*बदलाव* – ममता चित्रांशी : Moral Stories in Hindi

      सासूमां आज सुबह से बड़बड़ा रही है …. जैसे ही बेटा उठकर बाहर आया, मांजी और जोर से बोलने लगी,…मना किया था मैंने,……मत कर शादी इससे …पर हमारे नवाब को तो प्यार का भूत चढ़ा था … अब देखो.!! इसे न ढंग की सब्जी बनानी आये न रोटी … !! बाकी पकवान तो छोड़ ही … Read more

“ऐसी बहू क्यों आई!”- सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

“हाय राम! मेरी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहू आई!” – सरला देवी ने चौखट पर बैठते हुए चूल्हे के पास आँचल से माथा पोंछा। गुड्डी भागकर आई, “क्या हुआ अम्मा? कविता बहू ने फिर कुछ कह दिया?” सरला ने व्यथित स्वर में कहा, “कह दिया? अब पूछ! दाल में हींग कम थी … Read more

हाय राम, मेरी तो तक़दीर ही फूट गई जो ऐसी बहू आई! – रजनी कपूर : Moral Stories in Hindi

गाँव की गलियों में आज फिर काकी की आवाज़ गूंज रही थी “हाय राम, मेरी तो तक़दीर ही फूट गई जो ऐसी बहू आई!” काकी यानी कमला देवी, पक्की देसी, झक्क सफ़ेद धोती और मिर्ची जैसी ज़ुबान वाली। बेटा है राजू, शहर से पढ़-लिखकर लौटा और अपने मन से बहू ले आया सुषमा! पर दिक्कत … Read more

जीत महत्वाकांक्षा की – डॉ प्रिया गुप्ता : Moral Stories in Hindi

मां…… मां…. ! मैं आ गई। कहते हुए वामिका पसीने से लथपथ घर में घुसी।               मां दौड़ते हुए दरवाजे की तरफ भागी।अरे बेटा कहां थी?मैं तो बहुत चिंतित हो रही थी। वामिका ने कहा टैक्सी नहीं मिल रही थी। इसीलिए आने में देर हो गई।  मां बोली…चल जल्दी अंदर चल और पानी पी ले।       वामिका … Read more

प्रतिस्पर्धा से परे – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

रजत और आदित्य। नामों में तो सामंजस्य था, पर ज़िंदगी में सिर्फ प्रतिस्पर्धा थी। बचपन के दोस्त कब एक-दूसरे के सबसे कटु प्रतिद्वंद्वी बन गए, पता ही नहीं चला। स्कूल में अंकों की दौड़, कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट की जंग, और फिर कॉर्पोरेट जगत में पदोन्नति के लिए छीना-झपटी। रजत हमेशा खुद को दूसरे स्थान … Read more

दुनियाँदारी – रंजना डोगरा : Moral Stories in Hindi

सहसा एक चीख सी निकली थी ख़ुशी की माँ के मुख से उस दिन, शायद पहली बार. काश पहले कभी मुँह खोला होता चित्रा ने, चित्रा शर्मा, ख़ुशी शर्मा की माँ |    अभी कुछ समय पहले की ही बात है जब चित्रा शर्मा और अनिल शर्मा जी ने अपनी बेटी ख़ुशी का ब्याह बड़ी धूम … Read more

“कांच की चूड़ियाँ” – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

प्रसंग: यह कहानी बिहार के एक छोटे गाँव धरमपुर की है, जहाँ आज भी बेटियों को “पराया धन” और “बोझ” माना जाता है। लेकिन एक लड़की और उसकी माँ मिलकर इस सोच को बदलने की कोशिश करती हैं। मुख्य पात्र: सुनीता: आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली होशियार और स्वाभिमानी लड़की। मीना देवी: उसकी माँ, जिसने … Read more

तिरस्कार कब तक – भारती यादव ‘मेधा’ : Moral Stories in Hindi

फूल मालाओं से लदी हुई  रागिनी को आज लड्डुओं से तौला जा रहा था, उसकी तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे, उसके साथ फोटो खिंचवाने के लिए लोगों में धक्का मुक्की तक हो रही थी और रागिनी के भीगे हुए आँखों के कोर,शांत भाव से यह सब देख  रहे थे और मन कह रहा … Read more

आखिर ये तिरस्कार कब तक! – इंदु विवेक : Moral Stories in Hindi

पचासों बार उसे श्रृंगार कर लड़के वालों के सामने ले जाया गया,हजारों रुपये स्वागत सत्कार में खर्च किये गए, तमाम आभगत मगर परिणाम एक ही ,लड़की की लंबाई थोड़ी कम है हमारे बेटे के हिसाब से थोड़ी लंबी लड़की चाहिए।         सलौनी थक गई थी यह सब सुन सुन कर,उसका मन जोरों से चीख रहा था … Read more

मेरी गुड़िया – निर्मला अग्निहोत्री : Moral Stories in Hindi

नन्हे नन्हे कदमों से आंगन में चलती            मेरी गुड़िया नन्हे हाथों से मेरी उंगली थामे             मेरी गुड़िया टेबल पर डरती सहमति सी मेरी ओर देखे              मेरी गुड़िया  कंधे पर हाथ रखकर खेलती कूदती              मेरी गुड़िया गाड़ी पर कमर कस कर पकड़े बैठने वाली               मेरी गुड़िया धीरे-धीरे बड़ी हो पढ़ लिख कर आगे बढ़ती                मेरी गुड़िया … Read more

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