जैसा कि अभी तक आपने कहानी “नाजायज रिश्ता” में पढ़ा कि अब रिया का नया ही रूप दिख रहा है …नहीं पता कि वह कुछ गलत करने जा रही है या सही …वो सुबोध के घर जाती है …और वहां उसकी पत्नी से बात करती है ….रोशनी उसे भला बुरा कहती है ….फिर भी रिया बिना कुछ बोले मुस्कुरा कर अपनी बेटी को लेकर वहां से आ जाती है….फिर शाम को वह सुबोध से मिलने को बोलती है ….सुबोध भी बहुत ही खुश होकर रिया से मिलने आया हुआ है ….वह सामने से रिया को आता हुआ देखता है ….
अब आगे….
जैसे ही रिया सुबोध के पास आ रही होती है…
सुबोध बार-बार खुद को निहारता है ….
देखता है मैं ठीक तो लग रहा हूं ….
फोन की स्क्रीन पर देख अपने बालों को ठीक करता है ….
वह बिल्कुल वैसा महसूस कर रहा है….जैसा वह कॉलेज टाइम पर रिया से मिलने आता था…तब महसूस करता था…
उसके चेहरे पर एक अलग तरह की ही चमक दिखाई पड़ रही थी….
शायद वह रिया में वो पहले वाली रिया ढूंढ रहा था….
जैसे ही रिया पास आई ….
सुबोध रिया को देखता ही रह गया….
बहुत ही प्यारी सी साड़ी पहनी हुई थी रिया ….
उसके खुले हुए बाल ,,उसमें क्लचर लगा हुआ,,हाथों में भारी-भारी चूड़ियां,,छोटी सी बिंदी और हल्के रंग की लिपस्टिक लगाई हुई थी….
रिया तुम बहुत ही सुंदर लग रही हो …
मेर दिल जोरों से धड़क रहा है रिया….
तुम्हारे जैसा शायद ही मैंने कोई देखा हो ….
सुबोध शरारत भरे लहजे में बोला….
रिया ने थैंक यू बोल सुबोध से बैठने को कहा …
दोनों लोग बैठ गए …
रिया तुम्हारी बेटी कहां है …??
सुबोध ने रिया से पूछा….
उसे मैं आंटी के पास छोड़ आई हूं …
ठीक है …
वैसे भी परेशान हो जाती गुड़िया ….
रिया एक बात बोलूँ….
मुझे बहुत ही खुशी हुई कि तुमने मुझे यहां बुलाया…
और तुम मुझसे मिलना चाहती हो….
अब शायद मैं डिप्रेशन से बाहर आ सकूं ….
सुबोध ने कहा…
सुबोध तुम पूछोगे नहीं…
मैंने तुम्हें यहां क्यों बुलाया है …??
रिया ने कहा…
पूछने की क्या जरूरत है रिया….
हम दोनों पुराने दोस्त ,,,शायद दोस्त से भी बढ़कर हैं…
तो बस इसलिए कुछ पुरानी यादें ताजा करने के लिए और अपने रिश्ते को कुछ नाम देने के लिए ही तो तुमने बुलाया है…
मैने सही समझा ना…??
सुबोध बोला….
रिया शर्मा गई ….
रिया कुछ मंगवाऊँ तुम्हारे लिए….??
हां …
देख लो…
तुम क्या लोगी …
कॉफी ही ठीक है …
कुछ और ले लो नाश्ते में ….
नहीं-नहीं ….
मैं कॉफी ही लूंगी…..
सुबोध ने दो कॉफी ऑर्डर की ….
अब दोनों के बीच सन्नाटा था ….
तभी रिया अपने बालों में उंगली फिरा रही थी ….
और एक हाथ उसने टेबल पर रखा हुआ था ….
सुबोध को कुछ ना सूझा….
उसने रिया के हाथ पर अपना हाथ रख दिया….
रिया ने भी अपना दूसरा हाथ सुबोध के हाथ पर रखा….
अब तो जैसे सुबोध का मन कर रहा था…
कि वह झूमे ,,,नाचे ,,गायें और उड़ चले गगन में ….
रिया क्या सच में….??
सुबोध बोला …
हां सुबोध…
रिया ने हामी भरी …
रिया तुम कहो तो किसी दिन मूवी देखने चलें….??
या कहीं घूमने …
सुबोध बोला….
हां…
क्यों नहीं सुबोध…
बिल्कुल…??
लेकिन मैं हर बार बेटी को छोड़कर नहीं आ सकती …
उसे भी लेकर जाना पड़ेगा …
हां…
क्यों नहीं ….
उसे भी लेकर चलना …
मैंने मना नहीं किया है…
इनसे (विभू ) से क्या कहूँगी सुबोध…??
