मां का घर – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

दिशा बहुत ही स्वार्थी और दोहरे चरित्र की लड़की थी ये गुण उसे उसकी मां माया से मिला था दिशा के पिता एक आफिस में क्लर्क थे वो बहुत ही ईमानदार और अच्छे इंसान थे लेकिन उनकी पत्नी माया बहुत ही लालची और स्वार्थी औरत थी उसने अपनी बेटी को भी अपने जैसा बना दिया था पर अपने बेटे दिनेश को वह अपने रंग में नहीं रंग सकी थी

दिनेश अपने पिता की तरह बहुत ही नेक और लोगों की सहायता करने वाला लड़का था। दिशा कालेज में पढ़ती थी वह कालेज में पढ़ाई करने नहीं जाती थी वह तो अमीर लड़के लड़कियों से दोस्ती कर उनके साथ मौज मस्ती करती थी दिशा देखने में बहुत सुन्दर थी

इसलिए लड़के भी उससे दोस्ती करने के लिए लालायित रहते थे कालेज में एक अमीर लड़का राजन भी पढ़ता था वह बहुत सीधा साधा और सभी की मदद करता रहता था दिशा राजन को अपने प्रेमजाल में फंसाकर शादी करने के सपने देखने लगी ऐसा करने के लिए उसने अपने चेहरे पर शराफ़त का नक़ाब पहन लिया और राजन से दोस्ती का हाथ बढ़ाया

राजन भी दिशा की खुबसूरती में उलझकर उससे प्यार करने की भूल कर बैठा दिशा तो यही चाहती थी उसकी चाल कामयाब हो गई।

राजन के घर में उसकी मां और उसका  भाई था,भाई  अपने परिवार के साथ विदेश में रहता था राजन ने अपने प्यार की बात अपनी मां को बताई तो उसकी मां सावित्री जी ने दिशा से मिलने की इच्छा जाहिर की तब राजन दिशा को अपनी मां से मिलवाने लेकर आया सावित्री जी के सामने दिशा एक संस्कारी लड़की की तरह मिली उसने सिर पर पल्लू लेकर

सावित्री जी के पैर छुए और सर झुकाकर उनके पास बैठ गई दिशा की सादगी और सुन्दरता को देखकर सावित्री जी ने तुरंत शादी के लिए हां कर दिया जबकि पहले वह इस शादी के लिए तैयार नहीं थी फिर बड़ी धूमधाम से राजन और दिशा का विवाह सम्पन्न हुआ शादी के बाद राजन दिशा को हनीमून के लिए स्वीटजरलैंड लेकर गया दिशा

की खुशी का ठिकाना नहीं रहा उसके तो जैसे पंख लग गए थे वह ऐशो आराम की जिंदगी व्यतीत करने लगी राजन ने भी अपनी कम्पनी का काम संभाल लिया सावित्री जी भी दिशा जैसी संस्कारी बहू पाकर बहुत खुश थीं। इसी बीच राजन और उसके बड़े भाई के बीच जायदाद का बंटवारा हुआ और जिस बंगले में वह लोग रहते थे वह बिक गया

तब राजन ने शहर के पाॅश इलाके में अपना नया बंगला बनवाने का काम शुरू किया जिस घर में वह लोग पहले रहते थे उसी में राजन कुछ दिनों के लिए किरायेदार के रूप में रहने लगा । अभी उसका नया घर बनकर तैयार नहीं हुआ था इसी बीच राजन को अपनी कम्पनी के काम के सिलसिले में अमेरिका जाना पड़ा उसने कम्पनी का उत्तरदायित्व अपने कम्पनी के मैनेजर को दिया और घर का दायित्व दिशा को सौंप कर अमेरिका चला गया।

राजन के अमेरिका जाते ही दिशा ने अपना असली रूप दिखाना शुरू कर दिया दिशा की मां भी उसके साथ आकर उसके घर में रहने लगी अब दोनों मां बेटी मिलकर सावित्री जी को परेशान करने लगी बात बात पर वह दोनों उनका अपमान करती उन्हें ढ़ंग से खाना भी नहीं देती यह सब देखकर सावित्री जी को बहुत दुःख पहुंचा

