प्यारा रिश्ता – संगीता अग्रवाल 

“बेटा शादी के बाद तो सबको एडजस्ट करना ही पड़ता है तुम नए थोड़ी हो!” बेटे बहू की खटपट का पता लगने पर स्वाति जी अपने बेटे श्रेयांश को समझाते हुए बोली।

” पर मम्मा मेरी खुद की भी तो लाइफ है महक चाहती है मैं उसके साथ रहूं बस , यार दोस्त सब छोड़ दूं..बहुत बचपना है उसमे ..!” श्रेयांश बोला।

” महक अभी नई इस घर में आई है सबको समझ रही है वो अभी .. तुम्हे उसका साथ देना चाहिए यार दोस्त सारी जिंदगी रहेंगे पर ये जो अनमोल पल हैं तुम्हारी जिंदगी के जिसमें तुम्हे अपना रिश्ता मजबूत करना चाहिए वो नहीं वापिस आएंगे फिर वो तुम्हारे लिए अपना परिवार छोड़ कर आई है बदले में तुम्हारा साथ ही तो चाहती है . उसे वक़्त दो उसकी खुशी से तुम्हारी जिंदगी भी हसीन होगी!” स्वाति जी प्यार से बोली।

” ठीक है मेरी प्यारी माँ मैं समझ गया !” श्रेयांश मां के गले लगता बोला।

” मम्मी जी आज खाने में क्या बनाऊं!” शाम को महक ने सास से पूछा।

“बेटा वो मैं देख लूंगी तुम तैयार हो जाओ जल्दी से !” स्वाति जी प्यार से बोली।

” क्यों मम्मी जी कही जाना है क्या हमें!” महक ने पूछा।

” हमें नहीं तुम्हे … श्रेयांश के साथ फिल्म देखने वहीं डिनर कर लेना तुम लोग तो यहाँ मैं देख लूंगी !” स्वाति जी बोली।

” क्या मम्मी जी आप भी आपको तो पता है श्रेयांश ऑफिस के बाद बैडमिंटन खेलने क्लब जाएगा दोस्तों के साथ , फिर फिल्म कैसे !” महक उदास हो बोली।

” बेटा श्रेयांश घर ही आएगा सीधा मैने सुबह बोला है उसे तुम्हे समय दे अभी। यारी – दोस्ती तो सारी जिंदगी चलनी है !” स्वाति जी बोली।

” मम्मी जी सच … आप कितनी अच्छी सास हो मेरी सहेलियां जो बताती थी वैसी तो बिल्कुल नहीं हो!” महक स्वाति जी के गले लग कर बोली।

” अच्छा तुम्हारी सहेलियां क्या बताती थी!” स्वाति जी मुस्कुरा कर बोली।

” वो बोलती थी सास को बहू की तकलीफ नही दिखती सब सासे शशिकला जैसी होती है जो बहुओं का जीना हराम किए रहती पर आप तो कितनी अच्छी हो !” महक बोली।

” हम्म तो मैं कैसी सास हूं फिर !” स्वाति जी अल्हड़ महक की बात सुन मज़े लेती हुई बोली।

” आप तो बिल्कुल निरूपा राय जैसी सास हो प्यारी प्यारी!” महक स्वाति जी के गाल चूमती हुई बोली।

” हट बदमाश !” स्वाति जी नकली गुस्सा दिखाते हुए बोली।

महक हंसते हुए फिर से स्वाति जी के गले लग गई।

” महक बेटा श्रेयांश को तो मैने समझा दिया पर तुमसे भी एक बात कहनी है मुझे!” स्वाति जी थोड़ी गंभीर होते हुए बोली।

” जी मम्मी जी बोलिए !” महक भी गंभीर हो उनकी बात सुनने लगी।

” बेटा शादी के बाद लड़का लड़की दोनों को एडजस्ट करना पड़ता है …बल्कि लड़की को ज्यादा … मैं मानती हूं तुम चाहती हो कि अपने पति के साथ तुम अनमोल समय बिताओ …पर एक बात याद रखना बेटा जहां शादी के बंधन को निभाना वहीं एक दूसरे को स्पेस भी देना… जरूरत से ज्यादा बंधन घुटन बन जाते है .. तुम श्रेयांश के साथ वक़्त बिताओ पर हर वक़्त टोकाटाकी मत करना उसे भी वक़्त दो खुद भी वक़्त लो और एक मजबूत रिश्ता बनाओ… समझ गई बेटा मैं क्या कहना चाह रही हूं!” स्वाति जी महक के गालों पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली।

” मम्मी जी बिल्कुल समझ गई … आप फिक्र मत कीजिए मैं आपको या श्रेयांश को शिकायत का मौका नहीं दूंगी … शुक्रिया मुझे इतनी कीमती सीख देने के लिए… आप ना केवल एक बेस्ट मम्मा हैं बल्कि एक बेस्टम बेस्ट सास भी हैं…. आई लव यू!” महक बोली।

” बस बस यहां प्यार लुटाती रहेगी या तैयार भी होगी !” स्वाति जी बोली।

श्रेयांश के सही समय पर आने से महक के चेहरे पर अलग चमक थी जिसे श्रेयांश ने भी महसूस किया। फिल्म देखने जाते हुए उसने आंखों आंखों में मां का धन्यवाद किया।

” महक शाम को तैयार रहना आज बीच पर चलेंगे!” अगले दिन ऑफिस जाते हुए श्रेयांश महक से बोला।

” नहीं नहीं आज नहीं आज तो मुझे अपनी प्यारी मम्मी जी के साथ शॉपिंग पर जाना है तो हमें लेट हो जाएगा आप भी आज क्लब चले जाना चाहे तो … मम्मी जी चलेंगी ना आप?!” महक एक दम से बोली।

” जरूर बेटा !” स्वाति जी महक में आए सुखद आश्चर्य को देख हैरान होते हुए बोली।

” मम्मा शुक्रिया कल मुझे जिंदगी का नया पाठ पढ़ाने के लिए .. आपकी सीख ने तो महक पर जादुई असर किया है कल जहां वो मेरे साथ से खिलखिला दी वहीं समझदार भी हो गई !” श्रेयांश जाते जाते मां से बोला।

“खुश रहो मेरे बच्चों !” स्वाति जी मन ही मन बच्चों को आशीर्वाद देने लगी।

दोस्तों अगर सास स्वाति जी जैसी हो तो किसी बेटे बहू की जिंदगी में लड़ाई जगह ना बनाए …पर उसके लिए महक और श्रेयांश जैसी समझदारी भी होनी चाहिए जो अपने बड़ों को एहमियत दे… वरना तो जिंदगी में प्यार की जगह कलह आते देर नहीं लगती और एक प्यारा सा रिश्ता बिखर सकता है ।

संगीता अग्रवाल

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