रिश्तो का मोल-प्रियंका पटेल

मालती और उसकी बहू रज्जू पूरे घर को साफ सुथरे करने में लगे हुए थे।  क्योंकि आज 2 सालों बाद उनका बेटा इंजीनियर बन कर वापस गांव में आ रहा था.  रजत उस गांव का पहला लड़का था जो इंजीनियर बन पाया था वह बेंगलुरु में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में  सॉफ्टवेयर इंजीनियर था. आईआईटी खड़गपुर से उसने इंजीनियरिंग पास की और वही पर उसका सिलेक्शन एक एमएनसी कंपनी में हो गया था।

मालती और रज्जू ही नहीं बल्कि उस पूरे गांव के सारे लोग खुश थे कि आज उनके गांव का कोई बेटा इंजीनियर बन बैठा है।  रजत के पापा गांव के कुछ लोगों को लेकर हाथ में माला के साथ बस स्टैंड पर रजत का इंतजार कर रहे थे। उस गांव में आखिरी बस शाम के 4:00 बजे आती है लेकिन चार कब का बज चुका था रजत अब तक भी नहीं आया था तब लोग निराश होकर वापस चल दिए थे तभी उन्हें एक दूर से कार आती हुई दिखाई दी।  और उसमें से रजत बाहर निकालकर आवाज देने लगा। गांव वालों ने रजत को कार में देखकर सब बहुत खुश हुए।

रजत ने कार से उतरकर अपने बाबूजी और गांव के सभी बड़ों को पैर छूकर प्रणाम किया और पैदल ही उनके साथ गांव चलने लगा।



इधर फोन करके रजत के बाबूजी ने रजत की मां को बता दिया था कि हमारा बेटा आ गया है बस थोड़े ही देर में घर वापस आने वाले हैं।  रजत की मां ने अपनी बहू रज्जू से कहा बहुत जल्दी से आरती की थाल सजा लो हमारा बेटा आने ही वाला है। रज्जू भी बेताब हो रही थी रजत को देखने के लिए क्योंकि आज रजत इंजीनियर बना है तो उसमें रज्जू का बहुत बड़ा योगदान था उसके त्याग और भेजे हुए पैसे के बल पर ही आज इंजीनियर बन पाया था।

रज्जू मन में ही सपने देखे जा रही थी कि अब इंजीनियर बनने के बाद रजत कैसा दिख रहा होगा।  रज्जू सोच रही थी कि रजत उसके लिए कोई बड़ा सा गिफ्ट भी जरूर ला रहा होगा वह मन ही मन शरमा रही थी।

तभी दरवाजे के बाहर लोगों की आवाज सुनाई दी रज्जू और उसकी सास मालती बाहर निकले देखें कि रजत आ गया है।  रजत की माँ ने आरती की थाली लेकर रजत का स्वागत किया।

रज्जू दरवाजे के पीछे से रजत को निहार रही थी।  रजत घर में आकर कुर्सी पर बैठा और अपनी मां का हाल समाचार पूछने लगा।  लेकिन उसने एक बार भी रज्जू के बारे में नहीं पूछा कि रज्जू कहां है। रज्जू सोच रही थी कि कुछ देर में वह उसके कमरे में आएगा बस ऐसे करते ही रात हो गया लेकिन रजत रज्जू के बारे में न पूछा. ना ही उसके कमरे में गया।  

रात के खाना खाने के बाद रजत ने अपनी मां से पूछा मां मुझे बहुत नींद आ रही है।  सोने का प्रबंध कहां है। रजत की मां बोली बेटा अपने कमरे में जा के सो जा। रजत जब कमरे में गया तो कमरा बहुत ही संकरा और छोटा था।  कमरे में ही रज्जू के कपड़े बिखरे पड़े थे। वह मन ही मन सोच रहा था कि उसे तो यहां पर नींद ही नहीं आएगी क्योंकि उसे अब शहर में रहते हुए गद्दे वाले बिस्तर पर सोने की आदत जो हो गई थी।  सच कहा जाए तो रजत अब बिल्कुल पहले से बदल चुका था।



