*दूल्हा पसंद** – श्याम कुंवर भारती : Moral Stories in Hindi

रंजीता को देखने के लिए लड़के वाले आए हुए थे। आकाश और उसके छोटे भाई विजय को लेकर उसके माता पिता  लड़की देखने आए थे।

आकाश बड़ा लड़का था उसकी नौकरी एक सरकारी कंपनी में हो गई थी ।छोटा लड़का विजय अभी एमबीए फाइनल इयर में था । वह देखने में बड़ा स्मार्ट लड़का था ।जबकि आकाश सीधा साधा और सामान्य लड़का था ।लेकिन बड़ा ही व्यवहारिक और समझदार लड़का था ।पूरे परिवार की जिम्मेवारी उसी पर थी। पिताजी एक प्राइवेट कंपनी से सेवा निवृत हो चुके थे।मां हमेशा बीमार रहती थी।

आकाश ने नौकरी लगते ही अपनी दोनो छोटी बहनों का विवाह दो साल के भीतर करवा दिया था। इससे उसके माता_ पिता बहुत खुश हुए।

अब सबने आकाश को भी विवाह करने का सुझाव दिया।जिसे उसने सबकी भावना का ख्याल रखते हुए मान लिया था।

रंजीता देखने ने काफी सुंदर और पढ़ी लिखी लड़की थी ।वाह भी काफी स्मार्ट और आधुनिक ख्याल की लड़की थी ।जबकि उसकी छोटी बहन संगीता बड़ी शांत स्वभाव की और भक्ति भावना वाली लड़की थी।

रंजीता सज सजकर अपने हाथ में चाय नाश्ता लेकर लड़के वाले के सामने आई ।उसके साथ उसकी छोटी बहन संगीता भी थी।उसको अकेलापन न महसूस हो इसलिए ।हालांकि वहा उसके माता पिता और दादा दादी भी उपाथित थे।

आकाश की नजर रंजीता पर पड़ी ।एक ही नजर में वो उसे पसंद आ गई।रंजीता ने ट्रे से सबको चाय नाश्ता देकर अपनी मां के बगल में बैठ गई ।

पहले उसने आकाश को देखा फिर उसके छोटे भाई विजय को देखने लगी।देखी क्या बस देखती रह गई।

विजय उसे बहुत पसंद आया।

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चाय नाश्ता के साथ रंजीता के पिता ने आकाश के पिता से पूछा _ आप सबने मेरी बेदी बेटी रंजीता को देख लिया ।अब बताए अगर लड़की पसंद आई हो तो आगे की बात बढ़ाई जाए।

आकाश के पिता ने कहा _ अब इसमें मैं क्या बताऊं ।मेरा बड़ा बेटा आकाश ही बताएगा।शादी तो उसे ही करनी है।आकाश ने झट से कहा_ पापा मुझे लड़की बहुत पसंद है आप हा बोल दीजिए।

आकाश की बात सुनकर रंजीता के पिता बहुत खुश हुए कहा _ चलिए इसी बात पर मुंह मीठा कीजिए।फिर उन्होंने रंजीता से कहा _ बेटी जाओ सबके लिए मिठाई लेकर आओ तुम्हारा रिश्ता तय हो गया।

रंजीता ने अपनी मां के कान में धीरे से कहा _मां मुझे तुमसे बात करनी है आओ मेरे साथ ।

वो अपनी मां को लेकर अंदर चली गई।

रंजीता ने कहा_ मां मुझे बड़ा लड़का नहीं उसका छोटा भाई पसंद है।मुझे उसी से विवाह करना है।

उसकी बात सुनकर उसकी मां चौक गई।अरे तुम क्या कह रही हो सब सुनेंगे तो क्या कहेंगे।

वे लोग अपने बड़ा बेटा का रिश्ता लेकर आए है और तुम उसके छोटे भाई की बात कर रही हो।यह कैसे हो सकता है।अभी वो पढ़ रहा है उसकी शादी अभी नही होगी ।

चाहे जब हो मुझे तो उसी से विवाह करना है मां।

रंजीता अपनी जिद पर अड़ी रही।

मकबूर होकर उसकी मां बैठक खाने में आकर अपने पति को इशारे से अंदर बुलाई।रंजीता के पिता घबड़ाए हुए तुरंत अंदर आए और बोले _ अरे तुम दोनो क्या कर रही हो सब्लोग इंतजार कर रहे हैं मिठाई अभी तक नही लाई।

