मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती -रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

दो पल के गुस्से से प्यार भरा रिश्ता बिखर जाता है.. मैं कितनी बार तुम्हें समझाती हूँ किसी भी रिश्ते को कस कर मत बाँधो….तुम्हें कभी मेरी बात समझ नहीं आई….आज तुम एक छोटी सी बात पर अपने सबसे अच्छे दोस्त को खो दोगी….रिनी कब बड़ी होगी तुम????अभी भी वक्त है बेटा….सुब्बु से बात कर लो….कहाँ ऐसा कोई समझने वाला दोस्त मिलता है….जब देखो तब नाक पर गुस्सा लिए रहती हो।”रिनी की मम्मी अपनी बेटी को समझाती हुई बोलने लगी

रिनी और सुब्बु  दोनों रिनी के दोस्त के बर्थ डे पार्टी में मिले थे…सुब्बु रिनी की फ्रेंड का कजिन था। जितनी देर रिनी वहाँ रही सुब्बु के व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी। 

फिर जब तक सुब्बु अपनी कजिन के घर रहा रिनी से भी उसका मिलना होता रहा दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई।

पन्द्रह दिन बाद सुब्बु वापस अपने घर चला गया। 

रिनी और सुब्बु अकसर बातें करते रहते।

बहुत बार किसी बात पर बहस भी होती तो सुब्बु चुप रहकर बात सँभाल लेता था। 

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वो बहुत बार रिनी से बोलता भी था ,”तुम जब गुस्सा करती हो फिर सामने कौन है ये भी नहीं देखती ….क्या बोल रही हो तुम्हें कुछ भी समझ नहीं आता ….फिर बाद में पछताती हो….मैं तो तुम्हारे स्वभाव को जानता हूँ इसलिए मुझे ज्यादा फ़र्क नहीं पड़ता पर रिनी सबको तुम्हारा स्वभाव पंसद नहीं आयेगा …..ये गुस्सा ना एक दिन तुम्हें अपनों से दूर कर देगा….इसलिए कहता हूँ अपने गुस्से पर कंट्रोल करो यार।”

रिनी के गुस्से का शिकार उसका अपना कोई होगा ये रिनी कभी सोची ही नहीं। आज रिनी सुबह से सुब्बु को फोन कर रही थी। बहुत बार कॉल करने पर भी सुब्बु ने फोन रिसीव नहीं किया तो रिनी परेशान हो गई वैसे भी कल शाम दोनों के बीच किसी बात को लेकर इतनी बहस हो गई कि रिनी ने ग़ुस्से में फ़ोन रखते हुए कह दिया तुम्हें मेरी कोई बात समझ नहीं आती …. तो अब से मुझसे बात ही मत करना और  अब सुब्बु फ़ोन नहीं उठा रहा था ….किसी अनहोनी के डर से उसका मन घबराने लगा। 

उसने अपने मन की बात जब अपनी मम्मी को बताई तो वो बोली,”हो सकता है बेटा वो किसी काम में व्यस्त होगा….तुम बेवजह परेशान मत हो…सुबह से देख रही हूँ तुम परेशान हो….कोई और बात है तो बताओ मुझे?‘‘

“हॉं माँ आज सुबह सुबह बहुत बुरा सपना देखा सुब्बु को लेकर तब से मन बैचेन है उपर से कल बेकार ही बहस हो गया और मैं ग़ुस्से फोन रख दी ….अब एक बार बात हो जाती तो तसल्ली हो जाती पर देखो ना, ना मैसेज देख रहा है ना फोन उठा रहा।”परेशान सी रिनी बोली

तभी रिनी के मोबाइल पर रिंग हुआ देखा तो सुब्बु का कॉल था। 

‘‘कहॉं थे तुम  मैं कब से परेशान हूँ तुम्हारे लिए , तुमको कोई फर्क नहीं पड़ता ना सुब्बु?” रिनी थोड़े गुस्से में बोली

“सॉरी रिनी फोन साइलेंट मोड पर था और मैं अपने पड़ोसी के घर एक फंक्शन में गया हुआ था….उसमें ही बहुत वक्त लग गया….मैं सोच रहा था तुमको एक बार कॉल कर दूँ पर मैं फोन घर पर ही भूल गया था….अभी घर आया तो देखा तुम्हारे इतने मैसेज और मिस्ड कॉल है…क्या बात हुई बताओ तो सही।”सुब्बु ने कहा 

‘‘ तुम न बस दूसरों की ही फिक्र करो,एक बार भी जेहन में मेरा ख्याल नहीं आता…रात को बहुत बुरा सपना देखा था तब से मन बैचेन है और ये जनाब पूरी रात मस्ती करने में लगे रहे।”

‘‘ अरे यार मैंने सोचा ही नहीं था इतनी देर हो जायेगी, तुम्हें बताना भूल गया था फंक्शन का नहीं तो तुम परेशान नहीं होती।‘‘ सुब्बु समझाने लगा