फिर भी सोच रहा था अब क्या करा जाए अब कैसे भी करके सोना तो पड़ेगा ही।  वह जैसे ही सोने का सोच रहा था तब तक रज्जू कमरे में प्रवेश किया और रजत के पैर को छूने लगी।   रजत ने रज्जू को हाथ पकड़कर उठाने लगा और बोलने लगा अरे यह क्या करने लगी तुम यह सब पुराने जमाने की बात है।  कहां थी तुम शाम से एक बार भी दिखाई नहीं दिया।

रज्जू के सारे सपने बिखर गए थे उसने कितने सपने देख लिए थे कि रजत आते ही उसे बहुत प्यार करेगा लेकिन यहां तो रजत ऐसा व्यवहार कर रहा था जैसे रज्जू को जानता ही नहीं हो एक  मिलने का शिष्टाचार रह गया था बस।

रज्जू को लगा कि रजत रास्ते में आने से थक गया होंगे। इस वजह से ऐसा व्यवहार कर रहे है शायद कल से उसे सही से बात करने लगेंगे।  रजत ने रज्जु को अपने पास बैठने को कहा। रजत ने रज्जु का हाथ अपने हाथ में लेकर बोला कि देखो रज्जू आज मैं तुमसे जो बात बताने जा रहा हूं उसे गौर से सुनना क्योंकि यह बात हमारी तुम्हारी जिंदगी के लिए बहुत ही जरूरी है।

देखो रज्जु हमारी और तुम्हारी शादी तब हो गई थी जब हम दोनों को शादी का मतलब भी नहीं पता था कि शादी क्या होता है और जब  हमें शादी का मतलब पता चला तब तक मैं कॉलेज में ही किसी और लड़की से प्यार करने लगा था और अब मैं उसी से शादी करना चाहता हूं क्योंकि मुझे जिस सोसाइटी में रहना है मुझे एक पढ़ी-लिखी लड़की की जरूरत है फिर हमारा तुम्हारा कोई मेल नहीं है तुम पढ़ी लिखी नहीं हो।

मैं तो यह चाहूंगा कि तुम भी किसी और से शादी कर लो।  लेकिन रजत को कौन बताए कि शादी एक गुड्डे-गुड़ियों का खेल नहीं है कि जब मर्जी जिसे कर लिया जाए।  रजत तो लड़का था जब किसी से भी शादी कर सकता था लेकिन इस बेचारी रज्जू से कौन शादी करेगा यह कोई उससे पूछे।  रज्जू सिर्फ रजत की बात को सुने जा रही थी उसके सारे सपने अब चकनाचूर हो चुके थे अब समझ आ गया था कि रजत और उसका नहीं रहा।



रज्जू को कहा मैं तुम्हें बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं कि मेरे नहीं होने पर तुमने मेरे माँ-बाबू जी को बहुत सेवा की है।  लेकिन रज्जू तुम ही सोचो आखिर मेरा भी तो जीवन है हमारी शादी बचपन में हो गई थी लेकिन मैंने तुम्हें कभी भी पत्नी की नजर से नहीं देखा और ना ही कभी हमारे बीच कोई संबंध बना है। रज्जू ने कुछ भी नहीं कहा एक बेडशीट लेकर नीचे बिछा कर जमीन पर ही सो गई।

 

रज्जू को समझ नहीं आ रहा था कि वह अब करें तो क्या करें क्या यह सारी बात अपने सासू मां मालती जी को बता दे फिर सोचने लगी   रजत के आने से घर में सब कितने खुश हैं। अगर मैं यह बात बताती हूं तो सारी खुशियां एक मिनट में खत्म हो जाएगी वैसे भी रजत यहां कौन सा रहने वाला है उसने यह बात सोच कर अपने मन में ही दबा दी।

दो-तीन दिनों के बाद ही रजत वापस शहर लौट गया था यह बोल कर कि मां बाबूजी आप अपना ख्याल रखते रहना मैं आप लोगों को मंथली पैसा भेज दिया करूंगा।

रज्जू अब पहले से बिल्कुल ही उदास रहने लगी थी क्योंकि उसके मन में पहले यह तो था कि चलो देर से सही कभी ना कभी रजत उसे वापस शहर ले जाएगा उसे अपने साथ रखेगा। लेकिन अब तो यह सिर्फ  ख्वाब में ही मुमकिन थे। मालती ने भी एक दिन रज्जू से पूछा की बहू तुम इतना उदास क्यों रहती हो कोई बात नहीं अभी नई नई रजत की जॉब लगी है तो छुट्टी कम था इसलिए वापस चला गया जब सेटल हो जाएगा तो हम रजत  से बोलेंगे कि बहू को भी अपने साथ रखो। लेकिन रज्जू अपनी सास से क्या बताएं कि रजत ने तो उसे रिश्ता ही तोड़ कर चला गया है।