एक दिन उन्होंने अपने बेटे को फोन करके यह सब बताना चाहा पर वह राजन से कुछ बता पातीं उससे पहले दिशा ने उनका मोबाइल छिन कर तोड़ दिया उसके बाद दिशा ने उन्हें उनके कमरे में कैद कर दिया फिर सावित्री जी को धमकाते हुए कहा “अगर तुमने अपने बेटे से मेरी कोई शिक़ायत की तो ठीक नहीं होगा

मैं तुम्हें दहेज़ के केस में फंसाकर जेल भिजवा दूंगी पुलिस को यह बयान दूंगी की तुम अपने बेटे की शादी अपने पति के दोस्त की बेटी आरती से करना चाहतीं थीं लेकिन राजन मुझसे प्यार करते थे इसलिए आपको मजबूरन अपने बेटे की शादी मुझसे करनी पड़ी फिर जैसे ही आपका बेटा अमेरिका गया आपने मेरे ऊपर अत्याचार करना शुरू कर दिया तब आपका क्या होगा

इसलिए अब अपनी ज़बान बन्द रखना वरना मैं तुम्हारे साथ-साथ तुम्हारे बेटे को भी जेल भिजवा दूंगी समझी बुढ़िया ” इतना कहकर दिशा ने सावित्री जी को उनके कमरे में धकेल दिया और कमरे को बाहर से बंद कर दिया अब सावित्री जी कमरे में कैद हो गई उनको खाना कमरे में ही दे दिया जाता निशा उन्हें किसी के सामने आने नहीं देती थी।

इसी बीच उनका नया बंगला बनकर तैयार हो गया तब दिशा ने अपनी सास को धमकाते हुए कहा ,”सुन बुढ़िया तू मुझे राजन से नये बंगले में जाने की इजाजत  दिलवा दे वरना तुम्हारे हक में अच्छा नहीं होगा”

अपनी बहू की बात सुनकर सावित्री जी ने दुःख मन से कहा ” बहू तुम मेरे साथ ये अच्छा नहीं कर रही हो ईश्वर सब देख रहा है एक न एक दिन तुम्हारी सच्चाई मेरे बेटे के सामने आएगी तब तुम्हारा क्या होगा क्या इसके बारे में तुम ने कभी सोचा है”?

” चुप कर बुढ़िया मुझे नसीहत देने की जरूरत नहीं है जो होगा मैं देख लूंगी तू वही कर जो मैं कह रही हूं वरना मैं तूझे और तेरे बेटे दोनों का जीवन बर्बाद कर दूंगी” दिशा ने अपनी सास को घूरते हुए देखा

“राजन के आने से पहले नये बंगले में जाने के पीछे  दिशा और उसकी मां माया की एक चाल थी यहां सावित्री जी को सभी पहचानते थे इसलिए दिशा को सोच समझकर उन पर अत्याचार करना पड़ता था लेकिन नये बंगले में जाकर वह पूरी तरह से उन पर अत्याचार करने के लिए स्वतंत्र हो जाएगी ये दिशा की मां की चाल थी।

दिशा की धमकी से डरकर सावित्री जी ने राजन से कहा , “बेटा अब मैं अपने बंगले में जाना चाहती हूं जब हमारा घर बन गया है तो हम किराए के मकान में क्यों रहें” राजन ने भी सोचा मां ठीक कह रही है जब अपना घर बनकर तैयार हो गया है तो किराए के मकान में रहने का कोई मतलब नहीं है। दिशा अपनी सास और मां के साथ अपने नये घर में आ गई यहां आकर दिशा ने सावित्री को घर की

नौकरानी बना दिया आस पड़ोस में भी सभी यही समझते थे की सावित्री जी दिशा के घर साफ सफाई और खाना बनाने की नौकरी करतीं हैं उनके बेटे बहू ने उन्हें घर से निकाल दिया तब राजन और दिशा ने दया करके उन्हें हमेशा के लिए अपने घर में रख लिया है नई कालोनी में यह कोई नहीं जान पाया की जिस औरत को दिशा और उसकी मां नौकरानी बता रहीं हैं

