जब जागो तभी सवेरा – हेमलता गुप्ता : hindi stories with moral

hindi stories with moral : हेलो… सुनो मोना बेटा… अभी 30 तारीख को तुम्हारे पापा का रिटायरमेंट का फंक्शन है, हालांकि अभी तो 10 दिन है पर मैं सोच रही हूं अगर तुम दो-चार दिन पहले आ जाती तो मेरी काम में मदद हो जाती, अभी घर में तुम्हारे भैया की शादी भी नहीं हुई है वरना अगर उसकी पत्नी होती तो मैं तुम्हें परेशान नहीं करती, जानती हूं तुम्हारे ऊपर भी ससुराल की बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं!

 और हां हमारे समधी समधन से भी कह देना जरूर से जरूर इस प्रोग्राम में आए, कहीं और का भी उनका प्रोग्राम हो तो उसे कैंसिल कर दे ।वैसे तो मैं स्वयं उन्हें निमंत्रण देने आऊंगी पर बेटा तुम्हारा कहने का भी बहुत फर्क पड़ता है, अच्छा.. इज्जत के साथ अपने सास ससुर को यहां आने के लिए बोल देना, रीना ने अपनी बेटी मोना से फोन पर कहा! 

मम्मी डॉन’टी वरी, किसी भी प्रकार की चिंता मत करो मैं दो-चार दिन पहले ही आ जाऊंगी और मैं पुनीत से भी कह दूंगी वह ऑफिस से छुट्टी ले लेंगे! पापा का रिटायरमेंट है मम्मी, बड़े धूमधाम से मनाएंगे। आप बेफिक्र रहो और मम्मी आप  मेरे साथ ससुर को फंक्शन में आने के लिए ज्यादा जिद मत करना,  वैसे ही वह कहीं कम ही आते जाते हैं। 

मम्मी आपको पता है ना उनका रहन-सहन बोलना पहनावा सब बिल्कुल गवारों के जैसा है, दिखाने को शहर में रहते हैं पर कोई भी हाई सोसाइटी में उठने बैठने के मैनर्स  नहीं है  उनमें।  मम्मी उनको बुलाकर वहां पर आप लोग शर्मिंदा ही होंगे, वह तो मम्मी मैंने पुनीत से लव मैरिज की थी, वरना ऐसे सास ससुर तो  भगवान किसी के भी ना हो। मुझे तो खुद अपनी सहेलियों के सामने उनको ले जाने में उनसे परिचय करवाने में शर्म आती है,। यह कहकर मोना हंसने लगी। किंतु बेटा… 

वह पुनीत जी के माता-पिता है,तुम्हें उन्हें इज्जत और मान सम्मान देना चाहिए, अगर हम भी उनके जैसे होते तो तुम्हें हमसे भी शर्म आती, तुम्हारी इतनी ऊंची पढ़ाई लिखाई का क्या फायदा फिर ,जिसके कारण अपने माता-पिताओं का अपमान करने में  शर्म नहीं आती। पुनीत को  तो देखो, वह भी तुम्हारी तरह ही बड़ी कंपनी में काम करते हैं लेकिन वह  हमारी और अपने माता-पिता दोनों की कितनी इज्जत करते हैं ,

सबके सामने जब वह अपने माता-पिता का परिचय करवाते हैं तो उनका सर हमेशा गर्व से ऊंचा होता है क्योंकि उन्हें पता है उनके यहां तक कामयाबी में सिर्फ और सिर्फ उनके माता-पिता की कड़ी मेहनत और योगदान है और अगर पुनीत जी ऐसी बातें तुम्हारे मुंह से सुनेंगे तो तुम्हारे बारे में क्या सोचेंगे?

 क्या तुमने जरा भी एक बार यह सब नहीं सोचा? अरे मम्मी छोड़ो आप.. पुनीत की बातों को, उन्हें तो खुद अपनी मम्मी पापा को बाहर ले जाने में शर्म आती है, और पता है मम्मी आपको, अभी कुछ दिनों पहले पुनीत के दोस्त की एनिवर्सरी थी, उसने हमें सपरिवार बुलाया था

 किंतु पुनीत अपने माता-पिता को साथ में लेकर नहीं गया था, इसका मतलब साफ है उन्हें भी अपनी माता-पिता गवार लगते हैं, जिन में आज के जमाने के साथ चलने वाले कोई भी कायदे नहीं है, इतनी देर से मां बेटी की बात सुनता हुआ पुनीत मोना के ऊपर जोर से चिल्लाया… खबरदार मोना.. अगर मेरे माता-पिता के लिए गवार जैसे शब्द अपने  मुंह से निकाले, 

