मस्त मौला लड़की थी जो एक पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखती थी।पापा वीरेन्द्र जिनका डिपार्टमेंटल स्टोर था  मां विम्मी हाउस वाइफ बड़ा भाई सुरेन्द्र जो पापा के साथ ही काम करता था। लवली का फैशन और मेकअप में बहुत इंटरेस्ट था इसलिए उसने 12 वी पास  करते ही  मीनाक्षी दत्ता का स्टूडियो ज्वाइन … Read more

विश्वासघात – बिमला रावत जड़धारी

राधिका जी शाम की चाय पी रही थी कि तभी गेट की घंटी बजी, देखा तो श्यामा जी थी। राधिका जी ने श्यामा जी का बडे गर्मजोशी से स्वागत किया। करती भी क्यों नहीं, दोनों की दोस्ती पचास साल पुरानी थी। राधिका जी ने श्यामा जी से कहा, ‘तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए चाय बना … Read more

शर्म नहीं गर्व हूं मैं – सोमा शर्मा 

यह मेरी अपनी आपबीती हैं ।जब मैं सिर्फ ११ बर्ष की एक चंचल और नटखट बच्ची थी और अपने मम्मी पापा भैया की दुलारी थी। मेरा नाम आभा हैं और यह कथा मेरे जीवन की एक ऐसी सच्चाई हैं जो मेरी जिंदगी को पूरी तरह से बदल देती है। आभा छठी कक्षा की एक होनहार … Read more

ममता की छाँव – उप्मा सक्सेना

दिल्ली का ट्रैफिक और सुबह को ऑफिस की भागम-भाग। तीन दिन पहले मेरा स्कूटर जरा सा संतुलन खो बैठा और नतीजा हेयर लाइन फ्रैक्चर। ऑफिस मे सभी ने भरपूर सहयोग किया।डाक्टर को दिखाना प्लास्टर चढवाना। मुझे वर्क फ्राम होम की सुविधा भी मिल गयी थी ।तो छुट्टी की चिंता भी नही थी ।पर मम्मी पापा … Read more

अपनत्व की छांव – परमा दत्त झा

आज सुबह सबेरे ममता अकचका गयी जब रात के तीन बजे श्वसुर जी इधर आते दीखे।उसका जी धक से रह गया।आज का जमाना खराब है,ऊपर से कितने श्वसुर —। मगर वह बाथरूम जा रहे थे, अचानक रूके और बाहर से कंबल लाकर अच्छे से ओढ़ा दिया।फिर कछुआ छाप जला दिया और आस्ते से लाईट बंद … Read more

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