पर रिनी को गुस्सा इस बात पर आ रहा था कि वो सुबह से उसके लिए परेशान हैं और वो जनाब मस्ती करने में व्यस्त थे। 

‘‘सुब्बु देख रही हूँ आजकल तुम ज्यादा ही मस्ती करने लगे हो, तुम्हें तो ये भी ध्यान नहीं रहता कोई है जो तुम्हारे लिए परेशान रहती हैं तुम बस अपने में मस्त रहने लगे हो….।”और भी न जाने क्या क्या रिनी सुब्बु को सुनाने लगी। 

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“अरे रिनी ऐसी कौन सी बड़ी बात हो गई जो तुम इतना गुस्सा हो रही हो? मान तो रहा हूँ मैं बात नहीं कर पाया पर तुम ये क्यों बोल रही हो फिक्र नहीं तुम्हारी? मैं उधर दोस्तों के साथ था फिर भी सोच रहा था रिनी को एक बार बता देना चाहिए था।”

‘‘ ऐसा करो अब तुम मुझसे कभी बात मत करना ….तुम जाओ मस्ती करो।”गुस्से में कहकर रिनी ने फोन काट दिया। 

सुब्बु बार बार फोन कर रहा था पर रिनी फोन नहीं उठा रही थी। 

तभी उसका फोन रिनी की मम्मी ने उठा लिया,‘‘ हैलो सुब्बु कैसे हो बेटा?‘‘

‘‘ जी आँटी ठीक हूं, आप कैसी हैं? और ये रिनी को क्या हो गया फोन नहीं उठा रही है और मुझपे गुस्सा कर रही….कल से मेरी बात नहीं हुई इसलिए परेशान हैं अब जब कर रहा हूँ तो गुस्सा कर रही है….पता नहीं इसके मन में क्या चलता रहता बिना बात गुस्सा हो जाती है।”सुब्बु रिनी की मम्मी से बोला

“बेटा रिनी की जिन्दगी में कोई तुम्हारे जैसा दोस्त नहीं आया जो उसका इतना ख्याल रखता हो। आज वो सुबह से परेशान थी शायद तुमसे बात कर के उसे तसल्ली मिल जाती पर तुम कॉल रिसीव नहीं किए… इसलिए वो ग़ुस्सा हो रही है मैं उसको समझाती हूँ ।” 

‘‘ वो आंटी मैं फोन घर पर छोड़ कर पड़ोस में एक फंक्शन में था, आप उसको बोल दीजिए गुस्सा नहीं करे ….वो चाहती हैं मैं उससे बात नहीं करू तो नहीं करूँगा….आप उसको सँभाल लीजिएगा।” परेशान हो कर सुब्बु ने कहा 

“हाँ बेटा मैं रिनी से बात करती हूँ ।”कह कर रिनी की मम्मी ने फोन काट दिया।

“रिनी अभी भी वक्त है बेटा बेवजह के गुस्से में अपना ही नुकसान कर रही हो….एक बार फिर बोल रही हूँ….सुब्बु से बात कर ले…मैं जानती हूँ….कुछ रिश्ते जिन्दगी में बहुत मायने रखते जैसे तेरा और सुब्बु का रिश्ता….सब दोस्त तुम्हारी कमियों के साथ तुम्हें स्वीकार कर ले ये जरूरी नहीं है …..ऐसा दोस्त तुम्हें फिर नहीं मिलेगा….क्या पता जब तुम बात ही नही करो तो वो तुम्हें फिर फोन ही न करें…. तब क्या क्या तुम खुश रह पाओगी…. ज़िन्दगी में कुछ रिश्ते कुछ दोस्त कुछ ऐसे इंसान होते हैं  जिनके साथ आप बिना किसी झिझक के सब बात शेयर कर लेते उनसे अपनी समस्या कह कर मन हल्का कर लेते इतने सालों में पहली बार मैं महसूस कर पा रही हूँ तुम सुब्बु के साथ जैसे बात करती हो उतना किसी से नहीं करती … कहीं ऐसा ना हो इतना अच्छा दोस्त तुम अपने ग़ुस्से की वजह से खो दो ।”कहकर मम्मी रिनी का फोन उसको देकर चली गईं।

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“हैलो सुब्बु ,सॉरी !!”कह कर रिनी ने अपनी दोस्ती बचा ली क्योंकि कुछ दोस्त अजीज होते हैं जिन्हें खो देने के बाद नुक़सान होता है ।

दोस्तों किसी भी रिश्ते की खास बात यही होती है कि सामने वाले के साथ आपके विचार कितने मेल खाते हैं … वो मेल ना भी खाते हो पर वो आपके विचारों का सम्मान करें और आपके ग़ुस्से को शांत करने की हिम्मत रखे तभी कोई भी रिश्ता फलीभूत होता है ।

कुछ रिश्ते ऐसे होते जो हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होते उनमें ही एक रिश्ता दोस्ती का है। अच्छे दोस्त मुश्किल से मिलते, उनको संभाल कर रखे। बेवजह के गुस्से में प्यार भरा रिश्ता बिखेर  देना समझदारी नहीं है।

आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

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