कहानी बिलकुल काल्पनिक है और हास्य से भरपूर है.भैस का बदला . एक बहुत पुराना गांव था .जहा ज्यदातर लोग अशिक्षित थे पर पैसे की कमी नहीं थी.एक पंडित जी छोटे मोटे गोल मतोल गोरे चित्त से अपनी पत्नी वा दो पुत्रो के साथ रहते थे। पत्नी का व्यक्तित्व पंडित जी से बीस ही था। छोटे पुत्र ओम का पढ़lई में मन नहीं लगता तो पंडित जी उसको अपनी तरह पंडिताई सीख रहे थे।परंतु बड़ा पुत्र व्योम डॉक्टर बैन कर गांव की सेवा करना
चाहता था तो 12कक्षा से ही शहर निकल गए।चुकी एक भी डॉक्टर गांव में नहीं था।पंडित जी बड़े विद्वान समझे जाते थे कहीं भी पूजा पाठ हो तो उनके बिना अधूरी समझ जाती थी इसलिए उन्हें दान भी अच्छा खासा मिल जाता था. पंडित जी के पास एक बहुत ही सीधी सादी गाय थी जिसका नाम लक्ष्मी था किसी ने पंडित जी को एक भैंस दान दी छोटा पुत्र ओम बड़ा प्रसन्न हुआ अब उसकी भी खूब सेवा करता उसका नाम था
पायल अब दूध भी खूब होता थोड़े घर में और जो बचता बाहर बेच आता ऐसी ही मस्ती भरे दिन कटने लगे। उधर बड़ा पुत्र ने खूब मेहनत की आज पूरे 5 साल बाद डॉक्टर बैन कर गाँव आ रहा था। पूरे गांव में पंडित जी सीना फुलाए घूम रहे थे क्योंकि अभी तक इतनी पढ़ाई किसी ने नहीं की थी गरीब गांव था ज्यादा खेती या छोटा मोटा कारोबार ही करते थे.
गांव के बडेस्यानो ने बाजे गाजे के साथ खूब फूलमालाओं से स्टेशन पर उसका स्वागत किया व्योम भी बड़ी विनम्रता के साथ सबसे मिला माता पिता का आशीर्वाद लिया गांव के युवाओं ने उसको गोद में उठा लिया.पूरे गांव में जयजयकार के साथ सभी ने उसको घर छोड़ दिया .मां आरती की थाली लेने अंदर गई तभी ओम ने कहा चल भाई तुझे नए सदस्य से मिलवाता व्योम ने पूछा पहले बता अपनी लक्ष्मी कैसी है। बिलकुल ठीक है चल तुझे पायल से भी मिलवाता हूँ।अरे पायल कौन है.
व्योम ने पूछा.. अपनी नई भैंस है। जमींदार ने दी है ओम बोला..दोनो जैसे ही भैंस के पास जाते हैं वो बड़े ज़ोर से हुंकार भर के व्योम की ओर दौड़ते हैं। व्योम की सिटी पिटी गम हो जाती है वो वहां से भाग खड़ा होता है जबकी लक्ष्मी की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती वो शांत भाव से जुगाली करती रहती है।
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सभी को बड़ा सरप्राइज हुआ कि इतनी सीधी सादी भैंस को अचानक क्या हुआ। लेकिन अब रोज़ का सिलसिला हो गया जब भी पायल को व्योम नज़र आता वो भड़क जाती ये सभी के लिए एक पहेली बन गया। एक दिन तो हद ही गई वैसे पायल को अब सावधान से बंद कर ही रखा जाता प्रति उस दिन बड़े सुपुत्र रोज़ की तरह लोटा लेके शुद्ध होने खेत जा रहे थे (उस समय घर में बाथरूम नहीं होते थे)।तबी पायल महोदया कूदते गरजते पता नहीं कहां से रस्सी तुड़ा कर आ धमकी व्योम जी इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे।
दे पत्तखनी आह ऊह करते चिल्लाने लगे वो तो राह चलते लोगो ने कंट्रोल किया। नहीं तो आज जान जाना तय था. अब बात बर्दाश्त थी. ओम ने निश्चय किया कि जमींदार की भैंस उनको वापस कर दी जाए.ये काम भी हो गया सबने राहत की सांस ली दो चार दिन बड़ी शांति से गुज़रे।एक दिन हाट में व्योम जी सब्जी ख़रीदने निकले ही तभी तो फिर वो भैंस नजर आई, हे भगवान बच्चा ले कहते-कहते दौड़ पड़े .भैंस पीछे पीछे व्योम जी आगे आगे.
