जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि निम्मी और सचिन की सगाई के कुछ ही दिन शेष है …. राजू भावना मैडम के कहने पर मेंस की लास्ट प्रेपरेरेशन के लिए रोहित सर के पास दिल्ली आया हुआ है… उनके घर पहुँच वो डोर बेल बजाता है …..
दरवाजा खुलता है …. पर यह क्या रोहित सर तो….
अब आगे……
रोहित सर तो एक पैर से अपाहिज थे……
एक मिनट को तो राजू उन्हे देख अचंभित रह जाता है ….
हेलो…..राजू हो ना तुम ???
जी सर….. नमस्ते …. यस मैं राजू हूँ….
राजू उनके पैर छूता है …..
अरे इसकी ज़रूरत नहीं…. अंदर आओ …..
रोहित सर राजू को सोफे पर बैठने को बोलते है …….
हाँ तो राजू जैसा भावना ने बताया बिल्कुल वैस ही हो तुम ….सिंपल, बड़ों का सम्मान करने वाले…… कुछ तो खास है तुममें जो उसने तुम्हे मेरे पास तक पढ़ने को भेजा …..
ये बताओ तैयारी कैसी है मेंस की……
सर बहुत अच्छी…. बस आप और अच्छे से करवा दे…. स्पीड नहीं है अभी उतनी….. भावना मैम ने बताया कि आप मेरी इस कमी को पूरा कर देंगे…… इसी आस से आया हूँ आपके पास…. जो फीस हो बता दीजियेगा …. बस मुझे मेंस क्लीयर करना है …. कुछ भी हो ज़ाये …..
हाँ हाँ….ज़रूर…. तुममे वो जज्बा है …. तुम्हारी आँखों में वो जूनून है ….. और किसी को खोने का दर्द भी झलक रहा है ….. जहां तक मैं पढ़ पा रहा हूँ….
फीस की बात की तो एक लगा दूँगा… भावना ने भेजा है तुम्हे …. य़ही काफी है ….
मैं भी क्या बातें लेकर बैठ गया… चले पहले तुम चाय नाश्ता करो ….. खाना खाओ…. थोड़ा आराम कर लो….
फिर बिना टाइम वेस्ट किये आज ईवनिंग से ही स्टार्ट करते है … ओके.???
ओके सर…….
सर और राजू चाय नाश्ता करते है ….
राजू वो सामने वाले कमरे में आराम करो …. किसी चीज की ज़रूरत हो बताना…… वैसे तो सब चीज वहां ज़रूरत की है ….
ओके सर … नो प्रोब्ल्म …. बस एक तखत ….. एक लोटा पानी… एक टेबल फैन हो कमरे में…. इतना काफी है राजू के लिए…..
हा हा…. गुड …. आई लाइक योर सिम्लीसिटी …….
मिलते है फिर शाम को…. कोई गर्ल फ्रेंड हो तो बात कर लो तब तक …… मैं थोड़ा काम से जा रहा हूँ…..
ओके सर…. आप जाईये …..
सर चले गये….
राजू कमरे में आता है …. इतना आलीशान कमरा , मखमली गद्दा, उस पर सुन्दर सी चादर बिछी हुई….. झूमर टंगा हुआ था …. एसी ठंडी हवा दे रहा था …. ज़रूरत का सारा सामान मौजूद था…… राजू को एक पल को तो ऐसे लगा कि वो फाईव स्टार रूम में आ गया हो…..
इतने एशो आराम में राजू का मन बेचैन था …. उसकी ज़िन्दगी तो जैसे निम्मी पर ही ठहर गयी थी…..
वो बेड पर लेट गया…. सोने की कोशिश की… नींद नहीं आयी तो किताब लेकर पढ़ने बैठ गया……
पर अभी भी निम्मी का चेहरा उसके सामने आ रहा था वो दुल्हन का ज़ोड़ा पहनी हुई थी …. निम्मी को इस रुप में देख राजू सिहर उठा….
किताब बंद की…..
तभी उसका फ़ोन बजा ….
हेलो लला……. कैसा है ?? पहुँच गया दिल्ली….
तेरे बाबा सुबह से बीसो बार कह रहे कि पूछ ले कि लला ठीक से पहुँच तो गया…..
अम्मा बोली…..
पांव छू अम्मा…. मैं ठीक हूँ….
बाबा से कह देना पहुँच गया अच्छे से…… चिंता ना करे ….
सर बहुत अच्छे है …. बहुत अच्छा कमरा है …. काऊँ चीज की कमी नहीं ….
राजू बोला…..
हाँ रे लला…. अभी से आदत डाल ले…. अफसर बनेगा तो ऐसा ही तो ठाठ बाट से रहेगा मेरा लाल…..
हाँ अम्मा….सही बोली…..