वह वास्तव में इस बंगले की मालकिन हैं। दिशा और उसकी मां चाहती थी की राजन के आने से पहले सावित्री जी पर इतना अत्याचार किया जाए की वह खुद ही घर छोड़कर भाग जाएं या उनकी मौत हो जाए जिससे दोनों मां बेटी का राजन के घर और उसकी दौलत पर अधिकार हो जाए। सावित्री जी ने कई बार राजन और अपने बड़े बेटे को दिशा के बारे में बताने की कोशिश की पर वह नाकामयाब नहीं हो रहीं थीं

एक दिन सावित्री जी को मौका मिल गया उन्होंने अपने बेटे को मैसेज कर दिया अपनी मां का मैसेज पढ़कर राजन स्तब्ध रह गया उस मैसेज में सावित्री जी ने लिखा था ” बेटा अगर तुम अपनी मां को जिंदा देखना चाहते हो तो यहां आ जाओ पर तुम भारत वापस आ रहे हो यह बात दिशा को पता नहीं चलनी चाहिए वरना तुम अपनी मां को जिंदा नहीं देख पाओगे”

  मां का मैसेज पढ़कर राजन भारत आने की तैयारी करने लगा उधर दिशा इस बात से अंजान थी की उसकी हरकतों का पता राजन को चल गया है।

दिशा घर का सारा काम सावित्री जी से करवाती और उन्हें भर पेट खाना भी नहीं देती थी कमजोरी के कारण सावित्री जी को बुखार आने लगा फिर भी दिशा उनसे काम करवाती रही उस दिन दिशा के घर में किटी पार्टी थी कालोनी की सहेलियां उसके घर आई हुई थीं दिशा ने सावित्री जी को आवाज लगाई  “सावित्री सभी मेहमानों के लिए नाश्ता लेकर आओ

” सावित्री जी अपनी बहू के मुंह से अपना नाम सुनकर रो पड़ी उन्होंने अपने आंसू पोंछे और नाश्ते की ट्रे लेकर कमरे में आई बुखार के कारण उनका पूरा बदन कांप रहा था फिर भी वह खुद को किसी तरह संभालें हुई थीं उन्होंने कांपते हाथों से ट्रे मेज पर रखीं और सभी को जूस का गिलास पकड़ाने लगी तभी उनका हाथ कांपा और गिलास उनके हाथ से छूटकर दिशा

की एक सहेली के ऊपर गिर गया उनसे जल्दी से उठते हुए गुस्से में कहा,  ” दिशा तुमने कैसी नौकरानी रखी  है जिसमें कोई मैनर ही नहीं है इसने मेरी इतनी महंगी ड्रेस ख़राब कर दी “तभी दिशा ने उठते हुए गुस्से में सावित्री जी का हाथ पकड़कर कहा ” अब मैं तेरे जैसी नौकरानी को और बर्दाश्त नहीं कर सकती जिसे काम करने का कोई सलीका ही नहीं है तुम इसी समय मेरे घर से निकल

जाओ” वहां बैठी हुई दिशा की सहेलियां भी कहने लगी, ” दिशा तुम बिल्कुल सही कह रही हो अब ये नौकरानी बूढ़ी हो गई है इससे काम होता भी नहीं इसे निकालकर कोई नई उम्र की नौकरानी रख लो इस बूढ़ी नौकरानी को अपने घर से निकाल बाहर करो”

“तुम लोग ठीक कह रही हो अब मैं यही करूंगी”  दिशा ने गुस्से में कहा तभी दिशा की मां माया ने भी मुंह बनाकर नफ़रत से कहा,  “मैं कब से तुमसे कह रही हूं की इस बुढ़िया को धक्का देकर घर के बाहर फेंक दो पर तुम ही इस पर दया दिखा रही थीं “

” हां मां अब मैं इसे इसी समय घर से बाहर निकल दूंगी” दिशा ने गुस्से में दांत पीसते हुए कहा सावित्री जी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करें वह ईश्वर से प्रार्थना करने लगी “हे भगवान मुझ पर दया करो मेरे बेटे को भेज दो अगर इन मां बेटी ने मुझे घर से निकाल दिया तो मैं कहां जाऊंगी ” तभी दिशा और उसकी मां माया सावित्री जी का हाथ पकड़कर खींचते हुए दरवाज़े की ओर  ले जाने लगीं