जमींदार भैंस के पीछे वो तो जमींदार के आदमी ने किसी तरह गाड़ी में आगे बढ़कर व्योमजी को बिठाया और फुर्रर्र हो गए शाम को जमींदार के आदमी ए ओम से बोले भाई ये भैंस आप ही रख लो हमसे नहीं संभल रहा और भाग गए।आखिर ओम किसी तरह उसको पुचकार कर लाया औ मोटी सिकड़ी से बांध दिया नाक में नकेल भी डाल दिया एक दिन सौभाग्य से एक महात्मा जी गांव में भिक्षा मांगने आये।
वो बड़े सिद्ध योगी थे . भूत भविष्य यहाँ तक कि अगला पिछला जन्म भी बता dete the पंडित जी के मन में विचार आया कि चलो महात्मा जी को घर बुलाया जाए. उन्होन महात्मा जी को बड़े आधार से भोज पर अमंत्रित किआ फिर अपनी समस्या बताई महात्मा जी उस स्थान पर गये जहां पायल थी लोगो का जमावड़ा हो गया था पूरे गाँव में ये चर्चा का विषय था ही तो लोग अपने उत्सुकता के लिए वाह जमा हो गए .
महात्मा ने अपनी आंखें बंद कर लीं अचानक अपनी आंखें खोलीं फिर मुस्कुराए।
पंडित जी ने करण पूछा तो महात्मा हंसने लगे फिर बोले असल में पिछले जन्म में ये तुम्हारे पुत्र की सास थी व्योम इसकी बहू थी और इसे अपना पुराना जन्म याद है .इसको लगता है कि पूर्व जन्म में इसकी बहू ने इसको विष देकर इसकी हत्या की थी इसलिए व्योम को देखकर ये अनियांत्रित होकर मlरने की कोशिश करती हैंl
सुनकर लोग मुंह छिपाकर हंसने लगे पंडित जी को बहुत बुरा लगा उपाय पूछने लगे।
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महात्मा जी बोले अगर इसकी आंखो के सामने आपके पुत्र को मार कर जला दिया जाे तो इसकी याददाश्त चली जाएगी
सुनकर पंडिताईन ने कानो पर हाथ रख लिया राम राम बोलने लगी तो महात्मा जी बोले एक लकड़ी का पुतला लाओ। उसके ऊपर इसकी फोटो रख दो चादर से ढक दो खाली चेहरा खुला रहे पायल एके सामने बिस्तर पर लिता दो आग लगा दो पूरा पुतला जलते हाय ये आपके बेटे का चेहरा भूल जाएगी फिर भी केवल इतना याद रहेगा कि पिछले जन्म में बहू ने जहर दे कर मार दिया था किंतु चेहरा भूल जाने के कारण व्योम को नुक्सान नहीं पहुंचाएगा।
2 se 4 दिन लगे पूरा इंतज़ाम होने में..
महात्मा जी की देख रेख में पूरा काम हो गया भैंस के सामने व्योम का पुतला चारपाई पर रख दिया गया।
आग लगते ही धूप कर जलने लगा पायल एक पल तो फोटो देखकर भड़की पर जैसे आग पुतला को जलती गई भैंस शांत हो गई थोड़ी देर में सब शांत हो गया. अब महात्मा जी बोले व्योम को लाया जाए पर व्योम को अभी भरोसा नहीं था उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी सब ज़बरदस्ती ले आए परंतु ये क्या भैंस ने कोई विरोध नहीं किया वैसे ही शांत होकर जुगाली करती रही मानो कुछ हुआ ही ना हो.व धीरे-धीरे सब सामान्य हो गया व्योम भी बेरोकटोक अपना काम देखने लगा डॉक्टर का सपना सच करने में लग गया.
एक दिन
पायल (लक्ष्मी से) सुनो पिछले जन्म में मेरी बहू ने मेरी हत्या की थी इस जन्म में उसको उसके कर्मो का फल मिल गया .
लक्ष्मी -पर उसने तुम्हारी हत्या नहीं की थी.हत्या तो तुम्हारे सेवक रामू ने की थी
पायल- क्या बकवास कर रही हो तुम्हें कैसा पता .
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लक्ष्मी – तुम्हारी बहू तो बड़ी सीधी थी तुमने उसका जीना मुश्किल कर दिया था एक दिन तुम उसको जान से मरने वाली थी पर रामू को पता चल उसने तुम्हारी खीर में जहर मिला दिया और तुम मर गई।
पायल हक्का बक्का होकर बोली।
तुम कैसे जानती हो
लक्ष्मी- मैं ही तो थी रामू
कहकर निर्विकार मन से जुगाली करने लगी।
दोस्तो ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और केवल मनोरंजन के लिए है।
By Nisha Pandey
Title:
Bhais ka badla
Nagpur MH