गांव में एक किसान रहता था उसके दो पुत्र थे एक पुत्र पढ़ लिखकर एक जिले का डीएम बन गया। एक पुत्र गाँव पर ही रहकर पिता के साथ कृषि करता था।
एक दिन की बात है। जो पुत्र डीएम था वो एक दिन गाँव आया था पिता बुजुर्ग हो चले थे। पुत्र के साथ बहुत सारे लोग भी आए थे। पिता बार बार पूछ रहे थे तुम्हारे साथ कौन कौन आया हैं।
बेटा गुस्से मे बोला आपको क्या मतलब हैं कब से आप बॅक बॅक बोले जा रहे हैं।
किसान बोला बेटा! याद है तुम जब छोटे थे और आँगन मे बैठे थे छत के ऊपर एक कौवा आकर बैठा था।
तुम बार बार पूछ रहे थे की पापा वह कौन सी पक्षी है मेरे कई बार बताने के बाद भी तुम बार बार पूछ रहे थे और मैं बार बार तुमको प्यार से बता रहा था की बेटा कौआ है। बेटा मैंने तुमसे आज एक सिर्फ इतना पूछ लिया की तुम्हारे साथ कौन लोग आए हैं तो तुम्हें गुस्सा आ गया।
दोस्तो इस लघुकथा की सीख ये है की हमारे बुजुर्गों को भी प्यार और स्नेह की जरूरत होती है। एक दिन वो हमे सींच कर पौधा से पेड़ बनाए। अब हमारी बारी है अपने बागबान की रक्षा करे।