तिरस्कार कब तक – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

जैसे ही कप उठाते हुए, छवि का पांव मयंक के पांव से टकराया कप छलक कर ट्रे में गिर गया तो मयंक दोस्तों के बीच(जिसमें दो महिला मित्र भी थी)  लगभग चिल्लाते हुए बोला..दिखाई नहीं देता.. अंधी हो क्या…मूर्ख …कहां से पल्ले पड़ गई ?? सबके बीच मयंक को यूं चिल्लाते देख ..जी सॉरी, सॉरी … Read more

अंगारे उगलना – चंचल जैन : Moral Stories in Hindi

परीक्षा के परिणाम घोषित हो गये थे। हमेशा अव्वल आनेवाली विद्या प्रतियोगी परीक्षा में पीछे रह गयी थी। आंसू झरझर बह रहे थे। कितने सपने संजोये थे उसने। कितने अरमान थे माँ के। पापा से बिछडने के बाद माँ बेटी एक दूजे का सहारा, संबल थी।  उसे पता है, माँ अकेली होती है तब खूब … Read more

बेटी होना पाप नहीं – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

माँ, पापा कहाँ है, पूछते हुए दामिनी रसोईघर मे घुसी। अरे! यह क्या कर रही है? बाहर से आकर सीधे रसोई मे घुस गईं, और यह क्या ना प्रणाम ना गले लगना,बस आते ही पापा कहाँ है। पहले मुझसे मिल ले फिर पापा की खोज खबर भी ले लेना।अब दामिनी को अपनी गलती का एहसास … Read more

“तिरस्कार कब तक” – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

पात्र परिचय: गौरव – एक संवेदनशील, संघर्षशील शिक्षक, साहित्यप्रेमी, जिनका जीवन सादगी, आदर्श और सामाजिक मूल्यों से प्रेरित है। सुमन – गौरव की जीवनसंगिनी; सादगी, सहनशीलता, आत्मसम्मान और संस्कृति की जीती-जागती मिसाल। समाज – एक अमूर्त परंतु मुखर पात्र, जो बाह्य चकाचौंध को ही आदर्श मानकर आडंबरहीनता का उपहास करता है। कहानी: सन् 1996, पटना … Read more

तिरस्कार कब तक – नीलम शर्मा : Moral Stories in Hindi

हरवंश चौधरी जी का फोन लगातार बजता ही जा रहा था। पर क्योंकि दो दिन पहले ही उन्होंने अपनी बेटी श्रेया की शादी की थी। तो उसकी थकान की वजह से वह नींद से जाग नहीं पा रहे थे। पर जब लगातार फोन की घंटी बजती रही तो मिसेज चौधरी उठी। उनकी आंखें भी नींद … Read more

हाय राम। मेरी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहू आई : डॉ. इन्दुमति सरकार : Moral Stories in Hindi

गोपाल प्रसाद की आँखें उस दिन भीग गईं जब बहू मेघना ने उनके हाथ से छीनकर पूजा की थाली उलट दी। “ये ढकोसला बंद करो बाबूजी! मैं इस घर को 21वीं सदी में ले जाऊँगी” वह चिल्लाई।   मेघना आईआईटीयन थी – उसके लिए संस्कार ‘मिथ’, पूजा ‘टाइम वेस्ट’ और सास-ससुर ‘आउटडेटेड सॉफ्टवेयर’ थे। गोपाल प्रसाद … Read more

“एक निर्णय – नई दिशा” – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

प्रस्तावना: वो जून की दोपहर थी। सीमित साधनों में जी रही सीमा अपनी माँ की पुरानी साड़ी में बैठी थी — चुपचाप। आँखों में कोई सपना नहीं, बस चिंता, तनाव और टूटन। उसका विवाह तय हो चुका था — एक नौकरीपेशा लड़के से। पर उसकी माँ आज रो रही थी। “लड़के के पिता ने आज … Read more

“दीपशिखा – एक बेटी का उजास” – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

अध्याय 1: जन्म एक दीप का सहादरा गांव की वह सुबह कुछ अलग थी। हल्की गुलाबी धूप खेतों पर पड़ी थी और बासमती की फसलें बयार में झूम रही थीं। उसी सुबह रघुनाथ बाबू के घर बेटी ने जन्म लिया। उसकी माँ सरला देवी ने जैसे ही नवजात को देखा, उसका नाम “शिखा” रखने की … Read more

“विवाह बिना दहेज” – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

साल १९९६ की बात है। बिहार के पटना शहर से कुछ ही दूरी पर बसे एक साधारण गाँव में रीना सुमन अपने पिता के छोटा-सा घर में बैठी, किसी अनजाने भय से जूझ रही थी। उसका विवाह तय हो चुका था – एक ऐसे युवक से, जो दिखने में अच्छा था, लेकिन बेरोजगार था,फिर भी … Read more

दीवार पर टंगी पिता की तस्वीर – मनु वाशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

आज पिताजी को गुजरे पूरा एक महीना हो चुका है। चलो सब कार्य अच्छी तरह से निपट गया। अब मैं भी, पत्नी को साथ लेकर, कहीं तीर्थाटन के लिए जाने की सोच रहा हूं। यह दायित्व भी पूर्ण हुआ, दायित्व ही तो है। मैं मन ही मन अपनी काबिलियत पर खुश हूं, एक जिम्मेदारी को … Read more

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