तेरे बापू, बाबा तो बस तेरे अफसर बनने के बखत की राह देख रहे …. कब उनका राजू सरकारी गाड़ी में आयेगा…….
अम्मा बोली…..
अम्मा….. एक बात बता……… अच्छा रहने दे…..
बोल…. क्या कह रहा बिटवा ….. अपनी अम्मा से भी बात छुपाने लगा….. निम्मी की पूछ रहा क्या ???
हाँ अम्मा……. अब क्या घर नहीं आती वो तेरे पास…… मेरे बारे में कुछ पूछती है ??
बोल अम्मा…….
उसपे कहां बखत है लला… चार दिना पीछे उसकी का कहते वो सगाई है …. उसी की तैयारी में पूरा घर लगा है ….
तू भी आ जाना लला…. तेरे चाचा बोल के गये सबको आने की…. शहर से ही हो रही सगाई…. बोले राजू ही इतना अच्छा रिश्ता करवा रहा है निम्मी का…. ज़रूर आये…. बोल देना भाभी….. आयेगा ना रे तू ???
ना अम्मा….. मैं ना आऊंगा….. अब गांव ही नहीं आऊंगा जब तक निम्मी का ब्याह नहीं हो जायेगा….. बखत नहीं है …. बहुत पढ़ना है अम्मा……..
राजू भावुक हो गया था ….
जैसी तेरी मर्जी ….. पर ब्याह में एक दिना को आ जाना…. नहीं तो बुरा मान ज़ायेंगे चाचा चाची……
अम्मा रखता हूँ फ़ोन…… फिर बात करूँगा……
ठीक है लला…. ठीक से रहना बचवा…..
राजू ने फ़ोन रख दिया…….
वो फिर लेट गया….. उसका फ़ोन फिर बजा….
अब राकेश का फ़ोन था ….
कैसा है रे राजू …… ???
ठीक से पहुँच गया……
हाँ रे राकेश पहुँच गया…. तू बता कैसा है ??
जब मेरा दोस्त परेशान है तो मैं कैसे ठीक हो सकता हूँ….. और बता तैयारी कैसी चल रही ??
सही चल रही है रे ….. अच्छा निम्मी कैसी है ??
तू निम्मी को भूल क्यूँ नहीं जाता…. वो तो तुझे कबका भूल गयी रे राजू…. अब तो उस कमीने सचिन से भी फ़ोन पर बतियाने लगी है …. उसने ही बड़ा वाला महंगा फ़ोन भेजा है निम्मी के लिए कोरियर से….. चिपकी रहती है उसी से…. तुझे मेरी कसम तू निम्मी को याद नहीं करेगा अब…..
राकेश बोला…..
तू मरने को बोलता तो मर जाता राकेश…. पर निम्मी को राजू इस जन्म में भूल जायें ऐसा नामुमकिन है रे ….. बर्दाश्त नहीं हो रहा यार…. तू तो मेरा सच्चा दोस्त है …. मन करता है जोर से चीखूँ रोऊँ , चिल्लाऊँ …… मन इतना भारी है …. क्या करूँ राकेश…. तू ही बता…….
समझ सकता हूँ राजू….. तुझे कोई निम्मी से भी अच्छी लड़की मिलेगी रे …. क्यूँ फिकर करता है …..
कोई और चाहिए होती तो कबकि राजू की ज़िन्दगी में आ जाती…. जानता है यहां शहर में कोई ऐसा नहीं है ज़िसकी गर्ल फ्रेंड ना हो….. पर मैने तो निम्मी के सिवा किसी के बारे में कभी सोचा ही नहीं रे ….. अच्छा निम्मी पे फ़ोन है तो उसका नंबर दे सकता है ….
ये गलत है रे राजू… अब निम्मी किसी और की होने जा रही….. तेरा उससे बात करना बिलकुल गलत है …..
राकेश बोला…..
तू अभी तक राजू को नहीं जान पाया… बस निम्मी की आवाज सुन लिया करूँगा कभी कभी ….. रोंग नंबर समझ कर काट देगी पर आवाज तो सुनने को मिल जायेगी राजू को निम्मी की….
राजू बेबस सा महसूस कर रहा था …..
तू तो सच में देवदास हो गया रे राजू………
देवदास …. सच कह रहा है तू ….
कौन हो गया देवदास …. ज़रा हमें भी तो बताओ……
सामने राजू के कमरे में आते रोहित सर बोले…..
राजू ने फ़ोन काट दिया….
आगे की कहानी कल…… सभी लोग अंत तक बने रहियेगा… बस 50 भाग तक है ये कहानी …. अंत आप सबकी सोच से परे होगा… इसके लिए कहानी में बने रहे….. लाइक करे और हो सके तो प्रतिक्रिया भी दे….
जय श्री राधे
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एक प्यार ऐसा भी …(भाग -42) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा
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