“सास को बहु की तकलीफ नही दिखती है” – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

सुमन बहुत ही हँसमुख,औऱ सरल स्वभाव की  थी। उसकी सासु माँ(जानकी देवी ) बहुत तेज तर्रार थी। पूरे घर में सब उनकी बात मानते थे ,उनके परिवार में उनके श्री मान रमाकांत जी, बेटा अमित, 

 दो बेटियां, रीता औऱ गीता थी । जानकी देवी जी अपने बच्चों का बहुत ध्यान रखती थी, किसी चीज की कमी बच्चों को नही होने देती थी। बच्चे भी अपनी माँ से बहुत प्यार करते थे।

एक दिन अचानक सुमन को चक्कर आ गया, औऱ वो गिर पड़ी।  अमित जल्दी से ले के हॉस्पिटल गया। डॉक्टर ने चेकप किया और बोला , थोड़ा बीपी ज्यादा था इसी कारण चक्कर आ गया है, और सब ठीक है, सुमन जैसे ही घर पहुँची,

जानकी देवी जी ने बोला, क्या हो गया था?अमित ने बोला माँ बीपी बहुत ज्यादा हो गया था। इसी कारण चक्कर आ गया था । अब ठीक है सुमन , एक दो दिन आराम करने को डॉक्टर ने बोला है।आराम का नाम सुनते ही  जानकी देवी का गुस्सा फूट पड़ा, हा, हा करे आराम क्या करना है,

दिन भर खाती रहती है, सारी सुख सुविधा दे रखा है, फिर भी महारानी बीमार हो जाती है, सुमन ,जानकी देवी जी की बातें सुन रोने लगी। रमाकांत जी ने बोला अमित सुमन को कमरे मे ले जाओ, सुमन अपने कमरे में चली गयी। रमाकांत जी ने बोला, जानकी देवी जी ,जब तक आप माँ थी ,

अपने तीनों बच्चों के छीक आने पर सारा घर सर पर उठा लेती थी, पूरी रात जाग जाग कर बच्चों की देखभाल करती थी, सास बनते ही सब, भावना खत्म हो गयी क्या?जानकी देवी जी ने बोला क्या बकवास कर रहे है आप?

आपके कहने का क्या मतलब है?मैं ये कहना चाह रहा हूँ कि “,सास को बहु की तकलीफ नही दिखती”।अरे बहु भी तो किसी की बेटी है,

औऱ तो और बस आप ये ही सोच लेती की आपकी भी दो बेटियां है, वो भी कल को ससुराल जाएंगी, उनकी सास भी उनके बीमार होने पर ,उनको ताना मारेगी तो आपको कैसा लगेगा , मैं सोने जा रहा हूँ आराम से मेरी बात सोचियेगा। 

जानकी देवी को मानो किसी ने सच का आईना दिखा दिया हो। अगले दिन सुबह उठ के जानकी देवी जी ने खुद ही सबके लिये चाय बनाया, रीता ने बोला माँ मज़ा आ गया , आज चाय पी के, जब से सुमन भाभी घर मे आयी है

तब से तो आप के हाथ का स्वाद ही  भूल गया था। उसी समय सुमन भी तैयार हो के आ गयी ,बोली माँ जी आपने क्यो चाय बनाया हमको जगा दिया होता। बोली नही बेटा तुम आराम करो , मैं सारा काम कर लुंगी। सुमन बोली

 नही माँ जी मैं ठीक हूँ अब , रमाकांत जी बोले नही,  बहु आज मैं जानकी देवी जी के हाथ का ही खाना खाऊँगा। रीता गीता तुम लोग अपने माँ की मदद कर दो। सुमन के चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान थी ।

  हर घर की यही समस्या है,” सास को बहु की तकलीफ दिखाई नही देती”। जबकि सास की सबसे अधिक देखभाल बहु ही करती है।

रंजीता पाण्डेय

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