सास-बहू का किस्सा – विभा गुप्ता

” क्या मिसेज़ गुप्ता, मैंने घर में कथा करवाई थी,आप आई क्यों नहीं?”        दरवाज़ा खोलते ही शिकायती लहज़े में मिसेज़ शर्मा पूछ बैठी तो मैंने पूछा,” आप बताइये, पूजा और कथा,सब बढ़िया से हो गया ना?”       ” हाँ जी, सब अच्छे- से हुआ।जानती हैं, रीतेश,पोते को लेकर आया था।पूरे तीन महीनों के बाद मैंने बंटी … Read more

घी के लड्डू टेढ़े मेढ़े भी अच्छे – रश्मि सिंह

रागिनी-मम्मी, मम्मी कहा हो, जल्दी आओ देखो मम्मी प्रेगनेंसी किट में दो लाईनस दिख रही है। सविता (रागिनी की सास)-इसका क्या मतलब। रागिनी-मम्मी मैं प्रेग्नेंट हूँ आप अम्मा बनने वाली हो। सविता-ज़्यादा उत्साहित मत हो नज़र लगती है साल भर के अंदर गोद भरना बड़ी बात है अभी किसी को मत बताना। कल डॉक्टर को … Read more

आक्रोश का असर – विभा गुप्ता

     ” क्या ताऊ जी, आप हमेशा ही हमें टोकते रहते हैं।हम तो तंग आ गये हैं आपसे।” कैलाश बाबू पर मयंक और मनीष का गुस्सा फूट पड़ा जब उन्होंने दोनों को म्यूज़िक सिस्टम की आवाज़ धीमी करने को कहा।सुनकर वो सकते में आ गये।इतने दिनों से तो वो उनकी सभी शरारतों और उद्दंडता को बर्दाश्त … Read more

नानी का गांव –   कविता भड़ाना

बहुत सालों बाद यूपी के ग्रामीण क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले प्यारे से “नानी के घर” जानें का मौका मिला गर्मियों की छुट्टी चल रही है तो मैं भी कुछ दिनों के लिए पीहर आई हुई हूं और एक दिन बातों ही बातों में मम्मी  मुझ से बोली … “चल तुझे तेरे नानी के घर … Read more

जानकी अम्मा – वीणा सिंह

कार्तिकेय नलिनी और श्रीनाथ का एकलौता बेटा.. माता पिता दोनो एक कंपनी में इंजीनियर थे.. जानकी नलिनी के अपार्टमेंट में नलिनी के अलावा पांच और घरों में काम करती थी.. उम्र होगी मुश्किल से पच्चीस साल.. सांवला रंग कमर तक झूलती चोटी को तीज त्योहार में जुड़ा बनाकर फूलों के गजरे से सजा लेती तो … Read more

आक्रोश ने दिलाया प्रमोशन  – सुषमा यादव

उस समय मैं छिंदवाड़ा जिले में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षिका थी। मेरे पति वहां एग्रीकल्चर में अधिकारी की पोस्ट पर थे । हमारा छोटा सा परिवार बहुत सुखी था। ज्यादा की हमने कभी कामना भी नहीं की थी।दो छोटी बेटियां, और हम दो। बहुत खुश थे हम सब। छिंदवाड़ा शहर भी बहुत बढ़िया था … Read more

राखी का क़र्ज़ – के कामेश्वरी

सुमित्रा मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है कि मेरे घर ऐसा मुँह उठाकर मत आ जाना । कुछ काम धाम नहीं है माँ को देखने के बहाने पंद्रह दिन में एक बार आ जाती है । लेकिन तुम्हारे दिमाग़ में बात नहीं पहुँचती है क्या?  तू जितनी ढीठ है तेरे ससुराल वाले भी ऐसे ही … Read more

जुनून – गुरविंदर टूटेजा | family story in hindi

  आज अंगद के इक्किसवें  जन्मदिन की सरप्राइज पार्टी की तैयारी पापा-मम्मी (संजय-अनिता) व छोटी बहन माही सब लगे हुए थे व वो भी बहुत खुश था…!!!!    एक पार्टी तो उसकी रात को दोस्तों के साथ हो गई थी उसे पता था कि घर पर भी बहुत बड़ी पार्टी होगी व गिफ्ट भी वो जो चाह … Read more

आक्रोश बन गया शक्ति – लतिका श्रीवास्तव

पूरे गांव में लाउडस्पीकर से घोषणा की जा रही थी गांव की बेटी का सम्मान समारोह …..जल्दी आइए आप सभी आइए…..”मिनी गदगद थी आज ….आज के समारोह के लिए नई कांजीवरम साड़ी खास उसके लिए आशा ने भिजवाई थी अपने संदेश के साथ “….. दीदी मेरे आक्रोश को आज मंजिल मिल गई है सारा श्रेय … Read more

जानकी जीवनधारा – मनीषा देबनाथ

“बेटा कौन हो तुम? कहा से आई हो? तुम्हारा नाम? कोई अता पता? जो भी तुम्हें याद है हमे बेझिझक बताओ!! डरो नही, हम सब तुम्हारे साथ है।” प्रेरणा जी बोली। “नही, मुझे कुछ भी याद नहीं, मैं कहा से आई हूं, मेरा नाम मुझे कुछ याद नहीं, बस यही पता है की मैं एक … Read more

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