 

उधर रजत शहर जाकर अपनी गर्लफ्रेंड प्रिया से कोर्ट मैरिज कर लिया था।  प्रिया को उसने कभी नहीं बताया था कि वह पहले से ही शादीशुदा है। धीरे-धीरे समय बीतने लगा इधर रजत प्रिया के साथ अपनी जिंदगी खुशी से बिता रहा था।

उधर रज्जू रजत के मां-बाप के  सेवा में ही अपनी जिंदगी बिताने को सोच लिया था क्योंकि वह जानती थी कि अब उसे कौन शादी करेगा गांव में शादीशुदा लड़कियों से कोई भी शादी करने से कतराते है और फिर वह रजत को ही अपना पति मानती है उसके अनुसार एक बार जब रिश्ता हो जाता है तो दुबारा से शादी नहीं होती अब जो भी है रजत के नाम से ही अपने मांग में सिंदूर भर थी और उसी के नाम से अपने जीवन जीने को सोच लिया था।  रजत की बात एक अच्छी थी कि वह हर महीने पैसे जरूर भेज दिया करता था इस वजह से अब घर में यहां पर किसी को पैसे की तंगी नहीं थी।

एक दिन अचानक गांव में नक्सलियों का हमला हो गया था और पूरे गांव में उन्होंने आग लगा दिया था इस घटना से  से रजत का भी घर पूरी तरह से जल गया था अब तो रहने का भी कोई ठिकाना नहीं था जाएं तो जाएं कहां। रजत के मां बाबूजी को भी यह बात पता नहीं था कि रजत ने शहर में दूसरी शादी कर ली है।  आखिर में उन्होने सोचा की शहर चलकर रजत के पास ही रह जाए क्योंकि गांव में तो अब घर है नहीं रहने के लिए और ना ही अभी इतने पैसे हैं कि दोबारा से घर बनाया जाए।

रजत के बाबूजी ने रजत को फोन करके बता दिया था कि बेटा गांव में हमारा घर पूरी तरह से जल गया है हम लोग शहर में तुम्हारे पास ही रहने के लिए आ रहे हैं।  अब रजत को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वह करें तो क्या करें क्योंकि अगर मां बाबूजी आ जाते तो फिर भी बात संभल जाती लेकिन साथ में रज्जू भी आ रही थी अब वह अपनी नई पत्नी प्रिया को क्या बताएगा कि उसकी पहले से ही शादी हो चुकी है उसको समझ नहीं आ रहा था कि वह करें तो क्या करें।



अगले दिन रजत के मां-बाप और रज्जू रजत के घर पहुंच चुके थे।   यह बात रजत की नई पत्नी प्रिया को भी पता था कि उसके मां पिताजी यहां पर रहने आ रहे हैं।   प्रिया एक अच्छी लड़की थी वह तो कब से चाहती थी कि उसके सास-ससुर इतनी मेहनत करके रजत को आज इंजीनियर बनाया है वह उनके साथ ही रहे लेकिन रजत ही उनको लाना नहीं चाहता था क्योंकि उसे पता था कि अगर अपने मां बाबूजी को साथ यहां पर लेकर आएगा तो रज्जू भी साथ आ जाएगी।

घर आते ही प्रिया ने सबके पैर छूकर प्रणाम किया।  रजत के मां बाबूजी भी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर यह लड़की कौन है जो इनका पैर छू रही है लेकिन रज्जू तो समझ गई थी कि यही रजत की नई वाली पत्नी है।  प्रिया ने रजत से पूछा कि तुमने यह तो कभी बताया ही नहीं कि तुम्हारी एक बहन भी है। रजत के मां-बाप बोले अरे नहीं बेटी यह बहन नहीं यह तो रजत की पत्नी रज्जू है।  प्रिया बोली रजत की पत्नी ? रजत की पत्नी तो मैं हूं। रजत के मां बाप को भी अब बात समझ में आ गया था कि रजत ने यहां शहर ने दूसरी शादी कर ली है।

