शालिनी जी एक सिंगल मदर थी तथा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका के रूप में कार्यरत थीं। दो बेटियां अवंतिका और अनुराधा उनकी जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा थीं ।
अब चुकी सिंगल मदर थीं तो घर की सारी जिम्मेदारियां उनको निभानी थी।
शालिनी जी बेटियों की शिक्षा में कोई कसर नहीं रहने देना चाहती थीं इसलिए अच्छी शिक्षा के लिए, दिल्ली के बेस्ट कॉन्वेंट स्कूल में उनका दाखिला करवा दिया ।
जब अवंतिका की स्कूलिंग कंप्लीट हो गई तब उसने बीटेक करने के बाद एमबीए किया ।
इधर छोटी बेटी अनुराधा प्लस टू के बाद बायोटेक्नोलॉजी करने के लिए अमेरिका चली गई।
शालिनी जी बेटियों की शिक्षा के साथ-साथ इन्हें पिता की कमी को कभी महसूस नहीं होने दिया ।
एमबीए कंप्लीट हो जाने के बाद अवंतिका ने आइसीआइसीआई बैंक में जाॅब ज्वाइन कर लिया ।
अब उसको अच्छी सैलरी मिलनी शुरू हो गई थी।
दीदी—! अवंतिका ने जाॅब भी कर ली है कहो तो उसके रिश्ते की बात चलाउ?? शालिनी जी का अपने छोटे भाई आशीष से जो एक सब इंस्पेक्टर था , फोन पे बात हुई हो रही थी।
“मैं आज अवंतिका से पूछ कर, फिर तुझे बताऊंगी। “
शालिनी जी ने कहा ।
देखते देखते बेटी इतनी बड़ी हो गई कि अब उसके रिश्ते की बात भी होने लगी। सोचते हुए शालिनी जी अपने कामों में लग गई।
एमबीए करने के दौरान ही अवंतिका को एक लड़का पसंद आ गया और दोनों ही एक दूसरे को पसंद करने लगे।
एक दिन जब शालिनी जी अवंतिका से उसकी शादी की बात छेड़ी तो—‘ मां—! मैंने एक लड़का पसंद कर रखा है !
इन फैक्ट हम दोनों एक ही साथ जॉब कर रहे हैं।
अवंतिका बहुत ही सरल भाव से बोली।
अच्छा—! यह तो अच्छी बात है!
पर क्या अगर आज मैं तेरी शादी की बात नहीं छेड़ी होती तो तू मुझे बताते ही नहीं।
वो तो अच्छा हुआ कि आज सुबह-सुबह तेरे मामा जी का फोन आया था जो तेरे शादी के लिए रिश्ता देखने की बात कर रहे थे।
शालिनी जी थोड़ी नाराजगी दिखाते हुए बोलीं ।
अरे नहीं मां —सॉरी!
‘ मैं तो बस एक सही समय का इंतजार कर रही थी आज मुझे मौका मिला तो मैंने आपको बता दिया ‘!
शालिनी जी के गोद पर अपनी सिर रखते हुए अवंतिका बोली।
अच्छा– ये बता! लड़के का क्वालिफिकेशन तथा घर कैसा है??
शालिनी जी थोड़ी गंभीर थीं ।
ही इज वेरी नाइस एंड अंडरस्टैंडिंग पर्सन !
मेरे साथ ही उसने एमबीए कंप्लीट किया था अब हम एक साथ जॉब कर रहे हैं।
घर में उसकी मम्मी पापा और एक बहन है ।
बहुत ही
छोटी फैमिली है । रहने वाले कानपुर के हैं।
अवंतिका एक्साइटेड थी।
ओके—! तब ये तेरी चॉइस है सो अच्छी तरह से सोच समझ ले।
शालिनी जी ने अवंतिका को समझाते हुए कहा।
हां मां —!आई नो! हम दोनों ने पूरी तरह से सोच समझकर यह फैसला लिया है!
अच्छा– लड़का का नाम क्या है?
शालिनी जी बीच में ही बात काटते हुए बोलीं ।
‘हरीश’ अवंतिका थोड़ी शरमाते हुए बोली।
ओके–‘ मैं हरीश से कब बात करूं?
