ससुराल मे हो सास का साथ तो बन जाये बात – संगीता अग्रवाल   : Moral stories in hindi

” बहू क्या बात है इतना परेशान क्यो हो ?” स्वाति जल्दी जल्दी रसोई के काम निपटा रही थी तभी उसकी सास ममता जी ने पूछा।

” माँ चेरी को रात से तेज बुखार है !” स्वाति बोली।

” ओह्ह ! दवाई दी ?” ममता जी ने पूछा।

” माँ दवाई खत्म हो गई मैने ध्यान नही दिया !” स्वाति निगाह झुका कर बोली।

” बेटा मैने कितनी बार कहा बच्चे की कुछ जरूरी दवाइयाँ घर मे रहनी चाहिए …खैर अभी तो स्टोर खुले नही होंगे खुलते ही दवाई ले आना तुम !” ममता जी बोली।

” मम्मी बुखार तेज है …रोहन भी घर मे नही और आज मेरी एक जरूरी मीटिंग भी है कैसे मैनेज़ होगा सब !” स्वाति लगभग रोते हुए बोली।

” ओह्ह … बेटा देखो पहले तुम शांत रहो ऐसे पेनिक होने से किसी समस्या का हल नही मिला करता है कुछ सोचते है हम …अच्छा ये बताओ मीटिंग कितने बजे है तुम्हारी ?” ममता जी ने बहू को समझाते हुए पूछा।

” मीटिंग 10:30 बजे से ही है माँ और उसमे मेरी प्रेजंटेशन है इसलिए मेरी उपस्थिति जरूरी है पर चेरी को यूँ बुखार मे छोड़ मैं कैसे जा सकती हूँ !” स्वाति रोते हुए बोली।

” बस इतनी सी बात पर तुम इतने मोटे मोटे आंसू बहाओगी तो जिंदगी की मुश्किलें कैसे पार करोगी …चलो पहले तुम चेरी के पास जाओ उसका बुखार चेक करो जरूरी हो तो ठंडे पानी की  पट्टी रखो माथे पर इतने मैं चाय बनाकर लाती हूँ फिर दोनो बैठ कर सोचते है क्या करना है !” ममता जी प्यार से बोली । सास के समझाने पर स्वाति बेटी के पास आ गई।

स्वाति और रोहन पति पत्नी जिनकी एक साल की बेटी है चेरी। रोहन की माँ ममता जी अपने नाम के अनुरूप ममतामयी है जो बेटे पोती पर ही नही बहू पर भी ममता लुटाती है । रोहन के पिता की मृत्यु रोहन की शादी से एक साल पहले ही हो गई थी पर ममता जी ने सब बहुत अच्छे से संभाला और बेटे की शादी उसकी पसंद की स्वाति से धूमधाम से की। ममता जी परिस्थितियों से हार मानने वाली महिला नही है ममतामयी होने के साथ साथ वो एक मजबूत महिला है जबकि स्वाति बहुत जल्दी घबरा जाती है । हालांकि वो अपनी जॉब बहुत अच्छे से करती है पर घर ग्रहस्थी के मामले मे थोड़ी नासमझ है ये ममता जी अच्छे से समझती है इसलिए उसकी हर संभव मदद करती है। बहू के ऑफिस जाने के बाद पोती को वही संभालती है घर के काम के लिए 10-5  की एक सहायिका है । रोहन एक हफ्ते के लिए मुंबई गया है ऑफिस से काम से ऐसे मे चेरी को बुखार होने से स्वाति घबरा गई थी।

” कितना बुखार है इसे अब !” कमरे मे आकर ममता जी ने देखा स्वाति चेरी के माथे पर ठंडे पानी की पट्टी रखे हुए है और उसका बुखार नाप कर हटी है।

” माँ अभी भी 102 है !” स्वाति रुआंसी हो बोली।

” घबराओं नही लो ये चेरी को दूध की बोतल लगा दो और तुम आराम से चाय पिओ फिर नहा कर तैयार हो जाओ !” ममता जी बहू को प्यार से सहलाती हुई बोली।

” जी माँ बस अभी तैयार होती हूँ इतने क्लिनिक भी खुल जायेगा !” स्वाति चाय पकड़ते हुए बोली।

” तुम क्लिनिक के लिए नही ऑफिस के लिए तैयार हो जाओ बस मुझे और चेरी को क्लिनिक ड्राप कर देना वापसी मे मैं कैब से आ जाउंगी !” ममता जी बोली।

” नही माँ आप कहाँ परेशान होंगी और वैसे भी अपनी बच्ची को ऐसे छोड़ मैं कैसे प्रेजेंटेशन दे पाउंगी मैं कॉल करके मना कर दूंगी उन्हे !” स्वाति अचानक बोली।

” बेटा तुम माँ होने के साथ साथ एक कम्पनी की जिम्मेदार पोस्ट पर भी हो और जब दोहरी जिम्मेदारी निभानी होती है ना तो प्राथमिकता उस काम को देनी चाहिए जो तुम्हारे बिना ना होता हो यहाँ चेरी को दवाई मैं दिला कर ला सकती हूँ पर तुम्हारी प्रेजेंटेशन तुम्हे देनी है जिसके लिए तुमने इतनी मेहनत भी की है तुम बिल्कुल चिंता मत करो यहाँ मैं हूँ !” ममता जी ने समझाया।

