तनु को तुरंत अस्पताल में एडमिट कराया गया। बाहर तनु का पति विशाल और सास रेवती -ससुर मनोहर जी चिंतामग्न बैठे थे। रेवती जी मन ही मन ईश्वर से मना रही थी तनु ठीक हो, ज्यादा ना जली हो।तनु के मायके खबर दे दी गई थी। बहू के जलने का मामला था। थोड़ी देर में कई लोग अस्पताल आ गये, कुछ पड़ोसी, तनु के दोस्त,तनु के मायके वाले।
तनु की माँ ने आते ही आफत कर दी “कहाँ है मेरी बेटी,आखिर सास ने रंग दिखा ही दिया, सामने से कितना सीधा बनती है और काम देखो, मेरी बेटी को कुछ हुआ तो तुम लोगों को जेल भिजवा कर दम लुंगी “अग्नेय नेत्रों से विशाल और रेवती जी को देखती शीला जी बोली।रेवती जी भौचक्की हो शीला जी को देखने लगी, कहाँ तो उनको उम्मीद थी शीला जी के आने से उनको संबल मिल जायेगा और कहाँ यहाँ तो वही दोषी ठहरा दी गई।उन्होंने तो तनु के लिये ना जाने कितनी मनौती मान रखी थी।
तभी तनु की सहेली निशा बोली “आंटी जी आप सही कह रही, मैंने भी देखा था तनु की सास उसे डांटती रहती थी,फिर भी तनु हँसती रहती,ये सासे ऐसे ही बुरी नहीं मानी जाती है, ये सच में बुरी होती है “।
“क्या कहा तूने, सासे बुरी होती है तो तुम लोगों के माँ -बाप को शादी नहीं करनी चाहिये, या वहाँ शादी करो जहाँ सास -ससुर ना हो, ये आजकल की लड़कियाँ,… इनका बस चले तो पति को लेकर मायके में बस जाये “रेवती की पड़ोसी सहेली ने कहा, जिनकी बहू तनु की सहेली निशा है।
रेवती जी तो पीछे छूट गई यहाँ पड़ोसी सास -बहू का झगड़ा शुरु हो गया। डॉक्टर ने आ कर सबको डांट पिलाई तब जा कर वहाँ शांति हुई।रेवती जी के आँसू रुक ही नहीं रहे थे , बेटी प्रिया को विदा करने के बाद जब विशाल की शादी की थी तो रेवती जी तनु में प्रिया को ही देखती थी, उसी तरह लाड़ करती और उसी तरह डांटती थी। पर वो सास है इसलिये इनका डांटना तो देखा गया पर लाड़ नहीं दिखा किसी को..।
उधर तनु के जलने की ना जाने किसने खबर फैला दी, मिडिया वाले कैमरामैन के साथ आ गये, आखिर हॉट टॉपिक था, आज फिर दहेज की आग ने एक बहू को अपना शिकार बनाया। सब कुछ देख रेवती जी फफक पड़ी। पुलिस वाले भी आ गये तनु के मम्मी -पापा का बयान ले रहे थे। तनु के मम्मी -पापा जी भर कर रेवती जी और मनोहर जी को बुरा -भला ठहरा रहे थे। लोगों के निगाहों के कठघरे में सबसे बड़ी दोषी रेवती जी थी, क्योंकि वो सास थी।सास अच्छी हो सकती,ये कभी किसी लड़की को नहीं कहा गया, बचपन से ससुराल और सास का एक खौफनाक अक्स खींचा जाता है लड़कियों के मन में…।
शीला जी को तीन लड़कियाँ और एक बेटा था।तनु की मम्मी अपनी तीनो लड़कियों के घर में दखलअंदाजी करती थी, भाई सबसे छोटा था, अभी साल भर पहले ही भाई की शादी हुई थी।चार साल पहले तनु की भी शादी हुई थी।उनके लाख कहने पर भी तनु कभी भी अपनी सास के विरुद्ध नहीं गई।
अपनी मूँछओं पर हाथ फेरते तनु के पापा,उसकी मम्मी से बोले,” इन लोगों को जेल नहीं भिजवाया तो मै अपनी मूँछ मुड़वा दूंगा “।
पुलिस वाले सबका बयान ले कर रेवती जी और मनोहर जी की ओर बढे ही थे कि डॉक्टर ने विशाल को पुकारा “रेवती जी कौन है, मरीज उनसे मिलना चाहता था “। सब तरफ ख़ामोशी छा गई। शीला जी भाग कर डॉक्टर के पास आई “मै उसकी माँ हूँ, मुझे मिलना है उससे “