मां आप जब बोलो मैं उससे आपको मिलवा दूंगी।
ठीक है कल मैं स्कूल से आती हूं तू शाम में हरीश को चाय पर ले आ ।
ओके मॉ! अवंतिका शालिनी जी को चूमते हुए चाय बनाने चली गई।
हरीश से मिलने के बाद शालिनी जी के चेहरे पर संतोष साफ झलक रहा था। हरीश काफी सुंदर और समझदार था। आजकल के जमाने के हिसाब से बिल्कुल परफेक्ट।
कुछ दिनों में शालिनी जी हरीश के फैमिली वालों से बात कर तथा एक दूसरे को समझ कर दोनों पक्षों की रजा मंदी से शादी तय कर दी।
शालिनी जी चुकी सिंगल मदर थी तो शादी की सारी जिम्मेदारियां उनके कंधों पर आ गई ।
बाहर से लेकर भीतर तक सारे फैसले वो खुद ही करतीं ।
और साथ में शादी की सारी तैयारियां टेंट से लेकर बाजा वाला खाना वाला से लेकर डेकोरेशन तक इन्होंने अकेले ही संभाल रखा था ।
अब थोड़ी बहुत शादी की शॉपिंग बची तो बेटी अनुराधा के अमेरिका से आने के बाद मां बेटी ने मिलकर सारी शॉपिंग कंप्लीट कर ली ।
देखते देखते तिलक, हल्दी ,मेहंदी साड़ी रस्म पूरी होती चली गई। और आज शादी का दिन भी आ गया ।
आज सुबह से शालिनी जी काफी बिजी थी क्योंकि बारातियों का स्वागत के लिए उन्होंने सारी तैयारी करनी थी लड़के वाले पक्ष से कुछ लेडिज भी बाराती में आने वाली थीं तो उनके स्वागत के लिए शालिनी जी ने सारी व्यवस्था बहुत ही सलीके के साथ किया ताकि उनको कोई शिकायत का मौका ना मिले ।
अनुराधा की शादी अच्छी तरह से निपट गई ।
लड़के वाले स्वागत से काफी खुश और संतुष्ट थे ।
अवंतिका हरीश के साथ कानपुर चली गई।
आस- परोस के लोग शालिनी जी की प्रशंसा करते नहीं थक रहे थे!
देखो एक सिंगल मदर होने के बावजूद भी शालिनी ने हिम्मत नहीं हरा उसने नौकरी के साथ-साथ बच्चों की परवरिश और उसकी पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई। और आज बेटी की शादी भी उसने बहुत ही अच्छी तरीके से किया।
यह सारी बातें सुनकर शालिनी जी खुशी से फूले नहीं समा रही थीं।
इधर कुछ दिन विताकर अनुराधा भी अवंतिका की शादी के बाद, अमेरिका चली गई।
अब सारे मेहमानों तथा बेटियों के चले जाने के बाद शालिनी जी एकदम अकेली सी हो गई ।
शालिनी जी आज घर के कोने में बैठी सालों से दबी आंसू को बहने से रोक न सकी।
जो “गुरूर “उनको अपने आप पर था आज उस अकेले पन ने उन्हें फूट के रोने पर मजबूर कर दिया।
दोस्तों ये फीलिंग सिर्फ औरतों में ही नहीं बल्कि मर्द में भी होती है।
लाख चाहे आप अकेले सिंगल मदर या सिंगल फादर बनाकर बच्चों की परवरिश का बोझ उठाते हुए, सारी जिम्मेदारियां निभाते हैं पर बच्चे जब अपनी-अपनी जिंदगी में सेटल हो जाते हैं तब बस इस अकेलेपन से ही वो मात खा जाते हैं।
तब हमारी सारी अकर और गुरूर धरी की धरी रह जाती है । दुनिया की कठोरता को हम सहज भाव से सह लेते हैं लेकिन अकेलेपन को सहना किसी भी माता-पिता या किसी भी आदमी के लिए सब्र का बांध टूटने जैसा हो जाता है।
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धन्यवाद।
मनीषा सिंह