अब तो शर्मसार करना बंद करो- मनीषा सिंह। : Moral stories in hindi

“नहीं मम्मी, आप रहने दो—–! मुझे अभी शादी नहीं करनी है! “पापा प्लीज समझाइए ना मम्मी को, संजना अपने पापा कैलाश जी से बोली।

” पर बेटा यह रिश्ता अच्छा है” तभी तो तेरी मां इतनी जिद कर रही है कैलाश जी अपनी पत्नी पुष्पा जी के बात का समर्थन करते हुए कहा।

” हां अब आप भी मम्मी का ही सपोर्ट कीजिए।

 मुझे नहीं करनी शादी वादी आपको भी पता है कि मैं अभी अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती हूं मुझे नौकरी करनी है अपने पैर पर खड़ा होना है ना कि किसी पर आश्रित रहना है। अभी मेरी उम्र ही क्या है ,? 

अभी से आप मेरी शादी की बात कर रहे हैं संजना चीढते हुए बोली।

“नहीं बेटा—-! यह रिश्ता अच्छा है लड़के का पिता बहुत बड़ा बिजनेसमैन है और लड़का भी इंजीनियर है अभी-अभी अमेरिका से पढ़ाई पूरी करके इंडिया लौटा है! तेरे चाचा जी के दोस्त का बेटा है कल जब बिजनेस के सिलसिले में तेरे चाचा जी से मिलने उनके दोस्त आए तो उन्होंने तुझे देखा जब तु उनको चाय देने गई ।  देखते ही उन्होंने अपने बेटे के लिए तुझे पसंद कर लिया।

तेरे चाचा जी  तो खुशी से ‘फूले नहीं समा’ रहे । दहेज की भी उन्होंने कुछ  मांग नहीं की है।

  पुष्पा जी गर्व से बोली । 

 संजना को अपनी मम्मी के जिद के आगे झुकना ही पड़ा  चाहते हुए भी वह कुछ बोल नहीं पाई। अब आप मुझे कुएं में धकेलना ही चाहती है तो जैसी—- आपकी मर्जी।

 संजना स्कूटी उठाई और कॉलेज  निकल पड़ी।

आज शाम जब वह घर लौटी तो मन में एक बेचैनी सी थी।

 उसकी बेचैनी उसके पापा भाप गये।

कैलाश जी बेटी को समझाने उसके कमरे में गए।

” बेटा इतने बड़े घर का रिश्ता है हमारे पास खुद चल कर आया है और वह भी दहेज के बिना तुझे अपना रहे हैं । कितने नेक इंसान होंगे वे लोग जिनका दहेज से कोई वास्ता नहीं—-

नहीं पापा—–। अभी इतनी जल्दी शादी ठीक नहीं संजना कहते हुए कैलाश जी से लिपट गई।

बेटा कोई भी मां-बाप अपने बच्चों का बुरा नहीं चाहता । इसलिए तू इस शादी से इंकार मत कर बेटा कैलाश जी संजना को समझाते हुए बोले।

पापा आप लोगों की यही मर्जी है तो  शादी के लिए मैं तैयार हूं, लेकिन उसके पहले मुझे मेरा ग्रेजुएशन तो कर लेने दीजिए। 

“ठीक है बेटा जब ग्रेजुएशन कंप्लीट हो जाएगी तब हम तेरी शादी करेंगे इसके लिए चाहे मुझे १ साल ही इंतजार क्यों न करना पड़े।

अब थोड़ी तसल्ली होकर संजना अपने काम में लग गई।

 संजना की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी इसलिए एक अच्छा मुहूर्त देखकर उसकी शादी कर दी गई ।

“शादी के बाद संजना बैंगलोर आ गई ।

शादी के कुछ महीने बीत चुके थे कैलाश जी और पुष्पा जी हर दिन बेटी से बात कर लिया करती।

 वे बड़े खुश  थे कि इतने बड़े घर में हमारी बेटी  राज कर रही है।

इधर कई दिनों से संजना का फोन नहीं आ रहा था कैलाश जी काफी चिंतित होते हुए पुष्पा जी से पूछा कि संजना का फोन आया ?

पुष्पा जी ने बताया कि अभी कुछ दिन पहले मैं संजना को फोन  मिलाया तो  उसकी सास ने फोन उठाया, तब मेरी उनसे बात हुई।  उन्होंने बताया कि संजना और सौरभ अमेरिका जाने वाले हैं फिर कुछ देर बाद मेरी संजना से भी बात हुई थी।  उसने भी मुझे बोला कि अभी मैं कुछ दिन आपसे बात नहीं कर पाऊंगी क्योंकि हम शादी के बाद पहली बार बाहर जा रहे हैं तो शायद हमें मौका नहीं मिल पाये मैं आपको हर दिन अब मैसेज कर दिया करूंगी।  पुष्पा जी ने पूरी तसल्ली के साथ कैलाश जी को बताया।