डॉक्टर ने रूखे स्वर में कहा “आप सब दूर से तनु जी से बात कर सकते है “।डॉक्टर सबको तनु के पास ले गया। तनु का साइड से हाथ और पेट जल गया था, चेहरा बच गया था,तनु खतरे से बाहर थी। तनु ने रेवती जी को देख हाथ हिला कर कहा -माँ मै ठीक हूँ, आप घबराना नहीं, और विशाल आप माँ का ध्यान रखना, मुझे कुछ होता है तो माँ खाना -पीना छोड़ देती है “।
.”बस कर तनु, जिसने तुझे जलाया, उसे ही तू इतना मान दें रही है “तनु कि मम्मी शीला जी ने गुस्से से कहा।
तभी एक मिडिया वाला बोला “आप हमें बतायें मैडम आपको आपकी सास दहेज की किस मांग के लिये जलाया, एक बार हमें बताइये हम आपको न्याय दिला कर रहेंगे “
“शटअप…. आप लोगों को किसने यहाँ बुलाया… जाइये आप लोग यहाँ से, मम्मी, तुम्हे किसने कहा कि सासु माँ ने मुझे जलाया, अरे मै तो खुद अपनी लापरवाही से जली, मेरी साड़ी में गैस से आग लगी और मै जैसे ही मुड़ी तो तेल की खुली बोतल गिर गई जिसकी वजह से आग ज्यादा फैल गई। माँ ने चिल्लाते हुये पानी फेंकना शुरु किया, जब तक विशाल आते आग बुझ गई थी,और मम्मी तुमसे कहीं ज्यादा फिक्र मेरी सासु माँ मेरी करती है, तुम अपना घर देखो, और अपनी बहू को कैसे रखों ये मेरी सासु माँ से सीखो “तनु गुस्से से बोली।
तनु के जलने की वज़ह जान मिडिया वाले, पुलिस वाले वहाँ से चले गये पर जाते -जाते शीला जी को धमका गये “इस तरह का झूठ मुठ का केस बनाने पर आपको ही सजा हो सकती है,”।शीला जी निशब्द हो गई।
मसाले की खोज में आये हितैसियों की भीड़ भी धीरे -धीरे छँटने लगी।सब के चले जाने के बाद शीला जी हाथ जोड़ कर रेवती जी के पास आई,”मुझसे गलती हो गई समधन जी माफ करियेगा “रेवती जी ने उनके हाथों को पकड़ फफक उठी,।बिना जाने -समझें शीला जी ने रेवती जी पर आरोप लगा दिया… क्योंकि एक सास हमेशा शक की नजरों से देखी जाती, पर शीला जी भूल गई थी वो भी सास थी…।
शीलाजी ने तो माफ़ी मांग ली पर क्या जो ग्लानि और दुख रेवती जी ने झेला, शीला जी उसे दूर कर सकती….। नहीं ना, क्योंकि समय चला गया, दोस्तों हमारे भारतीय समाज में लड़कियों को बचपन से ही डराया जाता, मसलन काम ना करने पर..”ससुराल जाओगी तब पता चलेगा, जब सास तुम्हारी ऐसी की तैसी करेंगी “या सास कहेगी “कैसी फूहड़ हो, माँ ने कुछ सिखाया नहीं “सास ना होकर कोई हिटलर हो गई, लड़कियों को इस पूर्वाग्रह से मुक्त करें, “वो घर भी तुम्हारा है, तुम्हे प्रेम और समंजस्य से उसे अपना बनाना है “।जब एक लड़की अपनत्व की भावना ले कर नये घर में आयेगी तो निसंदेह उसे सब अपने ही दिखेंगे।
सकारात्मक बनना है तो जीवन के हर क्षेत्र, हर रिश्ते में बने।अगर आप माँ है तो बेटी को सही शिक्षा दें, उसकी गलत बातों का विरोध करें, अगर आप सास है तो आपकी जिम्मेदारी है बहू की माँ बने, वही बहू की जिम्मेदारी है छोटी -छोटी चीजों को अनदेखा करें।
सास भी अच्छी होती , बहू भी अच्छी होती है, बस देखने का नजरिया बदलिए सब कुछ अच्छा दिखेगा
…।स्त्री होकर खुद भी स्त्री की इज्जत हमें करनी पड़ेगी, तभी समाज में हम स्त्रियों की जगह बनेगी।
—-संगीता त्रिपाठी