और कहती भी जा रही थी “अब तुम मेरे घर में नहीं रह सकती हमने तुम्हें बहुत बर्दाश्त कर लिया अब तुम यहां से जाओ”इतना कहकर दिशा ने सावित्री जी को दरवाज़े के बाहर धक्का दे दिया सावित्री जी गिरने ही वाली थीं तभी दो हाथों ने उन्हें संभाल लिया वह राजन था जो अमेरिका से लौट आया था अपने सामने राजन को देखकर दिशा और उसकी मां माया के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं उनके

मुंह से कोई आवाज़ नहीं निकली राजन उन दोनों को गुस्से में घूर रहा था उसकी आंखों में अंगारे दहक रहे थे वह सावित्री जी को लेकर अन्दर आया फिर दिशा की सहेलियों से बोला  “मैडम आप लोगों को मैं यह बता देना चाहता हूं ये औरत जिसका आप लोग अपमान कर रही थीं इस घर की नौकरानी नहीं इस घर की असली मालकिन हैं ये मेरी मां सावित्री देवी हैं और दुर्भाग्य से मैं आपकी

सहेली दिशा का पति राजन हूं आज मुझे पता चला की ऊपर से दिखने वाली हर खुबसूरती चीज़ वास्तव में अंदर से भी सुन्दर हो जरूरी नहीं मैंने अपनी मां की पसंद की लड़की से शादी न करके बहुत बड़ी भूल की मैंने एक ज़हरीली नागिन को अपने गले का हार बनाया जिसने मेरी देवी जैसी मां

को ही डस लिया आज मैं अपने ही फैसले पर शर्मिन्दा हूं जिंदगी हमें रह क़दम पर पाठ पढ़ाती है आज मैंने जिंदगी से यही सीख ली है की हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती और हमें कभी भी किसी पर अंधविश्वास नहीं करना चाहिए “

इतना कहकर राजन ने दिशा से व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ” मैडम दिशा अब हमारी मुलाकात कोर्ट में होगी आप इसी समय मेरे घर से बाहर निकल जाइए वरना ठीक नहीं होगा आप मुझ पर दहेज उत्पीड़न का केस करने वाली थीं अब मैं आप पर बुजुर्ग महिला पर अत्याचार करने का केस करूंगा

और तुम्हारे खिलाफ कोर्ट में गवाही तुम्हारे बाप और भाई देंगे”  तभी वहां दिशा के पिता और भाई  आ गए दिशा की भाभी भी उनके साथ थीं उन्होंने व्यंग्यात्मक मुस्कुराहट के साथ अपनी सास माया से कहा “मां जी घर चलिए अब मैं भी आपके साथ वैसा ही व्यवहार करूंगी जैसा आपकी बेटी अपनी सास के साथ कर रही थी  दिशा

और माया के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थीं इस समय उन दोनों की स्थिति न घर की थी न घाट की दोनों ही सावित्री जी के कदमों में बैठकर उनका पैर पकड़कर माफी मांगने लगीं सावित्री जी उन्हें माफ़ करने के बारे में सोच ही रही थीं लेकिन राजन ने अपनी मां से कहा,

” मां आप दिशा को माफ़ नहीं करेगी  अगर आज आपने इसे माफ़ कर दिया तो इसे अपनी ग़लती का अहसास नहीं होगा इसकी क्या गारंटी है की यह बदल गई है ऐसी औरतें इतनी जल्दी नहीं सुधरती जब तक इन्हें जमाने की ठोकरें न लगे हमेशा यही कहा जाता है

की सास बहू पर अत्याचार करती है पर कभी कभी बहू भी सास पर अत्याचार करती है मैं यही चाहता हूं की आप दिशा को माफ़ न करें इसे इसके हाल पर छोड़ दीजिए इसने अपनी मां के कहने पर आप पर अत्याचार किया है अब ये अपनी मां के साथ जा कर रहे” राजन ने गम्भीर लहज़े में कहा

