स्नेह का बंधन – रचना गुलाटी : Moral Stories in Hindi

आज मीरा का मन बहुत बेचैन था। उसे अपनी माँ की बहुत याद आ रही थी। माँ की फ़ोटो हाथ में लेकर वह सुबक रही थी। कमरे के एक कोने में बैठी हुई अपनी माँ को याद कर रही थी। उसकी माँ उसके बचपन में ही उसे छोड़कर भगवान के पास चली गई थी। उस … Read more

आखिर तिरस्कार कब तक – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

शिवानी अपनी नन्ही सी परी को लेकर रेलवे स्टेशन पर बैठी थी और सोंच रही थी अब क्या करूं कहां जाऊं कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है । मां को फोन करूं, फिर मन से आवाज आई अरे नहीं इतनी रात को फोन सुनकर मां परेशान हो जाएगी।और जिस घर में खुद मां को … Read more

तिरस्कार कब तक – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral Stories in Hindi

************* रवीश घर के दरवाजे की ओर एकटक देख रहा था। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसकी पत्नी भार्गवी और नीलाक्ष उसे अकेला छोड़कर चले गये हैं। पिच्चासी साल की अवस्था वाली अपनी बूढ़ी मॉ को सम्हाले या सेवा निवृत्त के बाद की अपनी जिन्दगी को। आज अनुभव हुआ कि भार्गवी तो … Read more

नज़र बदलो, नजारे बदल जाऐगें – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

   “ हैलो, हैलो , कैसी हो दीदी?” मोबाईल पर छोटी बहन शवेता का नाम देखकर मंजुला ने अनमने से होकर फोन उठाया, “ ठीक हूं बहना, जो समय बीत जाए, वो ही अच्छा”।        हर समय खुश रहने वाली और हर पल का आनंद लेने वाली मंजुला दीदी के मुख से ऐसी बात सुनकर शवेता बहुत … Read more

भाग्य – खुशी : Moral Stories in Hindi

रीता जी एक घरेलू महिला थी जिनका सारा वक्त अपने घर को संवारने और साफ रखने में बीतता।हर चीज आइने की तरह चमकती 10 साल पुरानी चीज भी ऐसा लगता कल ही शोरूम से आई है।उनके पति रितेश का स्कूटी और बाइक का शोरूम था। एक बेटी आदर्श और बेटी स्वाति थी।आदर्श ने MBA किया … Read more

आत्म सम्मान – रत्ना पांडे : Moral Stories in Hindi

रोज-रोज अपने आत्म सम्मान पर चोट सहन करती उर्मिला अपने मन में सोच रही थी कि आख़िर क्यों वह अपने आत्म सम्मान को प्रतिदिन तार-तार होने देती है? क्यों बात-बात पर ताने सुनती है? क्या इस परिवार के लोगों को सम्मान देना सिर्फ़ उसका कर्तव्य है? क्या उनका कर्तव्य कुछ नहीं जो उसे उसके परिवार … Read more

तिरस्कार कब तक – निमीषा गोस्वामी : Moral Stories in Hindi

अरे ओ बाबू कहां है रे तूं अरे तुझे मालिक ने बुलाया है। मालिक के घर मेहमान आ रहे हैं। हरीराम साफी को हिलाते हुए घर के अन्दर आते हैं । बापू को देखते ही।”नहीं मै नहीं जाऊंगा मुझे मालिक के घर काम करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता मां”तूं बोल न बापू से मुझे … Read more

तिरस्कार कब तक – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

कहते हैं हद किसी भी चीज की अच्छी नही होती न धूप को न बारिश की न हवा की न अपमान तिरस्कार की। कभी कभी आदमी अपमान को अपनी किस्मत समझ लेता है और उसे बदलने की जगह उसी हालात में जीने की आदत डाल लेता है। मगर कभी कभी ये तिरस्कार आपके लिए नई … Read more

तिरस्कार कब तक – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

जैसे ही कप उठाते हुए, छवि का पांव मयंक के पांव से टकराया कप छलक कर ट्रे में गिर गया तो मयंक दोस्तों के बीच(जिसमें दो महिला मित्र भी थी)  लगभग चिल्लाते हुए बोला..दिखाई नहीं देता.. अंधी हो क्या…मूर्ख …कहां से पल्ले पड़ गई ?? सबके बीच मयंक को यूं चिल्लाते देख ..जी सॉरी, सॉरी … Read more

अंगारे उगलना – चंचल जैन : Moral Stories in Hindi

परीक्षा के परिणाम घोषित हो गये थे। हमेशा अव्वल आनेवाली विद्या प्रतियोगी परीक्षा में पीछे रह गयी थी। आंसू झरझर बह रहे थे। कितने सपने संजोये थे उसने। कितने अरमान थे माँ के। पापा से बिछडने के बाद माँ बेटी एक दूजे का सहारा, संबल थी।  उसे पता है, माँ अकेली होती है तब खूब … Read more

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