बड़ा दिल – श्वेता सोनी : Moral Stories in Hindi

रचना आज सुबह से घर की साफ-सफाई में लगी थी । घर को सजाते और विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने में सुबह से दोपहर हो गई थी और हो भी क्यूं ना  आज उसके बड़े बेटे की शादी तय जो होने वाली थी । पीयूष और सुकृति पिछले दो साल से एक – दूसरे को पसंद करते थे । और आज सुकृति के माता-पिता से मिलकर शादी तय करने वाले थे । तभी घर की बेल बजी ! 

” नमस्ते जी ! ” दरवाजे के बाहर आवाज़ आई । 

रचना ने देखा विवेक और उसका परिवार सामने था। खुशी की जगह चेहरे पर तनाव नजर आने लगी थी।रचना परेशान होकर पीयूष की ओर देखने लगी । 

” मां ये सुकृति के माता-पिता है !” पीयूष अपनी मां से कहने लगा । 

” मैं अभी आई ! ” रचना वहां रूक ना सकी और अपने कमरे में चली गई । 

 रचना की सांसें तेज होने लगी थी । रचना जैसे अपने अतीत को भूल चुकी थी । लेकिन आज सुकृति के पिता के रूप में विवेक को देखकर रचना गुस्से और अपमान से भर उठी । जैसे कल की ही बात हो , शादी का घर था रचना दुल्हन बनी बारात आने की राह देख रही थी , कि खबर आई !  ” रचना की मां हम बर्बाद हो गए मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद हो गई ! ” रचना के पिताजी जैसे अपने होशोहवास खो चुके थे और बिलखते हुए कहने लगे । 

” बारात नहीं आयेगी रचना की मां ! दुल्हे ने किसी और के साथ शादी कर ली और मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद कर दी !” 

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रचना के पिताजी अपना पीटते हुए बिलखने लगे और शादी में आए मेहमानों को जैसे मौका मिल गया तरह – तरह की बातें करने का !  दो साल रचना और उसके परिवार के लिए काफी भारी था जब तक रचना की शादी पीयूष के पिताजी के साथ नहीं हो गई । लेकिन आज विवेक को सामने देखकर रचना के घाव दोबारा हरे हो गये थे । 

” नहीं मैं ये शादी नहीं होने दूंगी ! विवेक की वजह से मुझे और मेरे परिवार को जितनी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी ! वो विवेक को भी झेलनी होगी ! ” रचना गुस्से से कहती हुई कमरे से बाहर जाने लगी। उसका दिल उसे कचोटने लगा था । 

” ये मैं क्या करने जा रही थी ! क्या मेरा दिल इतना छोटा है, किसी और कि गलती कि सजा मैं किसी और को दे रही थी ! हे भगवान आपने सही समय पर मुझे रोक लिया । ” रचना अपने हाथ जोड़ते हुए कहने लगी । 

रचना को देखकर विवेक और उसकी पत्नी अपने हाथ जोड़ते हुए रचना से माफ़ी मांगने लगे । 

” मैं बड़ो की गलती की सजा बच्चों को नहीं दूंगी विवेक आप निश्चिंत हो जाइए ।” रचना ने कहा और सुकृति के सर पर हाथ रख दिया। 

विवेक : ” सच में आपका दिल बहुत बड़ा है रचना जी , आपने मुझे माफ़ करके मेरी बेटी को अपना लिया । “

लेखिका : श्वेता सोनी

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