डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -71)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

वह बादलों से घिरी एक उदास सी शाम थी। जब मैं वहां से निकल कर वापस दिल्ली के लिए स्टेशन पर खड़ा था।

जहां रघु मेरे इंतजार में व्यग्र और बेचैन था।

उसने मुझे बताया ,

” तुम्हारे जाने के बाद नैना आई थी। बहुत खुश लग रही थी।

हमने ढ़ेर सारी बातें भी की हिमांशु और जानते हो? बातों ही बातों में उसने कहा  ,

” रघु काका, हिमांशु सिर्फ मेरा प्यार ही नहीं वरन् माया की अनुपस्थिति में मेरी जिम्मेदारी भी है तथा मैं अपनी जिम्मेदारी निभाने के प्रति पूरी तरह से ईमानदार हूं “

— हिमांशु,

जिसे सुनकर मैं हतप्रभ रह गया।

यह तो मैं बखूबी जानता हूं कि आजकल नैना सुशोभित के साथ नाटकों के रिहर्सल और सफल मंचन में ज्यादा दिलचस्पी ले रही है।

उन दोनों के अभिनय वाले कितने ही स्टेज शो लगातार चर्चा में रहते हैं।

नैना की गिनती अब शहर में रंगमंच की जानी-मानी अभिनेत्री के रूप में होने लगी है।

वे दोनों अक्सर शाम में जगमगाती रंगीन पार्टियों में एक साथ नजर आते हैं।

मशहूर होती नैना शोभित के करीब आती जा रही है।

चाहे यह किसी भी कारणवश वश हो ?  नैना को पैसे कमाने की धुन चढ़ गई है।

वापस लौट कर मैं वक्त का छूटा सिरा थामने की कोशिश कर रहा हूं।

तो लग रहा है।

आयु के इस पड़ाव पर पहुंच कर,

टूटे-फूटे अपरिपक्व वातावरण में पला-बढ़ा एक संवेदनशील इंसान की भांति ही भीतरी खालीपन,, हल्के आक्रोश और बेचैन करने वाली अर्थ हीनता से जूझने लगा हूं।

जबकि नैना और सुशोभित जैसे — ‌‌ शो बिजनेस से जुड़े हुए लोग , 

किसी भी कीमत पर समाज के विपरीत लहर में बहने के लिए पंगा लेने की मजबूरी से उत्पन्न हुए हल्के अवसाद ,  पछतावा और खुद के चारों ओर संदेह … का वातावरण निर्माण कर लेते हैं।

क्योंकि उन्हें चुनौतियां , तनाव और विरोधाभास भरी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।

बहरहाल ,

आज  नैना के नये घर की तरफ मेरे कदम खुद- व- खुद बढ़ चले हैं।

” कैसी हो ?  इस घर में कब शिफ्ट हो गई ? ”  पूछने पर।

नैना कुछ नहीं बोल हिमांशु के करीब आ गई।

वह थोड़ा दुबला लगा। उसके चेहरे के तेज और आकर्षण पर मानों झीना सा आवरण पड़ गया है।

” ठीक हूं । “

हिमांशु उसे थामें हुए ड्राइंग रूम में आ गया। फिर सरसरी निगाह से चारों तरफ देखते हुए ,

” घर तो अच्छी तरह सजाया है “

ट्रे में पानी और चाय के सामान के साथ मुन्नी आई।

” मेरी और घर की केयर टेकर मुन्नी !”

हिमांशु मुस्कुराया, गिलास ले कर दो- चार घूंट पानी पिया और वापस ट्रे में गिलास रखते हुए,

” चाय थोड़ी देर में पीऊंगा “

मुन्नी बिना कुछ कहे ही समझ गई थी हिमांशु नैना के लिए अति विशिष्ट है।

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