रजत बोला कि देखो प्रिया मैं तुम्हें या बात बताना चाहता था लेकिन उचित समय नहीं मिल पा रहा था कि मैं तुम्हें बताऊं।  असल में बात यह है कि मेरी शादी बचपन में ही हो गई थी और मैं रज्जु से कभी भी प्यार नहीं करता हूं मैंने रज्जु को भी यह बात साफ साफ बता दिया था।

 

यह बात सुनते ही रजत की मां बहुत गुस्से में हो गई।  रजत से बोली कि तू जिसे आज अपनी पत्नी मानने से इनकार कर रहा है आज अगर तुम इंजीनियर बने हो  तो आज मेरी बहू रज्जू की वजह से बने हो। हमारी औकात नहीं थी कि तुम्हें इंजीनियर बना सके। तुमने पढ़ने के समय कभी हमसे यह पूछा कि हम  तुम्हें हर महीने ₹5000 कहां से भेजते हैं। रज्जू गांव के ही प्राइवेट स्कूल में दाई की नौकरी करती थी ताकि तुम्हारी पढ़ाई बीच में ना रुके और समय पर तुम्हारी पैसा पहुंचा जा सके और आज यही लड़की तुम को तुम्हारे स्टेटस से मैच नहीं खा रही हैं।  अच्छा किया बेटा हमारे उपकारों का अच्छा सजा दिया तुमने। रजत ने अपनी मां से बोला कि मां मेरी कोई गलती नहीं है मैं जब गांव गया था तभी रज्जू को बता दिया था कि तुम चाहे तो जिस मर्जी से शादी कर सकती हो मेरी तरफ से कोई एतराज नहीं है।



रजत की मां बोली बेटा तुम्हारी लिए शादी खेल और मजाक होगा लेकिन हमारे गांव में शादी मजाक नहीं होता है बल्कि सात जन्मों का रिश्ता होता है उसे हर हाल में एक स्त्री निभाती है जैसे हमारी बहू रज्जु निभा  रही है। इसने हमें आज तक भनक भी नहीं लगने दिया कि तुमने इसे क्या बोला था और हमारी दिन-रात सेवा करती रहें अगर गांव में हमारा घर नहीं जला होता तो हम तुम्हारे इस शहर के मकान में रहने कभी नहीं आते। और यह सोच लो बेटा अब हम तुम्हारे साथ कभी भी नहीं रहेंगे हम जा रहे हैं यहां से।

रजत के मां बाप और रज्जू दरवाजे से ही लौट चुके थे वह दुबारा स्टेशन की तरफ जाने लगे।  प्रिया ने कई बार रोकना चाहा लेकिन वो लोग नहीं रुके प्रिया ने रजत को भी बोला कि जाकर रोक  क्यों नहीं रहे हो आखिर है तो वह तुम्हारे मां-बाप पहले घर में तो बुलाओ जो भी होगा देख लेंगे।  रजत बोला जा रहे हैं तो जाने दो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है।

रजत अपना बैग उठाया और ऑफिस की तरफ चल दिया।  लेकिन प्रिया एक अच्छी संस्कारों वाली घर की लड़की थी।  रजत के जाते ही प्रिया स्टेशन के तरफ चल गई स्टेशन पर ही रजत  के मां बाबूजी और रज्जू बैठे हुए मिल गए।

प्रिया ने उन तीनों से बहुत माफी मांगी और उन्हें घर वापस आने के लिए बोला। उसने रज्जू से भी माफी मांगी और बोली कि दीदी मुझे नहीं पता था कि रजत ने गांव में शादी कर चुका है वरना मैं कभी भी रजत से शादी नहीं करती।

दीदी अब जो होना था वह तो हो गया अब क्या करें अब क्यों नहीं हम लोग मिलकर साथ रहे।

रजत के पिताजी बोले कि बहू अब हम उस घर में कभी भी नहीं रहेंगे जहां पर मेरी बहू रज्जू का इज्जत नहीं हो उस घर में हम 1 मिनट भी नहीं रह सकते हैं।   हमारे लिए रज्जू सिर्फ बहू नहीं है बल्कि हमारे बेटे से भी बढ़कर है।