अरे सुनिए तो देखिए आपकी बेटी क्या  बोल रही है ।फिर उसने अपनी बेटी की इच्छा बता दिया।उसकी बात सुनकर उन्होंने अपना माथा पकड़ लिया।

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अब क्या करे इस लड़की ने तो हमे धर्म संकट में डाल दिया।उसके पति ने नाराज होते हुए कहा।

अब क्या कर सकते है जी चाहे जो हो जाकर इसकी बात बता दीजिए ।ये तो जिद पकड़कर बैठी है शादी छोटे लड़के से ही करेगी।रंजीता की मां ने चिंतित होकर कहा।

एक काम कीजिए आप जाकर इसकी पसंद बताकर संगीता की बात कीजिए ।आखिर इसके बाद उसकी शादी तो करनी ही है।अगर लड़का संगीता को पसंद करता है तो उसी की शादी कर देंगे।

आप जाइए और संगीता को अंदर भेज दीजिए मैं उससे बात करती हूं।तब तक आप उनसे बात कीजिए और छोटे लड़के से पूछिए क्या वो रंजीता से विवाह करेगा।

उसके पति चले गए ।थोड़ी देर में संगीता अंदर आई _ क्या हुआ मां तुम सब यहा क्यों खड़ी हो।मिठाई भी दीदी नही लाई।

उसकी बात का जवाब न देकर उसकी मां ने उसकी बड़ी बहन की जिद के बारे में बताया।

सुनकर संगीता दंग रह गई।आप यह कर रही हो दीदी मम्मी पापा की इज्जत चली जायेगी ऐसी जिद मत करो।संगीता ने अपनी बड़ी बहन रंजीता को समझाते हुए कहा।

किसी की इज्जत नहीं जायेगी अगर तुम उससे विवाह कर लोगी तो रंजीता ने अपनी छोटी बहन से कहा।

बाहर रंजीता के पिता ने जब रंजीता की पसंद बताई तो वे लोग भी चौंक गए।

विजय ने कहा _ लेकिन मैं आपकी बेटी से विवाह नही कर सकता।क्योंकि मेरे कॉलेज में एक लड़की है ।मेरे साथ  ही पढ़ती है ।हम दोनो एक दूसरे से प्यार करते है ।फाइनल एग्जाम के बाद  कॉलेज में कैम्पस प्लेसमेंट होगा।नौकरी लगते ही हम दोनो अपने  अपने घर में अपनी शादी की बात करने वाले थे।लेकिन आज सबको बताना पड़ा आपकी बेटी के कारण ।

आकाश के पिता ने उससे पूछा _ बेटा क्या तुम्हे लड़की की छोटी बहन पसंद है । आकाश ने कहा _ पापा अब मेरी पसंद नापसंद का सवाल नहीं है।इनकी छोटी बेटी से ही पूछिए उसकी क्या पसंद है ।कही उसे भी तो कोई और नहीं पसंद है।

ठीक है मैं अभी पूछता हूं रंजीता के पिता ने कहा और अंदर चले गए।

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बेटी अब तुम ही इज्जत बचा सकती हो चलो बाहर चलकर हा बोल दो ।उसकी मां ने संगीता से कहा।

मैं ऐसा न कहो अगर मेरे हां कहने से आप सबकी और इस घर की इज्जत बच सकती है तो मेरी हां है।उसकी मां की आंखो से आंसू निकल आए।

तभी रंजीता के पिता आए ।उनको देखते ही संगीता ने कहा _ पापा आप चिंता मत कीजिए मैं तैयार हूं चलिए मिठाई लेकर ही चलती हूं।

उसके पिता ने उसके सिर पर हाथ रख दिया और कहा बेटी तुम सच में बड़ी संस्कारी हो सदा सुखी रहो।

फिर उन्होंने रंजीता से विजय की पसंद बता दिया ।इसलिए वो तुमसे विवाह नही कर सकता।

रंजीता नजरे झुकाए चुप रह गई।उसकी जिद ने उसे कही का न छोड़ा।

              -:समाप्त :-

लेखक

श्याम कुंवर भारती

बोकारो, झारखंड

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