रिया बोली …..
कुछ भी कह देना रिया….
बोल देना….
दोस्तों के साथ जा रही हूं ….
बेटी को लेकर जा रही हूं साथ…..
एक पार्टी है…
ये बात तुमने सही कही…
रिया सुबोध के मन को पढ़ रही थी….
तुम रोशनी को क्या बताओगे सुबोध …??
और तुम्हारे छोटे-छोटे बच्चे जो तुम्हारे बिना नहीं रहते …
वो छुट्टी वाले दिन तुम्हारा इंतजार करते हैं ….
संडे को ही तुम्हें टाइम होगा जाने का…
है ना…???
क्या कहोगे फिर…??
रिया बोली…
बोल दूंगा रिया….
की ऑफिस में एक्स्ट्रा वर्क है ….
वैसे भी रोशनी कौन सा ध्यान देती है मेरा ….
कि मैं कहां जा रहा हूं …
कहां नहीं जा रहा ….
हां मुझे बच्चों की फिक्र जरूर रहती है….
अगर तुम कहो तो बच्चों को भी ….
रिया बोली…
हां हां…
बच्चों को भी ले आना …
उन्हे भी अच्छा लगेगा….
तो फिर डन रिया…
इस संडे चलते हैं मूवी देखने….
ठीक है सुबोध….
सुबोध रिया की आंखों में आंखें डाल बोला…
रिया क्या सच में …
तुम मुझसे अभी भी प्यार करती हो ….??
सुबोध ने प्रश्न पूछा….
क्यों तुम्हें मेरी आंखों में दिखाई नहीं देता सुबोध…
रिया बोली…
वो बस कंफर्म कर रहा था …
क्योंकि एकदम से तुम्हारा यह बदला हुआ रूप थोड़ा अटपटा लगा…
वो तो बस कुछ मर्यादा थी शादीशुदा जिंदगी की….
उस वजह से मैंने खुद को रोक रखा था….
लेकिन प्यार पर क्या किसी का जोर चलता है …
मैं खुद को ना रोक सकी सुबोध….
वैसे भी हम गलत क्या कर रहे हैं …
बस मिल ही तो रहे हैं …
शादी थोड़ी ना कर रहे….
सही बात है रिया…
हां हां …
बिल्कुल रिया…
हम अपनी मर्यादाएं जानते हैं…
सुबोध बोला …
अच्छा तो मैं चलूं…??
इनका भी आने का थोड़ी देर में समय हो जाएगा….
और गुड़िया भी याद कर रही होगी….
हां….
ठीक है रिया…
सुबोध और रिया ने कॉफी खत्म की ….
और वह चलने को हुए ….
रिया मैं तुम्हें बाइक से छोड़ दूं …??
तुम कहो तो…
ठीक है …
रिया संकोच करते हुए सुबोध की बाइक के पीछे बैठ गई ….
रिया तुम बहुत दूर हो…
गिर जाओगी…
सुबोध बोला..
रिया सुबोध के पास आ गई ….
रिया थोड़ा मुझे कस्के पकड़ लो …
रिया बहुत ही अटपटा महसूस कर रही थी …
लेकिन उसने सुबोध के कंधे पर हाथ रख दिया….
एक हाथ रिया मेरी कमर पर भी रखो….
तब तुम्हारा बैलेंस ठीक से बनेगा….
सुबोध बोला….
सुबोध की इस हरकत पर रिया को शर्म आ रही थी….
सुबोध के कहने पर उसने सुबोध की कमर पर भी हाथ रख लिया…
सुबोध के मन में एक अलग सी हलचल हुई…
इसको बयां करना सुबोध के बस में नहीं था….
सुबोध के बाल हवा में लहरा रहे थे …
उसने अपना हेलमेट हटा दिया था…
आज वह वही कॉलेज वाला लड़का खुद को महसूस कर रहा था…
अब वह बिल्कुल भी खुद को एक शादीशुदा मर्द नहीं समझ रहा था ….
रिया तुम्हें कैसा लग रहा है ….??
सुबोध ने पूछा……
बहुत अच्छा लग रहा है…
मौसम भी बहुत अच्छा है…
हां बहुत अच्छा रिया….
रिया का घर आ चुका था…
लेकिन सुबोध रिया के साथ और समय बिताना चाहता था….
तभी घर के सामने विभू अपने कमर पर दोनों हाथ रखकर खड़ा था …
विभू के पीछे रिया की अम्मा खड़ी थी….
बहुत बढ़िया छोरी….
अगला भाग
नाजायज रिश्ता (भाग -26)- मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi
तब तक के लिए जय श्री राधे
मीनाक्षी सिंह
आगरा