” पर माँ ..?” स्वाति कुछ बोलने को हुई।

” पर वर कुछ नही ये मेरा आदेश है और सास होने के नाते तुम्हे इसे मानना ही होगा समझी । बेटा हमने अपने बच्चो की परवरिश मे बहुत पापड़ बेले है क्योकि सास का सहयोग नही था और जब रोहन की शादी होने वाली थी तभी मैने सोच लिया था कि जो मेरे साथ हुआ वो मैं अपनी बहू यानि तुम्हारे साथ नही होने दूंगी !” ममता जी पहले बहू को झूठे से डांटते और फिर प्यार से बोली।

” ठीक है माँ मैं आपको क्लिनिक छोड़ प्रेजेंटेशन देकर वापिस क्लिनिक से पिक करने आ जाउंगी तब तक आप वही रहना कैब मे कहाँ परेशान होंगी मुझे बस एक घंटा लगेगा !” स्वाति सास से बोली।

” चलो ये भी ठीक है मेरी डांट का असर तो हुआ तुम्हे !” ममता जी मुस्कुरा दी।

” डांट का तो पता नही पर हां प्यार का असर जरूर हुआ है जब सास इतनी अच्छी और प्यार करने वाली हो तो बहू को चिंता करने की जरूरत ही क्या है वैसे भी आप तो चेरी के पापा की माँ है तो चेरी की डबल माँ हुई उसका ख्याल मुझसे बेहतर रख पाएंगी !” स्वाति नम आँखों से बोली।

थोड़ी देर बाद स्वाति ने ममता जी को चेरी के साथ क्लिनिक पर छोड़ दिया और खुद बेटी को प्यार कर निकल गई अपनी दूसरी जिम्मेदारी निभाने हालांकि उसका मन नही था पर ऐसे समय मे एक फैसला तो लेना पड़ता और उसके फैसले को ममता जी ने आसान बना दिया था। ऑफिस आ उसने सबसे पहले ममता जी को फोन करके वहाँ का हाल पूछा डॉक्टर आई नही थी और चेरी सो रही थी स्वाति सास का आशीर्वाद ले प्रेजेंटेशन को चली गई।

” माँ मैं बस पहुँचने वाली हूँ !” एक घंटे बाद स्वाति ने ऑफिस से निकल सास को फोन किया।

” कैसी रही तुम्हारी प्रेजेंटेशन ?” ममता जी ने बहू को देखते ही पूछा। 

” अच्छी थी माँ चेरी कैसी है क्या बताया डॉक्टर ने मैं एक बार डॉक्टर से मिल लूँ !”स्वाति जल्दबाजी मे डॉक्टर के केबिन की तरफ जाने लगी।

” रुको बेटा डॉक्टर ओर मरीजों के साथ व्यस्त है चेरी अब ठीक है डॉक्टर ने इंजेक्शन दिया है इसलिए सो रही है तुम क्यो घबरा रही हो इतना चलो अब घर!” ममता जी बहू का हाथ पकड़ कर बोली।

” माँ क्या बताया डॉक्टर ने क्या हुआ चेरी को जो इतना तेज बुखार आया ?” गाड़ी मे बैठते ही स्वाति अधीरता से बोली।

” मौसम का असर था बस और कुछ नही तुम बताओ तुम्हारी प्रेजेंटेशन पसंद आई सबको ?” ममता जी बोली।

” बहुत माँ मेरे काम की बहुत तारीफ हुई बल्कि मेरे बॉस तो बोले आप कैसे छोटे बच्चे के साथ इतना सब मैनेज़ कर लेती है वो भी इतना परफेक्टली तब मैने उन्हे कहा सर जिनकी सास माँ से ज्यादा ममता भरी और प्यारी हो ऐसी बहू के लिए कुछ मुश्किल नही ।” स्वाति बोली।

” अच्छा जी सास तो प्यारी है पर बहू को उसका नाम लेते शर्म नही आती !” ममता जी गुस्से मे बोली।

” मतलब …ओह्ह सॉरी माँ मैं नाम नही ले रही थी वो तो बस !” अपने कहे शब्दों पर स्वाति ने गौर किया तो हकलाने लगी।

” हाहाहा मैं तो मजाक कर रही थी बेटा तुम भी ना जरा चेहरा देखो अपना कौन कहेगा अभी इतनी बड़ी प्रेजेंटेशन देकर आ रही हो तुम  !” ममता जी हँसते हुए बोली तो स्वाति भी हंस दी तभी चेरी भी जाग गई और मुस्कुराते हुए कभी दादी को कभी माँ को देखने लगी।

दोस्तों ये सच है अगर ससुराल मे सास का साथ हो तो किसी भी बहू के लिए छोटे बच्चे के साथ भी घर ओर ऑफिस संभालना मुश्किल ना हो क्योकि सबके साथ से ही तो परिवार बनता है और सबके साथ से ही एक परिवार खिलखिलाता है।

आपकी क्या राय है मेरी कहानी को ले?

आपकी जवाब के इंतज़ार मे 

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल

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