नियंत्रण – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      सुनंदा के पति एक व्यवसायी थी।उनका काम अच्छा चल रहा था।अचानक उन्हें अपने व्यापार में बहुत मुनाफ़ा होने लगा।घर में लक्ष्मी की वर्षा होने लगी, फिर तो वो # आसमान पर उड़ने लगी।अनाप-शनाप चीज़ों पर पैसा खर्च करने लगी।

उसका बेटा अंशु उससे पचास रुपये माँगता तो वो उसे सौ रुपये थमा देती।धीरे-धीरे अंशु की इच्छाएँ बढ़ने लगी जिसे पूरा करने में वो तनिक भी नहीं सोचती थी।उसमें आये इस बदलाव को देखकर उसकी सहेलियों और रिश्तेदारों ने समझाया कि इतना उड़ना ठीक नहीं है..खुद पर नियंत्रण करो और बेटे पर भी थोड़ा अंकुश लगाओ लेकिन उसने सबकी बातों को अनसुना कर दिया।

        अंशु दसवीं कक्षा में आया तो उसने माँ से मोटरसाइकिल लेने को कहा।सुनंदा सहर्ष तैयार हो गई।तब उसके भाई ने उसे समझाया कि अभी अंशु अठारह का नहीं हुआ है और उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं है, इसलिए प्लीज़ उसे बाइक मत दिलाओ..उसके कदम बहक जाएँगे…।तब वो हँसकर कहने लगी,” भाई..यही तो उसके खेलने- खाने की उम्र है..अभी मस्ती नहीं करेगा तो कब करेगा..।” भाई चुप रह गए।

     मोटर साइकिल मिलते ही अंशु तो # आसमान पर उड़ने लगा।बिना हेलमेट पहने दोस्तों को बाइक पर बैठाकर इधर-उधर घूमता रहता।कभी किसी का नुकसान हो जाता या ट्रैफ़िक पुलिस रोक देती तो सुनंदा तुरंत ज़ुर्माना भर देती लेकिन कभी उसने अंशु को रोका नहीं।

       एक दिन अंशु अपने दोस्त की बर्थडे पार्टी अटेंड करके देर रात घर लौट रहा था।बाइक की स्पीड तेज़ थी, सामने से आती ट्रक देखकर भी वो ब्रेक नहीं लगा पाया और दुर्घटना घट गई।

       सुनंदा और उसके पति बेटे को लेकर हाॅस्पीटल दौड़े।उसके पति डाॅक्टर से बोले,” चाहे जितना पैसा ले लीजिए लेकिन उसे बचा लीजिये..मेरा इकलौता बेटा है।” डाॅक्टर साहब उनके कंधे पर हाथ रखकर बोले,” ईश्वर पर भरोसा रखिये..सब अच्छा होगा।”

      डाॅक्टर की कोशिश से अंशु की जान तो बच गई लेकिन…उसका दाहिना पैर काटना पड़ा।घुटने के नीचे का भाग इतना कुचला गया था कि…।बेटे की हालत देखकर सुनंदा और उसके पति रोने लगे।

    घाव भर जाने के बाद सुनंदा बेटे को लेकर घर आ गई।जिस पैसे पर उसे अभिमान था, वो आज भी उसके पास है लेकिन फिर भी वो अपने बेटे के लिए पैर नहीं खरीद सकती थी।उसे सांत्वना देने आये लोगों से वो आँख नहीं मिला पा रही थी।कैसे मिलाती..उसे लग रहा था कि जैसे हर कोई उससे कह रहा है,” हमने तो तुम्हें कहा था कि नियंत्रण कर लो लेकिन तुम…।”

                                       विभा गुप्ता 

# आसमान पर उड़ना       स्वरचित, बैंगलुरु 

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