प्रिया ने बोला कि आखिर आप लोग अब गांव में भी जाकर क्या करोगे जब आप लोग कह रहे हो कि हमारा घर ही जल गया है ऐसा करो कि आप लोग कुछ दिनों के लिए मेरे मां पापा के घर पर रह लो मैंने पापा से बात कर लिया है तब तक मैं आप लोगों को रहने का कोई इंतजाम इसी शहर में कर दूंगी।

प्रिया की यह बात सब ने मान लिया और प्रिया अपने पापा को बुलाकर इन सब को अपने घर में कुछ दिनों के लिए रख दिया।  कुछ दिनों के बाद प्रिया ने रज्जू को एक एनजीओ में नौकरी पर लगा दिया था और बगल में ही किराए का एक मकान देख कर सब को सेटल करवा दिया था।  जब रजत ऑफिस चला जाता था तो प्रिया इन से मिलने आती थी यह बात रजत को नहीं पता था कि उसकी मां बाबूजी भी इसी शहर में रहते हैं।

रजत कई बार फोन करता था अपने मां बाबूजी को लेकिन उसका फोन यह लोग नहीं रिसीव करते थे।  

 

धीरे-धीरे समय बीतता गया शादी के 5 साल से भी ज्यादा हो गया था रजत  पिता नहीं बन सका। कितना इलाज कराया लेकिन डॉक्टर ने यह कह दिया कि प्रिया कभी भी मां नहीं बन सकती है।   रजत अब काफी परेशान रहने लगा था। प्रिया से भी अब ढंग से बात नहीं करता था। रजत एक दिन अपनी पत्नी प्रिया से बोला कि क्यों ना हम एक अनाथ आश्रम से एक बच्चे को गोद ले लेते हैं जब डॉक्टर ने कह ही दिया है कि तुम कभी मां नहीं बन पाओगी।

प्रिया ने कहा कि अनाथ आश्रम से बच्चा गोद लेने की क्या जरूरत है आप अपनी पहली पत्नी रज्जू दीदी को साथ रख लो क्या पता उसी से हमें कोई पुत्र की प्राप्ति हो जाए और हमारा वंश  भी आगे बढ़ जाए।

रजत बोला कि मैंने गांव में भी पता किया था वह लोग यहां से जाने के बाद गांव भी वापस नहीं गए हैं और ना ही मेरा फोन रिसीव करते हैं मैंने कई जगह ढूंढने का प्रयास किया लेकिन वह आज तक पता नहीं चला कि वो लोग  कहां है। प्रिया ने बोली कि रजत क्या तुम सच में उनको अपने साथ रखना चाहते हो। रजत बोला हाँ प्रिया मैं तैयार हूं उनको रखने के लिए क्यों की मैं किसी भी हाल में पिता बनना चाहता हूँ।



प्रिया बोली कि ठीक है कल सुबह सुबह सब यहां पर आ जाएंगे।  रजत बोला आ जाएंगे का क्या मतलब है क्या तुम उनको जानती हो कहां रहते हैं।  प्रिया ने बोला हां इसी शहर में रहते हैं और मैंने ही उनको रखवाया है तुमने तो उन्हें घर से जाने दे दिया था एक बार भी उनको वापस आने के लिए नहीं बोला था लेकिन मैं अपने आप को बदनाम नहीं होने देना चाहती थी कि मेरे आने से रजत बदल गया है मैंने अपने बहु धर्म को निभाया है।

आज  रजत को प्रिया पर  गर्व महसूस हो रहा था और अपने आप पर घृणा आ रहा था। प्रिया उसके मां-बाप से खून का रिश्ता ना होते हुए भी उसके मां बाप के बारे में कितना सोची।  रज्जू का भी उसके मां-बाप से कोई खून का रिश्ता नहीं है फिर भी उसके मां-बाप का साथ उसने नहीं छोड़ा और एक वह रजत है जिसने अपने मां बाप को दर-दर भटकने के लिए छोड़ दिया है उसे अपने बेटे होने पर  कलंक महसूस हो रहा था।

 

अगले दिन प्रिया ने रजत के मां-बाप और रज्जू को मना कर घर ले आई।  उस दिन के बाद से सब मिलकर खुशी खुशी रहने लगे थे अगले साल रज्जु मां भी बन गई थी।  रज्जू के बेटे को प्रिया भी रज्जू जितना ही प्यार करती थी।

आज रजत को  रिश्तो का मतलब समझ आ गया था कि रिश्ते कितने अनमोल होते हैं ।

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