” मैं तो खामखा डर जाता हूं आखिर इकलौती बेटी जो है हमारी।

 धीरे-धीरे समय बीतता गया

 एक महीना गुजर गया ना संजना का फोन आया और नहीं कोई मैसेज।

 एक दिन कैलाश जी के दिमाग में आशंकाओं के कीड़े ने घेर लिया। 

पता नहीं संजना की  हालत में होगी ।

“ऐसा हो ही नहीं सकता कि वह फोन ना करें मुझे तो कुछ ठीक नहीं लग रहा क्यों ना हम बेंगलुरु चलकर उससे मिल आते हैं।

कैलाश जी चिंतित होते बोले।

 पुष्पा जी भी इधर कुछ दिनों से अच्छा महसूस नहीं कर रही थी ,  

 बैंगलोर जाने के लिए तैयार हो गई। 

फटाफट फ्लाइट की टिकट बुक की और बेंगलुरु पहुंच गए ।

जब वो वहां पहुंचे तो वहां हालात देख दंग रह गए।

 संजना वहां कुछ आदमी जो गेस्ट रूम में बैठे थे ,को शराब सर्व कर रही थी और वे लोग संजना के साथ गंदा मजाक कर रहे थे। वहां बगल में  सौरभ बैठा अपनी पत्नी के साथ हुए बदसलूकी पे ठहाके लगाकर हंस रहा था ।संजना लाचार , बेबस , आंखों में आंसू लिए सारी जिल्लातों को चुपचाप सह रही थी।

” तभी संजना  ने “बेटी” सुन  पीछे पलटी तो देखा  उसके माता-पिता जो आंखों में पश्चाताप के आंसू लिए खड़े थे।

 सौरभ उनको देखते ही बोल पड़ा आइये ससुरजी एक-एक ड्रिंक हो जाए!”

 संजना इन्हें भी सर्व करो।

” अब तो शर्मसार करना बंद कीजिए दामाद जी” आपको यह सब करते शर्म नहीं आई माता-पिता को देख संजना दौड़ के उनके गले लग गई।

” मुझे यहां से ले चलिए—- पापा मां —–। “मैं अब यहां एक पल भी नहीं रह सकती अगर अब यहां रुकूंगी तो मर जाऊंगी मैं।

कहते हुए संजना फुट फुट के रो पड़ी।

 हां हां बेटा हम अभी तुझे यहां से ले जाएंगे ।

 इतनी शोर सुनकर सौरभ की मां बाहर निकली फिर सब कुछ देखते बोली समधन जी—-।  यह तो हम र‌इसों का कलचर है बुरा मत मानो।

तब पुष्पा जी ने सौरभ की मां को खूब सुनाया और बोला कि आप र‌इसो  का कलचर है तो इस कचलर में हमें अपनी बेटी को नहीं रखना जहां इसे और हमें शर्मसार होना पड़े।

 एक बार फिर से सोच लीजिए, क्योंकि एक बार घर की दहलीज  पार किया तो इसके लिए इस घर के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे ।

सौरभ की मां ने धमकाते हुए कहा।

” ठीक है हमने भी सोच लिया है कि हमें नहीं रखना अपने फूल सी बेटी को इस नर्क में ।

“अब हमारी मुलाकात कोर्ट में होगी ।

आज के बाद हमारा आपके साथ कोई रिश्ता नाता नहीं। कहते पुष्पा और कैलाश जी ने बेटी के साथ वहां से निकल पड़े ।हां हां—- ले जाइए हमें नहीं रखना आपकी नैरो माइंडेड बेटी को ।

सौरभ चिल्लाते हुए बोला।

 “संजना अब अपने घर आ गई थी। लेकिन अब भी वह, कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थी। उसका चेहरा पूरा सूजा पड़ा था। कमजोर सी चुपचाप अपने कमरे में पड़ी बस शून्य को निहारती  रहती।

 “कैलाश जी अपनी पत्नी पुष्पा से बोले यह सारी गलती हम लोगों की  है बिना सोचे समझे, बिना जाने एक अमीर खानदान देखकर शादी करवा दी ।लड़के की क्या मानसिकता है यह जानना चाहिए था हमें।

” हमें कहानी बता दी गई थी दोनों घूमने अमेरिका गए हैं। संजना का फोन उन लोगों ने ले लिया था ताकि हमको कुछ भी पता ना चले सके। पुष्पा जी ने बोला।

  समय लगेगा संजना को संभलने में और इस दुख से उबरने में।

” हमें अब अपनी बेटी के साथ पूरे समय रहना होगा जब तक की उसकी मानसिक स्थिति ठीक ना हो जाए।

 कहते हुए कैलाश जी  संजना के कमरे में चले गए। और पुष्पा जी रसोई में संजना के मनपसंद का खाना बनाने ।

दोस्तों हमें शादी जैसे रिश्ते इस आधार पर  तय नहीं करनी चाहिए कि वह बड़े अमीर खानदान का है या बहुत र‌इस है।  शादी अपने जान पहचान में  और सोच समझ के करनी चाहिए।

धन्यवाद।

मनीषा सिंह।

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