दिशा राजन के पैरों को पकड़कर रोने लगी तब सावित्री जी ने राजन से कहा  “राजन दिशा को एक मौका और दे दो हो सकता है की यह बदल जाए “

“मां  आप  समझ नहीं रहीं हैं इसके आंसू पछतावे के नहीं है ऐसी दोहरे चरित्र की औरतें कभी बदलती नहीं हैं बदलने का नाटक करतीं हैं कहती हैं ” राजन ने नफ़रत से दिशा को देखते हुए कहा
” राजन दिशा कहां जाएगी अब तो मायके में भी

उसकी भाभी उसे रहने नहीं देगी ऐसे में उसे दर-दर की ठोकरें खाने के लिए हम कैसे छोड़ सकते हैं ” सावित्री जी ने गम्भीर लहज़े में कहा

” मां यही इस औरत की सजा है अब ये दर-दर की ठोकरें खाए इसने अपनी मां के साथ मिलकर आपके साथ भी तो यही करने की सोची थी ” राजन ने गुस्से में कहा


 ” राजन अगर हम भी इसके साथ वही करेंगे जो ये हमारे साथ कर रही थी तो हम में और इसमें फर्क क्या रह जाएगा मैं कहतीं हूं तुम निशा को इस घर में रहने  दो ” सावित्री जी ने राजन को समझाते हुए कहा
“आप इतना कह रही हैं तो मैं इसे इस घर में रहने की इजाजत दे देता हूं पर मैं  इसे माफ़ नहीं कर सकता आगे चलकर मैं दिशा को माफ़ कर पाऊंगा या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा ” इतना कहकर राजन अन्दर चला गया

  ” दिशा देखा तुमने तुम्हारी सास कितनी अच्छी हैं और तुम उनके साथ कैसा व्यवहार कर रहीं थीं कोई और औरत होती तो तुम्हें कभी माफ नहीं करती पर इन्होंने तुम्हें माफ़ कर दिया ये इनका बड़प्पन है आज के बाद तुम्हारे लिए मायके के दरवाजे तब-तक बंद रहेंगे जबतक राजन तुम्हें माफ़ नहीं कर देता ” दिशा के पिता ने कठोर शब्दों में उससे कहा
  फिर वो अपनी पत्नी माया की ओर मुखातिब होकर कठोर शब्दों में बोले ” माया आज के बाद तुम दिशा से नहीं मिलोगी अगर तुमने ऐसा करने की कोशिश की तो मैं तुम्हें अपने घर से धक्के मारकर बाहर निकाल दूंगा वैसे भी अब मेरे घर में तुम्हारा नहीं मेरी बहू का शासन चलेगा ये तुम्हारी सजा है “
माया अपने पति और बहू की बात सुनकर अंदर तक कांप गई पर अब वो कर भी क्या सकतीं थी जो उन्होंने बोया था आज वही काटने का समय आ गया था
दूसरी तरफ दिशा शर्मिंदगी और पछतावे का आंसू लिए खड़ी रह गई वह मन ही मन सोचने लगी “क्या अब कभी वह अपने पति का प्यार हासिल कर  पाएगी या नहीं फिर भी वह अब अपने पापों का प्रायश्चित करेंगी,
हो सकता है  ऐसा करने से ईश्वर को उस पर दया आ जाए वो कोई ऐसा चमत्कार दिखाए की राजन को उस पर भरोसा हो जाए, वह फिर से अपने पति के दिल में अपने लिए जगह बना सके सावित्री जी ने दुखी मन से लम्बी सांस ली और सोफे पर बैठ गई तभी दिशा के पिता ने उससे कहा,” दिशा अब तुम्हें अपने अच्छे व्यवहार से अपने पति और सास के मन में जगह बनानी होगी जिंदगी हर व्यक्ति को पाठ पढ़ाती है अपने कर्मों की सज़ा मिलकर रहती है इसलिए आदमी को कभी भी बुरे कर्म नहीं करने चाहिए” अपने पिता की बात सुनकर दिशा फूट फूटकर रो पड़ी आज उसे जिंदगी ने बहुत बड़ा सबक सिखाया था।

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश

# बहू ये मत भूलो भगवान सब देखता है

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