अरे गवार तो तुम हो तुम्हारी घटिया सोच है जो इतनी हाई सोसाइटी में उठती बैठती हो और मैनर्स के नाम पर बिलकुल जीरो हो गवार हो, क्या अपने माता-पिता की बेइज्जती करना ही सभ्य इंसान की पहचान है, अरे अगर तुम जैसे इंसानों को कोई हाई एजुकेटेड या सभ्य कहेगा तो मैं कहूंगा कि वह भी गवार है जो तुम्हें इतना उच्च इंसान समझ रहा हैl जब तुम्हारी सोच उनको पता चलेगी तब तुम्हें एहसास होगा

 और मेरे माता-पिता के लिए तो कम से कम तुम ऐसी शब्द निकालने बिल्कुल बंद ही कर दो वरना मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा और मेरे मुंह से भी कुछ ऐसा उल्टा सीधा निकल जाए जो तुम्हें सहन नहीं हो, और तुम क्या कह रही थी मैं अपने दोस्त की एनिवर्सरी में उनको लेकर नहीं गया था… तो सुनो …मैं उन्हें सिर्फ इसलिए लेकर नहीं गया था क्योंकि वहां पर मेरे सारे दोस्त और उनकी बीवियां ही आ रही थी, 

किसी के भी माता-पिता  वहां नहीं आ रहे थे और मैं नहीं चाहता था कि वहां मेरे माता-पिता बोरियत महसूस करें या कोई ऐसी वैसी बात वहां हो जाए जिसके कारण उन्हें शर्मिंदा होना पड़े! तुम्हें पता है मैं अपने माता-पिता को हर महीने होटल में खाना खिलाने ले जाता हूं और एक मूवी दिखा कर लाता हूं ,क्यों… क्योंकि मेरे माता-पिता ने मेरी अच्छी परवरिश के  कारण अपने सारे शौकों को तिलांजलि दे दी थी! मेरी मम्मी को पिक्चर देखने का बहुत शौक था और पापा को होटल में जाकर खाना खाने का, किंतु घर की आर्थिक हालात कभी ऐसी हुई ही नहीं कि वह अपनी खुशी से कभी यह काम कर पाते,

 उन्होंने अपना सारा पैसा, तन मन धन ,सिर्फ मुझे काबिल इंसान बनने में लगा दिया और तुम कहती हो.. मेरे माता-पिता गवार है, अगर यही शब्द में तुम्हारे माता-पिता के लिए बोलूं तो तुम्हें कैसा लगेगा? और कह दो अपनी मम्मी से… तुम्हारे पापा के रिटायरमेंट के फंक्शन में केवल तुम ही जाओगी हम में से कोई नहीं!

 मेरे माता-पिता ने हमेशा तुमको अपनी बेटी की तरह माना किंतु तुमसे उनकी इज्जत भी नहीं हो पाती, तो मुझे भी तुम्हारी जैसी पत्नी की कोई जरूरत नहीं है …..हां मैं तुम्हें तुम्हारे फंक्शन में जाने से नहीं रोकूंगा किंतु अपने स्वाभिमान को मार कर हम उस फंक्शन में नहीं आएंगे! 

कहते कहते पुनीत का गला भर  आया तो मोना को अपनी गलती का एहसास हुआ, आई एम सॉरी पुनीत… तुम सच कह रहे हो, हमारी ऐसी ऊंची पढ़ाई किस काम की जिसके कारण हमें अपने माता-पिता पर ही शर्म आने लगे, जब हम छोटे थे तब हमें हमारे माता-पिता जैसे भी थे, दुनिया में सबसे प्यारे लगते थे तो अब क्या हो गया, नहीं पुनीत.. आज के बाद मैं हमारे माता-पिता को वही मान सम्मान  दूंगी 

जिसके वह हकदार हैं! मुझे माफ कर देना! तभी दरवाजे पर खड़े पुनीत के माता-पिता खुशी के आंसू पौछते हुए कमरे में अंदर आए और अपने बेटे बहु को गले लगाते हुए बोले… नहीं बेटा कोई बात नहीं, बस तुम्हें समझ आ गई यही बहुत है! कहते हैं ना जब जागो तभी सवेरा। और फिर सभी मुस्कुराने लगे!

     हेमलता गुप्ता स्वरचित

. #गंवार

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!